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BMW हादसा: बस और एंबुलेंस को भी बनाया जाए आरोपी...  पटियाला हाउस में आरोपी गगनप्रीत के वकील ने दीं क्‍या-क्‍या दलीलें 

पटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को शनिवार तक के लिए टाल दिया है. कौर इस समय न्‍यायिक हिरासत में हैं.

  • बीएमडब्ल्यू क्रैश मामले में महिला आरोपी गगनप्रीत कौर सोमवार को गिरफ्तार हुईं और वह न्यायिक हिरासत में हैं.
  • हादसे में वित्त मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी नवजोत सिंह की मौत हुई जबकि पत्नी संदीप कौर गंभीर रूप से घायल हैं.
  • आरोपी के वकील ने डीटीसी बस और एंबुलेंस को भी दोषी करार देने की मांग कोर्ट में की है.
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नई दिल्‍ली:

बीएमडब्‍लू क्रैश मामले में बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट में महिला आरोपी गगनप्रीत के बचाव और उनकी जमानत के लिए दलीलें पेश की गईं. इस दलील में उनके वकील की तरफ से कहा गया कि जो घटना रविवार को हुई वह दुर्भाग्‍यपूर्ण थी लेकिन इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि पूरे देश में हर साल 5000 सड़क दुर्घटनाएं सामने आती हैं. गगनप्रीत कौर को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया गया है. उनकी तरफ से कहा गया है कि एक डीटीसी बस और उस एंबुलेंस को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए जो करीब से निकल गए थे. इस पूरे केस ने देश का ध्‍यान अपनी ओर खींचा है और लोगों में इसे लेकर काफी नाराजगी है. इस हादसे में वित्त मंत्रालय में डिप्‍टी सेक्रेटरी नवजोत सिंह की मौत हो गई है तो वहीं उनकी पत्नी संदीप कौर गंभीर रूप से घायल हैं. 

हर साल 5 हजार एक्‍सीडेंट 

कौर के वकील और सीनियर एडवोकेट रमेश गुप्‍ता की तरफ से ये टिप्‍पणियां उस समय की गईं जब वह इस मामले में जमानत के लिए अपील कर रहे थे. पटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को शनिवार तक के लिए टाल दिया है. कौर इस समय न्‍यायिक हिरासत में हैं. उनकी बीएमडब्‍लू ने उस मोटरसाइकिल को टक्‍कर मार दी थी जिसे नवजोत सिंह चला रहे थे. धौला कुंआ के पास हुए इस हादसे में उलकी पत्‍नी पीछे बैठी थीं. 

एडवोकेट गुप्‍ता ने कोर्ट में कहा, 'यह एक दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना थी. हर साल पांच हजार केस होते हैं और वो भी दुर्भाग्‍यपूण हैं.' वहीं उन्‍होंने यह भी जानना चाहा कि उस डीटीसी बस के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जबकि पुलिस का दावा है कि बीएमडब्ल्यू से टकराने के बाद ने बाइक, बस के नीचे आ गई थी. इसी तरह, उन्होंने आरोप लगाया कि एक एम्बुलेंस उस इलाके से गुजरी लेकिन उसने पीड़ितों की मदद करने से इनकार कर दिया.

एडवोकेट गुप्‍ता ने कहा, 'एक एंबुलेंस रुकी लेकिन उसने उन्‍हें ले जाने से मना कर दिया. ऐसे में तो वह भी दोषी हैं. पुलिस ने कहा कि क्रैश के बाद बाइक ने डीटीसी बस को टक्‍कर मारी लेकिन पुलिस ने उस बस को जब्‍त क्‍यों नहीं किया? केस 10 घंटे के बाद दर्ज क्‍यों किया गया? पुलिस बेहद दबाव में है तो वह कुछ भी कर सकती है. हम याचना करते हैं कि मामले में डिप्‍टी कमिश्‍नर को भी गवाह बनाया जाए.'

क्‍यों लगाई गई धारा 105 

आरोपी ने इस पूरे मामले में भारतीय न्‍याय संहिता के सेक्‍शन 105 लगाने के पुलिस के फैसले पर भी सवाल उठाया है. इस धारा के तहत जो कोई भी गैर-इरादतन हत्या करता है, उसे आजीवन कारावास या कम से कम पांच साल की कैद और 10 साल तक की सजा हो सकती है. उन्होंने कहा, 'भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (जो भारतीय दंड संहिता की धारा 105 के बराबर है) कैसे लगाई गई? जांच अधिकारी अच्छी तरह जानते हैं कि उप-धारा ए या बी को शामिल किया जाना चाहिए. मेरी समझ धारा 304 (2) से है, जो अदालत को मुझे जमानत देने का अधिकार देती है. वो कह रहे हैं कि पीड़ितों को दूर किसी अस्पताल में ले जाने पर धारा 304 लगती है.' 

क्‍यों ले गईं 19 किलोमीटर दूर 

वह आरोपी की तरफ से दोनों बाइक सवारों को दुर्घटनास्थल से 19 किलोमीटर दूर एक अस्पताल ले जाने के फैसले पर शुरुआती संदेह की ओर इशारा कर रहे थे. बाद में पता चला कि कौर के पिता उस अस्पताल के सह-मालिक हैं. इससे पुलिस को शक हुआ कि क्या मामले को दबाने या एविडेंसेज को बदलने या खत्‍म करने का प्रयास किया गया था. आरोपी के वकील ने कहा कि 'अगर मामला महिला का है तो आप मौत और उम्रकैद की सजा वाले मामलों में भी जमानत दे सकते हैं.' धारा 105 के अलावा, आरोपी पर बीएनएस की धारा 281 (तेज़ गति से गाड़ी चलाना) और धारा 125बी (दूसरों की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरे में डालना) के तहत भी आरोप लगाए गए हैं. 

खुद ICU में और घायल स्‍ट्रेचर पर! 

हालांकि अभियोजन पक्ष ने जानना चाहा कि आरोपी ने दुर्घटना के पांच घंटे बाद ही पुलिस को क्यों सूचित किया. उन्होंने कहा, 'अगर उसे पता था कि पीड़ित को इतनी गंभीर चोटें आई हैं, तो वह उन्हें नजदीकी अस्पताल क्यों नहीं ले गई.' दिल्ली पुलिस ने यह भी दावा किया कि आरोपी महिला घटना में घायल नहीं हुई थी. अभियोजन पक्ष ने कहा, 'गगनप्रीत अपने बच्चों को कार से बाहर निकालती हुई दिखाई देती है, लेकिन बाद में वह खुद आईसीयू में एडमिट हो जाती हैं.? यह कैसे संभव है? पीड़ितों को अस्पताल ले जाने के बाद, घायलों को बस स्ट्रेचर पर रखा जाता है, लेकिन जो व्यक्ति इधर-उधर भाग रहा था, उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया. ऐसा कैसे हुआ कि उसने दुर्घटना के कम से कम पांच घंटे बाद तक पुलिस को इनफॉर्म ही नहीं किया.' अभियोजन पक्ष ने बताया कि पीड़ितों को तुरंत अस्पताल पहुंचाने में मदद करने वाले कैब ड्राइवर ने भी कौर को उन्हें कहीं करीब के अस्‍पताल ले जाने की सलाह दी थी, लेकिन कौर ने उन्हें अपनी पसंद के अस्‍पताल में ले जाने पर जोर दिया. 

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