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ब्रेकअप, बेरोजगारी या डिप्रेशन... अभय सिंह ने क्यों चुना आध्यात्म? NDTV को बताई 'इंजीनियर बाबा' बनने की कहानी

इन दिनों महाकुंभ के लिए प्रयागराज पहुंचे इंजीनियर बाबा लोगों को आध्यात्म और आत्मशुद्धि का पाठ समझा रहे हैं. NDTV के साथ खास इंटरव्यू में इंजीनियर बाबा ने अपनी शुरुआती जिंदगी, कॉलेज, परिवार, नौकरी और आध्यात्मिक सफर को लेकर कई बातें शेयर की हैं.

नई दिल्ली/प्रयागराज:

प्रयागराज के महाकुंभ (Prayagraj Maha Kumbh 2025) में नागा बाबा, अघोरी, मॉर्डन साध्वियां और बाल नागा साधु हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहे हैं. महाकुंभ में आए ऐसे ही एक बाबा की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है. इन्हें 'मसानी गोरख बाबा', 'इंजीनियर बाबा' और 'IITian Baba' कहा जा रहा है. इनका दावा है कि उन्होंने बॉम्बे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT Bombay) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering) की है. साइंस का रास्ता छोड़कर उन्होंने आध्यात्म का रास्ता अपना लिया. अब उन्हें आध्यात्म की जिंदगी में शांति मिलती है.

इन दिनों महाकुंभ के लिए प्रयागराज पहुंचे इंजीनियर बाबा लोगों को आध्यात्म और आत्मशुद्धि का पाठ समझा रहे हैं. NDTV के साथ खास इंटरव्यू में इंजीनियर बाबा ने अपनी शुरुआती जिंदगी, कॉलेज, परिवार, नौकरी और आध्यात्मिक सफर को लेकर कई बातें शेयर की हैं.

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कौन हैं इंजीनियर बाबा?
इंजीनियर बाबा का असली नाम अभय सिंह है. उनके इंस्टाग्राम हैंडल के मुताबिक, वह मूलरूप से हरियाणा के रहने वाले हैं. अभय सिंह ने कई मीडिया इंटरव्यू में दावा किया है कि उन्होंने IIT बॉम्बे से इंजीनियरिंग की है. उनका सब्जेक्ट एयरोस्पेस था. लेकिन, कई लोग इसे सच नहीं मानते. सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इंजीनियर बाबा को फेक कहा है.

NDTV के साथ इंटरव्यू में बाबा ने अपने ट्रोलर्स को जवाब दिया है. इंजीनियर बाबा अभय सिंह ने कहा, "मैं कोई नहीं हूं. I am Nobody.क्या को मरा हुआ इंसान कुछ हो सकता है? आप खुद सोचिए. आप कह सकते हैं कि मैं एक IITian हूं. ये एक फॉर्म है. लेकिन वास्तव में आप कुछ नहीं हैं."

अपनी एयरोस्पेस इंजीनियरिंग डिग्री पर सवाल उठाने वालों के लिए अभय सिंह कहते हैं, "आज कल तो सब डिजिटल हो गया है. आप IIT की वेबसाइट चेक लीजिए. वहां सारी डिटेल मिल जाएंगी. मैं कंवोकेशन में डिग्री लेकर बैठा हुआ हूं. इससे बड़ा सबूत और क्या दूं."

सनकी कहने वालों को दिया जवाब
अभय सिंह ने खुद को सनकी कहने पर भी जवाब दिया है. उन्होंने कहा, "जो लोग मुझे सनकी कह रहे हैं, वो तो बढ़िया है.. इसका मतलब है कि मैं एक चीज के पीछे फोक्सड हूं. बाकी लोग कुछ भी कहे, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है." 

अभय सिंह कहते हैं, "आप मेरी पहचान जानता चाहते हैं, तो इंस्टाग्राम पर अभय सिंह सर्च कीजिए. मैंने कई वीडियो अपलोड किए हैं. बहुत सारी प्रिडिक्शन डाली हैं."

पढ़ाई खत्म होने के बाद मिला था लाखों का पैकेज
अभय सिंह ने बताया कि बॉम्बे IIT से पढ़ाई पूरी करने के बाद वो कैंपेस इंटरव्यू में बैठे थे. इसमें उनका सिलेक्शन हो गया था. उन्हें एक कंपनी से लाखों का पैकेज ऑफर हुआ था. उन्होंने कुछ दिन नौकरी की. फिर डिजाइन के कोर्स के लिए नौकरी छोड़ दी.

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अभय सिंह बताते हैं, "मैंने 2008-12 तक बॉम्बे आईआईटी में पढ़ाई की. फिर एक साल नौकरी की. मुझे क्रिएटिव साइड जाना था. मैं डिजाइन में कुछ करना चाहता था. इंजीनियरिंग में ऐसा कोई मौका नहीं मिला. फिर मैंने कोचिंग पढ़ाया. एक साल... साथ साथ मैंने एंट्रेस की तैयारी की. फिर मास्टर्स में गया. डिजाइन का कोर्स मैंने बहुत अच्छे से किया. फिर उसी में काम करने लगा. करीब एक से डेढ़ साल मैंने काम किया. मेरा जो फाइनल प्रोजेक्ट था वो मैंने मेरी लाइफ पर बनाया."

ट्रैवल फोटोग्राफी के लिए छोड़ दी नौकरी
अभय सिंह के मुताबिक, उन्हें स्कूल के दिनों से फोटोग्राफी का शौक था. खासतौर पर वो ट्रैवेल फोटोग्राफी एन्जॉय किया करते थे. वो इससे रिलेटेड कोई कोर्स करना चाहते थे. इसलिए एक दिन इंजीनियरिंग छोड़ दी. फिर ट्रैवल फोटोग्राफी का कोर्स किया. इसी दौरान जिंदगी को लेकर उनकी फिलॉसफी बदल गई. उन्होंने कुछ समय के लिए अपना एक कोचिंग सेंटर भी खोला. यहां फिजिक्स पढ़ाया करते थे. लेकिन, उनका मन नहीं लगता था. उनका मन आध्यात्म में लगने लगा था. 

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इंजीनियरिंग से इतर पढ़ते थे फिलॉसफी
इंजीनियर बाबा अभय सिंह ने बताया, "इंजीनियरिंग करते हुए मैं फिलॉसफी से कनेक्ट होने लगा. कोर्स से इतर जाकर मैं दर्शनशास्त्र की किताबें पढ़ता था. जिंदगी का मतलब समझने के लिए मैंने नवउत्तरावाद, सुकरात, प्लेटो के आर्टिकल और किताबें पढ़ ली थीं. फिर एक समय आध्यात्म का रास्ता चुन लिया." 

अभय सिंह ने बताया, "इंजीनियरिंग के दूसरे साल से ही मेरा क्रिएटिविटी को लेकर झुकाव होने लगा था. पहले इंटर्नशिप में मैं कैमरा लेकर पूरा उत्तराखंड घूमा था. दूसरी इंटर्नशिप के दौरान मैं हिमाचल में रहा. इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब काम आ रही है. अभी कुछ नहीं बन पाया हूं. जब जरूरत पड़ेगी तो अघोरी भी बन जाऊंगा."

बताया कैसे क्रैक किया IIT?
इंजीनियर बाबा ने इंटरव्यू में पारिवारिक झगड़े का जिक्र किया है. उन्होंने बताया, "परिवार में सब ठीक नहीं था. मां-बाप के बीच अक्सर झगड़े होते थे. इसका असर मुझपर पड़ा था. मैं इनसे दूर रहना चाहता था. झगड़ों से बचने के लिए मैं स्कूल से आकर शाम को ही सो जाता था और रात 12 बजे उठता था. तब तक बाकी लोग सो चुके होते थे. फिर घर पर फुल शांति रहती थी. जो करना चाहता था कर सकता था. मैं तभी पढ़ाई करता था."

इंजीनियर बाबा कहते हैं, "मां-बाप के झगड़ों की वजह से बच्चे में कई बार हेल्पलेस वाली कंडीशन हो जाती है. क्योंकि तब तक बच्चे की समझ डेवलप नहीं हुई होती है, उसे पता नहीं चल पाता है कि हो क्या रहा है और इस स्थिति में उसे कैसे रिएक्ट करना चाहिए. आप ऐसे केस में कहीं दूर चले जाना चाहते हैं, लेकिन जा नहीं सकते... मेरी हालत ऐसी हो गई थी."

गर्लफ्रेंड हुई, मगर शादी नहीं करना चाहा
इंटरव्यू में इंजीनियर बाबा अभय सिंह ने अपनी लव लाइफ पर भी बात की है. उन्होंने कहा, "मेरी भी गर्लफ्रेंड हुईं. हम 4 साल के आसपास साथ रहे. लेकिन शादी तक बात नहीं पहुंची. मैं मां-बाप के झगड़ों को देखकर शादी करना ही नहीं चाहता था. क्योंकि जिंदगी में वही सब झगड़े होते. इसलिए सोचा क्या करना है. अच्छा है अकेले रहो और खुश रहो." 

अभय सिंह बतात हैं, "गर्लफ्रेंड के साथ मेरा रिलेशन 4 साल तक रहा. इसी दौरान मैंने मेंटल हेल्थ को लेकर एक डॉक्युमेंट्री बनाई. इससे पुरानी चीजें मेरे अंदर रिवाइव हो गईं. मतलब वही घर का झगड़ा वगैरह... मैं ट्रॉमा में रहने लगा. मैंने उससे कहा कि अब मुझे कुछ भी महसूस नहीं होता. फिर ऐसे हमलोगों के रास्ते अलग हो गए. अब उसकी शादी भी हो चुकी है."

क्या ये स्थायी वैराग्य है?
इसके जवाब में अभय सिंह कहते हैं, "अगर मेरा वैराग्य स्थायी नहीं है, तो इसका मतलब ये हुआ कि मुझे जिंदगी से अभी मेरे सारे सवालों के जवाब नहीं मिले हैं. जो चीज ट्रांजिट होती है, वो सत्य नहीं है."

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