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This Article is From Mar 12, 2019

आतंकी मसूद अजहर को कौन लेकर गया था कंधार, NDTV की पड़ताल में हुआ ये खुलासा

कांग्रेस का आरोप है कि वर्तमान एनएसए अजीत डोभाल (Ajit Doval) ही मसूद अजहर को छोड़ने कंधार गए थे. NDTV ने इस पूरे मामले की पड़ताल की.

आतंकी मसूद अजहर को कौन लेकर गया था कंधार, NDTV की पड़ताल में हुआ ये खुलासा
अजीत डोवाल (Ajit Doval) मसूद अजहर को लेकर नहीं गए थे, बल्कि वे पहले से वहां मौजूद थे.
नई दिल्ली:

जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को रिहा करने का मामला एक बार फिर गरमा गया है. कांग्रेस ने मसूद अजहर को छोड़ने के सीधे तौर पर सत्तारूढ़ बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस का आरोप है कि वर्तमान एनएसए अजीत डोभाल ही मसूद अजहर को छोड़ने कंधार गए थे. NDTV ने इस पूरे मामले की पड़ताल की और मिशन कंधार में शामिल अधिकारियों से बात की. बातचीत से पता चला कि उस दौरान आईबी के प्रमुख रहे अजीत डोवाल (Ajit Doval) आतंकी मसूद अजहर को लेकर कंधार नहीं गए थे. हालांकि वह वहां पहले से ही मौजूद थे. एनडीटीवी को बातचीत में पता चला कि मसूद अजहर समेत अन्य आतंकियों को चार तेज-तर्रार आईपीएस अफ़सर एनएसजी कमांडो टीम के साथ कंधार लेकर पहुंचे.

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अजीत डोभाल नहीं तो आतंकियों को कौन लेकर गया 
आतंकियों को कंधार ले जाने वाले आईपीएस अफसरों में सीबीआई के पूर्व निदेशक एपी सिंह, इंडियंस एयरलाइंस के मुख्य सतर्कता अधिकारी रंजीत नारायण, एसपीजी के तत्कालीन ऑपरेशन इंचार्ज और अब एनटीआरओ के प्रमुख सतीश झा और वर्तमान में महाराष्ट्र के आईजी सुरेंद्र पांडे शामिल थे. जबकि NSA अजीत डोभाल (Ajit Doval) आईपीएस अफ़सर नेहचल संधू के साथ पहले से ही कंधार में मौजूद थे और वे विमान यात्रियों की रिहाई के लिए आतंकियों से बात कर रहे थे. आतंकियों की मांग थी कि 36 आतंकियों की रिहाई की जाए और 20 करोड़ डॉलर दिये जाएं. अंत में तीन दुर्दांत आतंकियों की रिहाई पर बात तय हुई, जिसमें जैश का सरगना मसूद अज़हर, उमर शेख और मुश्ताक ज़रगर शामिल थे. तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह विमान में इन आतंकियों को लेकर कंधार गए और उड़ान के दौरान एनएसजी कमांडो टीम की आतंकियों पर पैनी निगाह रही. 

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टीम एक लाख अमेरिकी डॉलर लेकर पहुंची  
टीम अपने साथ एक लाख अमेरिकी डॉलर लेकर कंधार हवाईअड्डे पहुंची. ये पैसा तालिबान को ईंधन भरने, लैंडिंग के लिए दिया जाना था. वहीं, 40 हज़ार डॉलर तालिबान को पार्किंग चार्ज के तौर पर देना था. वहां पहुंचने पर तालिबान के विदेश मंत्री वक़ील अहमद मुत्तवक्किल ने जसवंत सिंह को इंतज़ार करवाया. कहा गया कि वे प्रार्थना में बिजी हैं. करीब 40-45 मिनट के इंतजार के बाद जसवंत सिंह को लाउंज में ले जाया गया और चारो अधिकारी टोयोटा गाड़ियों में आतंकियों को लेकर आगे अदलाबदली के लिए बढ़े. नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी कहते हैं, ''नेताओं को अंदाजा भी नहीं है कि वहां कैसी स्थिति थी. अगर वे उस मंजर को देखते, तो जो आज कह रहे हैं, शायद नहीं कहते''. अधिकारी कहते हैं कि, ''जब हम विमान में घुसे तो चारों तरफ मल और पेशाब फैला था, क्योंकि सप्ताह भर से यात्री कहीं नहीं गए थे. सबकी हालत बुरी थी और आतंकियों द्वारा रुपिन कात्याल की हत्या के बाद हुए झगड़े में कुछ यात्री घायल भी हो गए थे. आतंकियों को सौंपने के बाद यात्रियों को जसवंत सिंह के जहाज में बिठाया गया और वे उसी शाम वहां से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. हालांकि अजीत डोभाल उस फ्लाइट में वापस नहीं आये. जबकि दूसरे अधिकारी उसी फ्लाइट से वापस आ गए.  

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