
- चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश की 115 राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द कर दी है, जिससे वे चुनाव लाभ खो देंगी
- मान्यता प्राप्त पार्टी को चुनाव चिन्ह, मुफ्त चुनाव सामग्री, और सार्वजनिक फंडिंग का अधिकार मिलता है
- मान्यता रद्द होने पर रिजर्व चुनाव चिन्ह, चुनाव प्रचार के लिए निर्धारित समय, स्थान का अधिकार नहीं मिलेगा
भारत में चुनाव के प्रोसेस को आसान और फेयर बनाने के लिए इलेक्शन कमीशन ने बड़ा कदम उठाया है. दरअसल आयोग ने यूपी की 115 राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द कर दी है. यानी पार्टियों को डीलिस्ट कर दिया गया है. इसके साथ ही ये राजनीतिक दल अब किसी भी तरह के लाभ को लेने की स्थिति में नहीं रहेंगे. इस खबर में आपको बताते हैं कि देश में अगर किसी राजनीतिक दल की मान्यता खत्म हो जाती है तो उसकों मिलने वाली कौन सी सुविधाएं वापस ले ली जाती हैं.
जब कोई पार्टी इलेक्शन कमीशन से मान्यता हासिल कर लेती है तो वो चुनाव चिन्ह, फ्री चुनाव सामग्री के साथ पब्लिक फंडिंग लेने का अधिकार हासिल कर लेती है. अगर इलेक्शन कमीशन किसी पार्टी की मान्यता रद्द कर दे तो ये सभी फैसिलिटी दल की खत्म हो जाती है.
मान्यता खत्म होने पर इन लाभों का नहीं ले पाएंगे फायदा
- रिजर्व चुनाव चिन्ह
मान्यता देते समय चुनाव आयोग हर पार्टी को एक रिजर्व चुनाव चिन्ह देता है, जिसे मतदाताओं के बीच पार्टी की एक अलग छवि बनती है. पर जब मान्यता वापस ली जाती है तो ये इस चुनाव चिन्ह का अधिकार भी पार्टी खो देती है.
- मुफ्त चुनाव सामग्री
इलेक्शन लड़ने के लिए चुनाव आयोग हर पार्टी को फ्री में चुनाव सामग्री देता है, जिसमें मतदाता सूची के साथ चुनावी घोषणा पत्र शामिल हैं. मान्यता खत्म होने के बाद पार्टी को चुनाव सामग्री के साथ मतदाता सूची नहीं दी जाती है.
- पब्लिक फंडिंग पर रोक
मान्यता मिलने के बाद पार्टी चुनाव लड़ने और अपने संगठन को चलाने के लिए पब्लिक से फंडिंग लेती है, जो मान्यता वापस होने के बाद सभी अधिकार खत्म हो जाते हैं.
- राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अधिकार
मान्यता प्राप्त पार्टी को राष्ट्रीय और राज्य स्तर के अधिकार मिलते हैं. इसके जरिए वो चुनाव लड़ने और राजनीतिक गतिविधियों को पूरा कर पाती हैं. पर जब मान्यता वापस ले ली जाती है तो ये सभी अधिकार खत्म हो जाते हैं.
- चुनाव प्रचार के लिए समय और स्थान
इलेक्शन कमीशन मान्यता प्राप्त वाली पार्टियों के लिए चुनाव प्रचार के लिए जगह और समय को मंजूरी देता है. पर जब डीलिस्ट किसी पार्टी को कर दिया जाता है तो इन सभी की मंजूरी लेने में बहुत समय लगता है.
क्यों चुनाव आयोग किसी पार्टी की रद्द करता है मान्यता
चुनाव आयोग के अनुसार अगर कोई राजनीतिक पार्टी 6 सालों तक चुनाव नहीं लड़ती है तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है. आयोग के पास पूरा अधिकार है कि वो इन पार्टियों को मिलने वाली सुविधाओं को खत्म कर दे. हालांकि पार्टियों को 30 दिन का अपील के लिए समय दिया जाता है.
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