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This Article is From Mar 06, 2023

आलू के दाम में क्यों आई भारी गिरावट, रिकॉर्ड पैदावार बनी किसानों के लिए आफत

आलू का ठीक यही हाल पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और देश के कई अन्य राज्यों में देखा जा रहा है. आलू का भाव 60 से 76 फीसदी तक गिर गया है. पिछले साल जहां आलू के रेट 10 रुपये चल रहे थे, इस बार वही भाव 4 रुपये पर सिमट गया है.

आलू के दाम में क्यों आई भारी गिरावट, रिकॉर्ड पैदावार बनी किसानों के लिए आफत
बाजार में घटती मांग की वजह से कई किसानों को अपनी आलू की फसल खेत में ही नष्ट करनी पड़ी है.
हापुड़:

इस बार आलू की रिकॉर्ड पैदावार होने से इसकी कीमत में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. इससे भले ही आम लोगों को राहत मिली हो, लेकिन किसानों के लिए ये बड़ी आफत बन गई है. आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखने से किसान कतरा रहे हैं. किसानों का कहना है कि आलू का भाव इस समय इतना गिर गया है कि उनके लिए आलू की लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है. यहां तक कि बाजार में घटती मांग की वजह से कई किसानों को अपनी आलू की फसल खेत में ही नष्ट करनी पड़ी है.

आखिर आलू कौड़ियों के दाम क्यों बिक रहा है? ये जानने के लिए NDTV की टीम उत्तर प्रदेश के हापुड़ से करीब 10 किलोमीटर दूर बाबूगढ़  में एक किसान सुरेंद्र सिंह के खेत पर पहुंची. यहां खेत से आलू निकाला जा रहा था, लेकिन मंडी में इसके खरीददार नहीं मिल रहे हैं. हालात ये हैं कि 50 किलो के कट्टे का दाम 300 से 350 रुपये ही मिल रहा है. यानी आलू 6 से 7 रुपये किलो ही खरीदा जा रहा है.

आलू के दाम में भारी गिरावट को लेकर किसान सुरेंद्र सिंह ने NDTV को बताया, 'मंडी का हाल खराब है. कोई भी आलू खरीदने के लिए तैयार नहीं है. कोल्ड स्टोरेज में लाइनें लगी हैं. पैदावार में जितनी लागत आई है, उतनी कमाई नहीं हो रही. सरकार किसानों की आय दोगुनी होने का दावा करती है, बल्कि असल में आय और कम हो गई है.'

सुरेंद्र सिंह आगे कहते हैं, 'किसानों की आय अपने-आप घट घई है. मजदूरी अपने आप और बढ़ गई है. कोल्ड स्टोरेज का किराया अपने आप बढ़ गया है. किसान का कुछ नहीं बढ़ा. सिर्फ परेशानियां ही बढ़ी हैं.' पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आलू के दाम में गिरावट के चलते किसानों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है.

एक और किसान जितेंद्र सिंह ने अपने 20 बीघा खेत में चिप्सोना आलू लगाया था. प्रति बीघा करीब 16 से 17 हजार रुपये की लागत लगी. लेकिन उनकी आलू की पैदावार का कुल दाम महज 12 हजार रुपये ही मिल रहा है. इसलिए वो अपने आलू को मंडियों में बेचने के बजाय कोल्ड स्टोरेज में रखने जा रहे हैं.

NDTV से बातचीत में जितेंद्र सिंह कहते हैं, 'इस बार स्थिति खराब है. बाजार मंदा है. लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है. चिप्सोना फर्स्ट क्वालिटी का आलू होता है, ये मंडी में 400 रुपये के आसपास बिक रहा है. इतने में तो लागत भी नहीं बैठ रही.'

कुछ आलू किसानों का कहना है कि एक किलो आलू उगाने का खर्च सात से आठ रुपये आता है. लेकिन लागत नहीं निकल पाने से वे आलू की खोदाई तक नहीं कर रहे. इसमें मजदूरी पर होने वाला खर्च उनके गले की हड्डी बनता जा रहा है. कई जगह किसान फसल को या तो नष्ट कर रहे हैं या फिर खेत में यूं ही छोड़ रहे हैं. इस इंतजार में कि आगे अच्छे भाव मिल सकते हैं.

आलू का ठीक यही हाल पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और देश के कई अन्य राज्यों में देखा जा रहा है. आलू का भाव 60 से 76 फीसदी तक गिर गया है. पिछले साल जहां आलू के रेट 10 रुपये चल रहे थे, इस बार वही भाव 4 रुपये पर सिमट गया है.


 

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