दुबई का आसमान शुक्रवार को भारतीय वायुसेना की ताकत का गवाह बनने वाला था. दुनिया की निगाहें भारत के स्वदेशी फाइटर जेट तेजस पर टिकी थीं. लेकिन फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसने हर किसी की सांसें थाम दीं. जो अभ्यास गर्व का पल बनने वाला था, वो चंद सेकंड में एक कभी न भूलने वाले मातम में बदल गया. एक जोरदार धमाका और देश ने अपना एक जांबाज बेटा खो दिया. आखिर दुबई एयर शो में उस वक्त क्या हुआ था? और कौन था वो पायलट जिसने देश की आन-बान-शान के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी?
आज की इस खबर में हम आपको बताएंगे दुबई एयर शो में हुए उस दर्दनाक हादसे की पूरी कहानी, जिसने हिमाचल के एक परिवार की खुशियों को हमेशा के लिए लील लिया.
एयर शो में क्या हुआ?
शुक्रवार का दिन था. दुबई एयर शो-2025 की तैयारियां जोरों पर थीं. भारतीय वायुसेना का गर्व, हल्का लड़ाकू विमान 'तेजस', अपनी एरोबेटिक स्किल्स दिखाने के लिए उड़ान भर रहा था. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल की तरफ से बनाया गया ये लड़ाकू विमान अपनी फुर्ती के लिए दुनिया भर में मशहूर है. लेकिन एक अभ्यास उड़ान के दौरान ही तेजस दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
कौन थे पायलट?
इस हादसे में जिस पायलट ने अपनी जान गंवाई, उनका नाम है स्क्वाड्रन लीडर नमांश स्याल. 34 साल के नमांश, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के रहने वाले थे. एक हंसता-खेलता परिवार, एक शानदार करियर और देश सेवा का जज्बा, सब कुछ इस एक हादसे ने खत्म कर दिया. नमांश स्याल सिर्फ एक पायलट नहीं थे, वो एक विरासत का हिस्सा थे. कांगड़ा के पटियालकर वार्ड नंबर 7 के रहने वाले नमांश के पिता गगन कुमार एक रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं. घर में मां वीना देवी और एक बहन हैं, जो अब अपने इस लाड़ले के आने का नहीं, बल्कि उसके पार्थिव शरीर के आने का इंतजार कर रहे हैं.
इस कहानी का सबसे भावुक पहलू ये है कि नमांश का पूरा जीवन ही आसमान से जुड़ा था. उनकी पत्नी, अफसान भी एयरफोर्स में पायलट हैं. 16 साल पहले दोनों की शादी हुई थी और दोनों की एक 7 साल की प्यारी सी बेटी भी है. सोचिए उस पत्नी पर क्या गुजर रही होगी जो खुद एक पायलट है और जानती है कि उस कॉकपिट में आखिरी पलों में क्या हुआ होगा.
कैसे हुआ हादसा?
लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये हादसा हुआ कैसे? तेजस जैसा आधुनिक विमान क्रैश कैसे हो गया? भारतीय वायुसेना ने हादसे की पुष्टि करते हुए तुरंत 'कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी' के आदेश दे दिए हैं. अभी तक दुर्घटना के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है. क्या ये कोई तकनीकी खराबी थी या फिर कुछ और? वायुसेना का कहना है कि जैसे ही पुख्ता जानकारी मिलेगी, उसे साझा किया जाएगा. फिलहाल, नमांश के पिता गगन कुमार सरकार के संपर्क में हैं ताकि उनके बेटे का पार्थिव शरीर जल्द से जल्द भारत लाया जा सके. जिस गांव में नमांश की किलकारियां गूंजी थीं, आज वहां सिर्फ सन्नाटा और सिसकियां हैं.
स्क्वाड्रन लीडर नमांश स्याल ने वर्दी पहनकर जो कसम खाई थी, उसे आखिरी सांस तक निभाया. ये देश उनका और उनके परिवार का हमेशा ऋणी रहेगा. इस दुख की घड़ी में हम सब उनके परिवार के साथ खड़े हैं.
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