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SIR का 2003-2004 की लिस्ट से मिलान क्यों? यहां जानें हर एक जरूरी बात

निर्वाचन आयोग ने सोमवार को जिन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची पुनरीक्षण की घोषणा की, वहां लोगों द्वारा जमा किये जाने वाले दस्तावेजों की सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद प्रकाशित बिहार की मतदाता सूची और आधार कार्ड को भी शामिल किया गया है.

SIR का 2003-2004 की लिस्ट से मिलान क्यों? यहां जानें हर एक जरूरी बात
  • देश के 12 राज्यों में चार नवंबर से SIR की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है
  • SIR का उद्देश्य अवैध प्रवासियों की पहचान कर मतदाता सूची से उनका नाम हटाना है
  • अंतिम मतदाता सूची फरवरी में प्रकाशित की जाएगी, जिसमें लगभग 51 करोड़ मतदाता शामिल होंगे
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नई दिल्ली:

देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद आगामी चार नवंबर से शुरू होगी और अंतिम मतदाता सूची अगले साल फरवरी में प्रकाशित होगी. इस बारे में खुद मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने जानकारी दी. दूसरे चरण में छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में एसआईआर कराया जाएगा. इनमें तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में 2026 में चुनाव संभावित हैं.

SIR का मिलान क्यों अहम

भारतीय नागरिकता कानून के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति 1 जुलाई 1987 से पहले भारत में पैदा हुआ है, तो उसे भारत का नागरिक माना जाता है. ऐसे व्यक्ति की नागरिकता की पुष्टि के लिए आमतौर पर अतिरिक्त दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं होती. जब इस जन्म वर्ष में 18 साल जोड़े जाते हैं, तो यह अवधि 2002-2004 के बीच आती है. यही कारण है कि 2003-04 की मतदाता सूची को नागरिकता सत्यापन के लिए एक मानक दस्तावेज के रूप में देखा जा रहा है. जिनका नाम उस सूची में दर्ज है, उनकी नागरिकता की जांच की आवश्यकता नहीं मानी जा रही है. इसी वजह से पिछले एसआईआर से इनका मिलान किया जा रहा है.

SIR के दूसरे चरण की शुरुआत

मुख्य चुनाव आयुक्त ने पीसी में कहा कि असम में मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की घोषणा अलग से की जाएगी. असम में भी अगले साल विधानसभा चुनाव संभावित है. एसआईआर का दूसरा चरण चार नवंबर को गणना प्रक्रिया के साथ शुरू होगा और यह चार दिसंबर तक चलेगा. निर्वाचन आयोग नौ दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची जारी करेगा और अंतिम मतदाता सूची सात फरवरी को प्रकाशित की जाएगी. कुमार ने असम के संदर्भ में कहा कि इस प्रदेश में नागरिकता अधिनियम का एक अलग प्रावधान लागू होता है.

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असम में SIR पर क्या अपडेट

उनका कहना था, ‘‘'नागरिकता अधिनियम के तहत, असम में नागरिकता के लिए अलग प्रावधान हैं. उच्चतम न्यायालय की निगरानी में नागरिकता की जांच का कार्य लगभग पूरा होने वाला है. 24 जून का एसआईआर आदेश पूरे देश के लिए था. ऐसी परिस्थितियों में यह असम पर लागू नहीं होता.'' उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए असम के लिए अलग से पुनरीक्षण आदेश जारी किए जाएंगे और एसआईआर की एक अलग तिथि घोषित की जाएगी.'' मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि मौजूदा एसआईआर स्वतंत्रता के बाद से ऐसी नौवीं कवायद है और पिछला एसआईआर 21 वर्ष पहले 2002-04 में हुआ था.

12 राज्यों में एसआईआर 

उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई और इसको लेकर कोई भी अपील नहीं आई जो इस कवायद की सबसे बड़ी खूबी रही. कुमार ने कहा, ‘‘दूसरा चरण 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जाएगा. SIR यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी योग्य मतदाता का नाम छूट न जाए और किसी भी अयोग्य मतदाता का नाम मतदाता सूची में शामिल न हो.'' दूसरे चरण में 51 करोड़ मतदाता शामिल होंगे. गणना प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू होगी, जबकि मसौदा मतदाता सूची 9 दिसंबर को और अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी को प्रकाशित की जाएगी.

SIR पर टीएमसी को आपत्ति

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने पश्चिम बंगाल सरकार के साथ किसी भी टकराव की स्थिति बनने से भी इनकार किया. प्रदेश की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में एसआईआर प्रक्रिया को लेकर अपनी आपत्तियां जताई हैं. कुमार का कहना था, ‘‘निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार के बीच कोई टकराव नहीं है. आयोग एसआईआर प्रक्रिया को अंजाम देकर अपना संवैधानिक कर्तव्य निभा रहा है और राज्य सरकार भी अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करेगी.'' उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने के लिए आयोग को आवश्यक कर्मी उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं.

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बिहार में एसआईआर का काम पूरा

स्थानीय निकाय चुनावों के कारण केरल में SIR प्रक्रिया को स्थगित करने की मांग पर, कुमार ने कहा कि प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है. बिहार में मतदाता सूची को दुरुस्त करने का काम पूरा हो चुका है, जहां लगभग 7.42 करोड़ मतदाताओं की अंतिम सूची बीते 30 सितंबर को प्रकाशित की गई थी. राज्य में मतदान दो चरणों में होगा छह नवंबर और 11 नवंबर को होगा तथा मतगणना 14 नवंबर को होगी. आयोग SIR कराने की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के साथ पहले ही दो बैठकें कर चुका है. कई सीईओ ने अपनी पिछली एसआईआर के बाद की मतदाता सूचियां अपनी वेबसाइटों पर डाल दी हैं.

दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची उपलब्ध है, जब राष्ट्रीय राजधानी में अंतिम गहन पुनरीक्षण हुआ था. उत्तराखंड में अंतिम एसआईआर 2006 में हुआ था और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है. राज्यों में अंतिम एसआईआर उसी तरह से ‘कट-ऑफ' तिथि के रूप में काम करेगी जैसे बिहार की वर्ष 2003 की मतदाता सूची का उपयोग चुनाव आयोग ने गहन पुनरीक्षण के लिए किया था. अधिकांश राज्यों में मतदाता सूची का अंतिम एसआईआर 2002 और 2004 के बीच था और उन्होंने अपने-अपने राज्यों में हुए अंतिम एसआईआर के अनुसार वर्तमान मतदाताओं का मानचित्रण लगभग पूरा कर लिया है.

एसआईआर का प्राथमिक उद्देश्य

एसआईआर का प्राथमिक उद्देश्य अवैध विदेशी प्रवासियों की जांच करके उनका नाम मतदाता सूची से बाहर करना है. बांग्लादेश और म्यांमार सहित विभिन्न देश के अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण हो जाता है.

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