विज्ञापन
Story ProgressBack

ज्ञानवापी में व्यासजी के तहखाने में 'पूजा के अधिकार' के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका क्यों की खारिज?

Gyanvapi Case: व्यास जी का तहखाना के नाम से मशहूर इस स्थान को 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद सील कर दिया गया था. मुलायम सिंह यादव की सरकार ने कानून व्यवस्था की चिंताओं का हवाला देकर इसे सील कर दिया था.

मुलायम सिंह यादव की सरकार ने व्यासजी के तहखाने में पूजा पर लगाई थी रोक (फाइल फोटो)

ज्ञानवापी (Gyanvapi Case) में व्यासजी के तहखाने में हिन्दू पक्ष को पूजा का अधिकार देने के कदम पर निचली अदालत के फैसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मुहर लगाई. साथ ही यह भी कहा कि तहखाने में पूजा रोकने के लिए मुलायम सिंह सरकार का 1993 का कदम 'अवैध' था.  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अदालत के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं  को खारिज कर दिया, जिसमें 30 साल बाद हिन्दू पक्ष को पूजा का अधिकार मिला था. . कोर्ट ने कहा है कि वहां पूजा जारी रहेगी. और मुस्लिम पक्ष की दोनों याचिकाएं खारिज कर दी हैं. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की अपीलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने ये फैसला सुनाया है.

1992 में बाबरी विध्वंस के बाद सील कर दिया गया था तहखाना

व्यास जी का तहखाना के नाम से मशहूर इस स्थान को 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद सील कर दिया गया था. विध्वंस के तुरंत बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया था. अगले साल विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav on Gyanvapi) के नेतृत्व वाली सरकार बनी. राज्य सरकार ने तब कानून और व्यवस्था की चिंताओं का हवाला दिया और तहखाने वाले 'मंदिर' को सील कर दिया गया.

1993 से धार्मिक पूजा-अनुष्ठान से लगातार रोकने का काम गलत था- हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का 1993 से धार्मिक पूजा-अनुष्ठान से लगातार रोकने का काम गलत था.  तहखाने में धार्मिक पूजा और अनुष्ठान जारी रखने वाले व्यास परिवार को मौखिक आदेश द्वारा प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता था. अनुच्छेद 25 के तहत गारंटीकृत नागरिक अधिकार को राज्य की मनमानी कार्रवाई से छीना नहीं जा सकता. तहखाने में भक्तों द्वारा पूजा और अनुष्ठान रोकना उनके हित के विरुद्ध होगा.

मुस्लिम पक्ष तहखाने पर अपने प्रथम दृष्टया कब्जे को प्रदर्शित करने में बुरी तरह विफल रहा- हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष तहखाने पर अपने प्रथम दृष्टया कब्जे को प्रदर्शित करने में बुरी तरह विफल रहा. अनिवार्य रूप से तहखाने पर व्यास परिवार के कब्जे के बारे में प्रथम दृष्टया निष्कर्ष निकालता है. मुस्लिम पक्ष ने 1937 के बाद दिसंबर 1993 तक व्यास परिवार से किसी भी समय तहखाने पर दावा नहीं किया. इससे तहखाने पर कब्जे के संबंध में उनके खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकलता है. व्यास परिवार ने  प्रथम दृष्टया 1551 से अपना कब्जा स्थापित किया है.

गौरतलब है कि वाराणसी की कोर्ट ने 31 जनवरी को जिला जज वाराणसी ने हिंदू पक्ष को व्यासजी तहखाने में पूजा करने की अनुमति दी थी. मुस्लिम पक्ष ने पूजा का अधिकार देने वाले वाराणसी जिला जज के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.  मुस्लिम पक्ष द्वारा तहखाने में पूजा की अनुमति देने पर रोक लगाने  की मांग गई थी. मुस्लिम पक्ष की दो याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद 15 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया था. आज मुस्लिम पक्ष की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया गया.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
सलमान खान फायरिंग मामला : लॉरेंस बिश्नोई के भाई के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी
ज्ञानवापी में व्यासजी के तहखाने में 'पूजा के अधिकार' के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका क्यों की खारिज?
रक्षा मंत्रालय के लिए बजट में 6,21,940 करोड़ रुपये का प्रावधान, राजनाथ सिंह ने जताया आभार
Next Article
रक्षा मंत्रालय के लिए बजट में 6,21,940 करोड़ रुपये का प्रावधान, राजनाथ सिंह ने जताया आभार
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;