सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमन्ना (Justice N V Ramana) ने दल-बदल कानून (Anti Defection Law) के तहत किसी भी स्पीकर को मामले में निर्णय लेने में किसी भी सीमय-सीमा में बांधने से इनकार किया है. कोर्ट ने कहा कि सांसदों या विधायकों के अयोग्यता के मुद्दों पर फैसला करने के लिए कोर्ट स्पीकर के लिए समय-सीमा तय नहीं कर सकता. यह संसद का काम है.
याचिकाकर्ता रणजीत मुखर्जी के वकील ने तर्क दिया कि अयोग्यता याचिकाओं पर स्पीकर सालों से बैठे रहते हैं. लिहाजा, इस पर समयबद्ध निर्णय होना चाहिए. इस पर CJI एन वी रमना ने कहा, "हम कानून कैसे बना सकते हैं? यह सदन का विशेषाधिकार है. हम संसद को यह तय करने के लिए कोई समय-सीमा नहीं दे सकते. हमने कर्नाटक के फैसले में भी यही राय व्यक्त की थी."
CJI ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या उन्होंने कर्नाटक विधायक मामले में शीर्ष अदालत द्वारा तय किया गया फैसला पढ़ा? तब वकील ने कहा- नहीं. इस पर CJI ने कहा, "पहले फैसला पढ़ें, फिर वापस आएं."
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CJI रमन्ना ने कहा कि कर्नाटक के फैसले में भी यही राय व्यक्त की गई थी. तब भी यह मुद्दा उठाया गया था और सिब्बल इसी तर्क के साथ आए थे लेकिन हमने इसे संसद पर छोड़ दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है.
याचिका में राजनीतिक दलबदल से संबंधित मामलों को तय करने में अपने-अपने सदनों के अध्यक्षों / अध्यक्षों की ओर से दुर्भावना से देरी की प्रथा को देखे जाने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया है कि सदनों के अध्यक्षों / पीठासीन अधिकारियों के आचरण को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करने और एक समय सीमा प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है, जिसके भीतर उन्हें सार्थक रूप से लागू करना चाहिए.
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