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This Article is From Aug 16, 2016

झुंड से बिछड़कर 1,700 किलोमीटर का सफर करने वाले असम के हाथी की बांग्लादेश में मौत

झुंड से बिछड़कर 1,700 किलोमीटर का सफर करने वाले असम के हाथी की बांग्लादेश में मौत
ढाका: माना जाता है कि यह हाथी बाढ़ के कारण अपने झुंड से बिछड़ जाने के बाद कम से कम 1,000 मील (लगभग 1,610 किलोमीटर) का सफर तय कर बांग्लादेश पहुंचा था, जहां मंगलवार को उसे बचाने की ढेरों कोशिशों के बाद उसकी मौत हो गई है.

दरअसल, यह परेशान हाथी जून माह के अंत में सीमा पार से बहकर भारत से बांग्लादेश पहुंचा था, और इसे बांग्लादेश के सफारी पार्क में भेजे जाने की कोशिशों के तहत इसे तीन बार बेहोशी को इंजेक्शन भी दिया गया.

अधिकारियों के अनुसार, बांग्लादेश के उत्तरी हिस्से में मौजूद गांव में उसे बचाने की कोशिशों के दौरान उसे बड़ी मात्रा में सैलाइन भी दिया गया, और धान के खेतों में ज़ंजीरों से बांधकर रखा गया, लेकिन जिस संकट से गुज़रकर आया था, उससे वह 'बेहद कमज़ोर हो चुका था और थक चुका था...'

सरकार के मुख्य वन्यजीवन संरक्षक अशित रंजन पॉल ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हाथी ने सुबह लगभग 7 बजे (0100 बजे जीएमटी) अंतिम सांस ली..."
 

अशित रंजन पॉल के मुताबिक, हाथी ने भीषण बाढ़ के चलते झुंड से बिछड़ जाने के बाद भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से यहां तक शायद 1,060 मील (लगभग 1,706 किलोमीटर) का सफर किया. यह हाथी पिछले गुरुवार को उस समय एक तालाब में जा गिरा था, जब बांग्लादेश वन अधिकारियों ने इसे बेहोश करने के लिए इस पर डार्ट दागा था. इसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने तालाब में कूदकर चार टन वज़न वाले इस पशु को डूबने से बचाया.

स्थानीय मीडिया ने हाथी की मौत की वजह ज़रूरत से ज़्यादा ट्रांक्विलाइज़र (बेहोशी की दवा) दिए जाने को बताया है, और कहा है कि वह इतना कमज़ोर हो गया था कि खड़ा भी नहीं रह पा रहा था.

लेकिन अशित रंजन पॉल के मुताबिक, हाथी ने जो लंबा सफर किया, वही उसकी मौत के लिए ज़िम्मेदार है. इसके अलावा उन्होंने हज़ारों ग्रामीणों के हाथी के पीछे-पीछे घूमते रहने को भी गलत बताया.

उन्होंने कहा, "अंत में, वह इतना लंबा सफर करने की वजह से बहुत ज़्यादा थक चुका था... वह अपने झुंड से लगभग दो महीने से अलग था, और उसे ज़रूरी पोषक तत्व भी नहीं मिल पाए थे..."

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