इराक के तिकरित स्थित एक सरकारी अस्पताल में बतौर नर्स सेवा दे रही मरीना जोज़ ने अपने जैसी केरल की 45 अन्य नर्सों का दर्द बयान किया है। मरीना ने एनडीटीवी से कहा, 'हम यह अस्पताल परिसर के भीतर कैदियों की तरह रह रहे हैं। यहां कोई भी इराकी कर्मचारी नहीं है। परसों रेड क्रॉस का एक दल यहां आया था और वे हमारे सिम कार्ड रिचार्ज कर गए।'
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनके लिए केरल में अपने परिवार से संपर्क करने में काफी मुश्किल हो रही है। उन्होंने कहा, 'हम भयभीत हैं, क्योंकि यहां हमारे पास कोई सुरक्षा नहीं है। सभी सैनिक, पुलिस, हर कोई यहां से भाग गए हैं। यहां सिर्फ हम ही बचे हैं।'
गौरतलब है कि इराकी सरकार के खिलाफ जंग छेड़े सुन्नी चरमपंथियों ने तिरकित पर कब्जा कर रखा है।
इराक के हिंसा प्रभावित शहरों में फंसी केरल की नर्सों और छात्रों के परिजनों की चिंता के बीच केरल सरकार ने आज कहा कि वह उनकी सुरक्षित रिहाई के लिए जो भी संभव हो सकता है वह कर रही है।
राज्य विधानसभा में यह मुद्दा उठने पर प्रवासी केरलवासी मामलों के मंत्री के सी जोसफ ने कहा कि सरकार के पास सूचना है कि इराक के अशांत तिकरित में फंसी 44 नर्सें सुरक्षित हैं।
इराक स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार उन्हें तभी खाली कराया जा सकता है, जब उनके अस्पताल से नजदीकी हवाई अड्डे की सड़क को खतरे से मुक्त करा दिया जाए क्योंकि इलाके में भारी बमबारी हो रही है। उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल रेड क्रीसेंट के अधिकारियों के एक समूह के अनुसार नर्सें सुरक्षित हैं। इन अधिकारियों ने कल रात मुलाकात की थी।
इराक में हालात को गंभीर बताते हुए उन्होंने बताया कि अनेक स्थान आईएसआईएल आतंकवादियों के नियंत्रण में हैं। राज्य की एनआरके एजेंसी नोरका के तहत सातों दिन और चौबीस घंटे काम करने वाला हेल्पलाइन स्थापित किया गया है ताकि हालात पर अद्यतन सूचना प्रदान की जा सके।
मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने पहले ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिखकर हिंसा प्रभावित इराक के इलाकों से केरलवासियों को सुरक्षित निकालने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि इन फंसी हुई नर्सों में से 36 तत्काल स्वदेश वापसी को उत्सुक हैं।
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