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This Article is From Feb 26, 2024

ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में जारी रहेगी पूजा, मुस्लिम पक्ष की याचिकाएं खारिज

Gyanvapi Mosque Case : 31 जनवरी को हिंदू पक्ष को वाराणसी की जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति दी थी, जिसके बाद वाराणसी कोर्ट के आदेश को मुस्लिम पक्ष की तरफ से अंजुमन इंतज़ामिया मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाइकोर्ट में चुनौती दी थी.

Allahabad High Court on Gyanvapi Case- ज्ञानवापी मामले में हिन्दू पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत

Allahabad High Court: वाराणसी के ज्ञानवापी (Gyanvapi ) स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा की अनुमति पर रोक का मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिकाएं खारिज कीं. व्यासजी तहखाने (Vyasji Tahkhana) में पूजा जारी रहेगी. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने सुनाया फैसला.  इस मामले में वाराणसी ज़िला अदालत के आदेश को मुस्लिम पक्ष ने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी. बता दें कि बीती 31 जनवरी को हिंदू पक्ष को वाराणसी की जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति दी थी, जिसके बाद वाराणसी कोर्ट के आदेश को मुस्लिम पक्ष की तरफ से अंजुमन इंतज़ामिया मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाइकोर्ट में चुनौती दी थी.

व्यासजी तहखाना : पूजा का इतिहास

  • 1993 तक तहखाने में पूजा की : व्यास परिवार का दावा
  • तत्कालीन सरकार ने रुकवाई तहख़ाने में पूजा
  • 31 साल से नहीं हो रही तहख़ाने में पूजा
  • 1551 में शतानंद व्यास ने पूजा की: व्यास परिवार का दावा
  • सितंबर 2023 : शैलेन्द्रपाठक व्यास ने कोर्ट में याचिका दी
  • व्यासजी तहख़ाने में पूजा के अधिकार को लेकर याचिका 
  • याचिका तहख़ाने को DM को सौंपने की मांग की
  • 17 जनवरी : तहख़ाने को ज़िला प्रशासन ने कब्ज़े में लिया
  • 31 जनवरी : ज़िला कोर्ट ने तहख़ाने में पूजा की इजाज़त दी
  • मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाइकोर्ट में दी याचिका
  • हाइकोर्ट में फैसले को मुस्लिम पक्ष ने दी चुनौती

वाराणसी कोर्ट ने शैलेंद्र पाठक की याचिका पर सुनाया था पूजा का फैसला

वाराणसी जिला अदालत ने पूजा का आदेश शैलेन्द्र कुमार पाठक की याचिका पर दिया था, जिन्होंने कहा था कि उनके नाना सोमनाथ व्यास ने दिसंबर 1993 तक पूजा-अर्चना की थी. पाठक ने अनुरोध किया था कि एक वंशानुगत पुजारी के रूप में उन्हें तहखाने में प्रवेश करने और पूजा फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाए. मस्जिद में चार 'तहखाने' (तहखाने) हैं, और उनमें से एक अभी भी व्यास परिवार के पास है.

मस्जिद समिति ने कहा था- तहखाने में कोई मूर्ति मौजूद नहीं

वाराणसी जिला अदालत का आदेश मस्जिद परिसर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के एक दिन बाद आया था. इस मामले के संबंध में उसी अदालत द्वारा आदेशित एएसआई सर्वेक्षण में सुझाव दिया गया कि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के शासन के दौरान एक हिंदू मंदिर के अवशेषों पर किया गया था. मस्जिद समिति ने याचिकाकर्ता की बात का खंडन किया था.  समिति ने कहा कि तहखाने में कोई मूर्ति मौजूद नहीं थी, इसलिए 1993 तक वहां प्रार्थना करने का कोई सवाल ही नहीं था. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ उसकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करने और उसे उच्च न्यायालय जाने के लिए कहने के कुछ ही घंटों के भीतर समिति 2 फरवरी को उच्च न्यायालय चली गई थी. 15 फरवरी को दोनों पक्षों को सुनने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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