तब जब सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना (Shiv sena) बनाम शिवसेना मामले को एक बड़ी संविधान पीठ के पास भेज दिया है, शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) का बार-बार जिक्र करने पर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को निशाना बनाया है. 'सामना' के संपादकीय में पूछा गया है कि, "आप बालासाहेब के नाम पर वोट क्यों मांग रहे हैं? क्या आपके मोदी युग, मोदी लहर का असर घटने लगा है?"
देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया है कि वे बालासाहेब ठाकरे के "सपने" को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं. इसे शिवसेना ने मुंबई में मराठी एकता को तोड़ने की एक चाल बताया. मुंबई में निकाय चुनाव होने वाले हैं.
फडणवीस ने 30 जून को उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. शिवसेना के एकनाथ शिंदे, जो कि अब राज्य के मुख्यमंत्री हैं, ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ पार्टी के 39 विधायकों के साथ बगावत की थी और नई सरकार बनाने के लिए बीजेपी से समर्थन ले लिया था.
'सामना' के संपादकीय में कहा गया है कि भाजपा के देवेंद्र फडणवीस जैसे नेता अब "बालासाहेब के सपने" को स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने 2014 में पार्टी से नाता तोड़ते हुए दिवंगत शिवसेना सुप्रीमो को याद नहीं किया. संपादकीय में कहा गया है कि 2019 में शिवसेना को मुख्यमंत्री पद की बात से पीछे हटते हुए उन्हें बालासाहेब के सपने याद नहीं थे.
मराठी दैनिक ने कहा, "फडणवीस के शब्द लोमड़ी के धोखेबाज निमंत्रण के समान हैं, और मुंबई और ठाणे के लोगों को सतर्क रहना चाहिए." दावा किया गया है कि भाजपा द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली 'ड्रीम ऑफ बालासाहेब' की भाषा और कुछ नहीं बल्कि मुंबई में मराठी एकता को तोड़ने की एक चाल है और इसके जरिए वे शिवसेना को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
'सामना' ने फडणवीस पर निशाना साधते हुए लिखा है कि, वह लगातार बालासाहेब के नाम का जाप कर रहे हैं. संपादकीय में पूछा गया है कि, "वह कह रहे हैं कि हमें बृहन्मुंबई नगर निगम चुनाव में वोट दें और हम (बीजेपी) बालासाहेब के सपनों को पूरा करेंगे. यह क्या दिखावा है? आप बालसाहेब का कौन सा सपना पूरा करने जा रहे हैं? आपका शिवसेना में फूट पैदा करने का सपना था, क्या यह बालासाहेब का सपना था?"
शीर्ष अदालत ने गुरुवार को संविधान पीठ के समक्ष शिवसेना के दावे के संबंध में याचिकाओं को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया और चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह शिंदे गुट की याचिका पर कोई आदेश पारित न करे.
चीफ जस्टिस एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, "मामले को परसों संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें और पीठ चुनाव आयोग की कार्यवाही से संबंधित चुनाव चिन्ह के बारे में सबसे पहले फैसला करेगी." पांच सदस्यीय संविधान पीठ गुरुवार को याचिका पर सुनवाई करेगी.
महाराष्ट्र : विभागों के बंटवारे में देवेंद्र फडणवीस का दबदबा, गृह और वित्त मंत्रालय मिला
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