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क्या है रेलवे का 'कवच सिस्‍टम', कैसे रोक सकता है पश्चिम बंगाल जैसा ट्रेन हादसा, जानें

Railway Kavach System: कई बार ड्राइवर की भूलवश या किसी तकनीकी खराबी के कारण कोई ट्रेन रेड सिग्नल क्रास कर जाती है. ऐसी स्थिति को खतरे में सिग्नल पास किया गया (SPAD) माना जाता है. ऐसे में कवच सिस्टम एक्टिव होकर ट्रेन में ऑटेमेटिकक ब्रेक्स को रिलिज करता है, जिससे ट्रेन की रफ्तार बेहद कम हो जाती है.

क्या है रेलवे का 'कवच सिस्‍टम', कैसे रोक सकता है पश्चिम बंगाल जैसा ट्रेन हादसा, जानें
कवच रेलवे सिस्‍टम को दिल्ली-गुवाहाटी रूट पर लगाए जाने की योजना है...
नई दिल्‍ली:

भारतीय रेलवे तेजी से अपना दायरा बढ़ा रही है. यह एशिया की सबसे बड़ी रेलवे है, जिसमें रोजाना लाखों यात्री सफर करते हैं. पश्चिम बंगाल के न्‍यू जलपाईगुड़ी के (West Bengal Train Accident) में हुए भीषण रेल हादसे के बाद रेलवे में सुरक्षा के लिए उपयोग होने वाला कवच सिस्‍टम (Kavach System) फिर चर्चा में है. कवच सिस्‍टम दिल्ली-गुवाहाटी रेलवे रूट पर लगाया जाना है, लेकिन फिलहाल नहीं है. अगर इस रूट पर कवच सिस्‍टम होता, तो शायद इस हादसे को रोका जा सकता था. रेलवे का यह कवच सिस्टम अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा बनाया गया है. आइए आपको बताते हैं कि क्‍या है कवच सिस्‍टम और कैसे ट्रेन हादसों को रोकने में ये हो सकता है मददगार.   

क्या होता है कवच सिस्‍टम

कवच सिस्टम एक स्वेदेशी एंटी प्रोटेक्शन सिस्टम (APS) है. इसे खासतौर पर रेल हादसे रोकने के लिए तैयार किया गया है, जिससे जान-माल का नुकसान न हो सके. कवच प्रणाली आपातकालीन स्थिति में खुद-ब-खुद ट्रेन को रोक सकती है यानि ब्रेक लगा सकती है. किसी भी कारणवश जब ट्रेन का ड्राइवर समय पर ब्रैक नहीं लगा पाता है, तक ये सिस्‍टम तुरंत एक्टिव हो जाता है. ऐसे में बड़े रेल हादसे होने से रुक सकते हैं. रेलवे इस सिस्‍टम को पूरे रेल नेटवर्क में स्‍थापित करने की योजना बना रही है. हालांकि, अभी तक बेहद कम रूट पर इसे लगाया जा सका है. 

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अभी कहां-कहां है कवच सिस्‍टम 

सीआरबी की जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि कवच रेलवे सिस्‍टम को दिल्ली-गुवाहाटी रूट पर लगाए जाने की योजना बनाई गई है. यह सुरक्षा रेलवे संगठन की पहली प्राथमिकता है. पश्चिम बंगाल के न्‍यू जलपाईगुड़ी में हुआ ट्रेन हादसा शुरुआत में मानवीय त्रुटि लगता है. हालांकि, पूछताछ के बाद पूरी कहानी सामने आएगी. हमें ह्यूमन एरर पर भी नियंत्रण रखना होगा. उन्‍होंने बताया कि कवच 1500 किमी में लगाया गया है. इस साल 3000 और किलोमीटर में कवच लग जाएगा. इस साल जो 3000 किमी में कवच लीज हैं, उनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है.
बता दें कि कवच सिस्‍टम लगाने एक महंगी प्रणाली है. वर्तमान में इसकी कवरेज लगभग 1,500 किलोमीटर तक सीमित है, जिससे 68,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क में इसे लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है. रेलवे मंत्रालय द्वारा बताया गया था कि अंतरिम बजट 2024-25 में रेलवे के में 'कवच' की स्थापना के लिए 557 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है.

कवच सिस्‍टम ऐसे करता है काम 

कई बार ड्राइवर की भूलवश या किसी तकनीकी खराबी के कारण कोई ट्रेन रेड सिग्नल क्रास कर जाती है. ऐसी स्थिति को खतरे में सिग्नल पास किया गया (SPAD) माना जाता है. ऐसे में कवच सिस्टम एक्टिव होकर ट्रेन में ऑटेमेटिकक ब्रेक्स को रिलिज करता है, जिससे ट्रेन की रफ्तार बेहद कम हो जाती है. इसके बाद कोई बड़ा हादसा होने से टल जाता है. वहीं, अगर कोई ट्रेन तय रफ्तार से तेज चल रही होती है, तब भी यह सिस्‍टम एक्टिव हो जाती है. मौसम खराब होने की स्थिति में भी यह सिस्‍टम बेहद मददगार साबित होता है. यह सिग्नल सिस्टम की मदद से लोको-पायलट की ट्रेन को ऑपरेट करने में भी मदद करता है. के ऑपरेशन में मदद करता है.

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पश्चिम बंगाल में रेल दुर्घटना

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में सोमवार को बड़ा रेल हादसा हो गया. न्यू जलपाईगुड़ी के रंगापानी स्टेशन के पास कंचनजंगा एक्सप्रेस पर पीछे से आ रही मालगाड़ी ने टक्कर मार दी. इस हादसे में 8 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई यात्रियों के घायल होने की भी खबर है. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि मालगाड़ी के इंजन से पीछे से टक्कर लगने के बाद कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन के पीछे के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए. उत्तर बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से लगभग 30 किलोमीटर दूर इस घटनास्थल पर बचाव कार्य जारी है और घायलों को निकटवर्ती अस्पतालों में पहुंचाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें :- प बंगाल में ड्राइवर ने तोड़ा सिग्नल, मालगाड़ी और कंचनजंगा एक्सप्रेस में आखिर कैसे हुई टक्कर?

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