
विजय रूपाणी अब नहीं रहे. उनका डीएनए मैच हो चुका है. राजकोट में उनका अंतिम संस्कार होगा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़े तो जिंदगी भर उसी के हो लिए. संघ से जनसंघ और फिर बीजेपी का उनका सफर बहुत आसान नहीं रहा. एक कार्यकर्ता के तौर पर समर्पण से काम और धैर्य ने उन्हें अपने प्रदेश की सबसे बड़ी पोस्ट तक पहुंचा दिया. वो भी ऐसे समय, जब पार्टी बहुत मुश्किल में थी. पाटीदार आंदोलन के कारण बीजेपी गुजरात के अंदर मुश्किल में थी और ऐसे समय रूपाणी ने बेहद धैर्य के साथ शासन को संभाला और पार्टी को जीत का तोहफा दे दिया. फिर पार्टी की खातिर पद का त्याग भी कर दिया.
संघ से रिश्ता कभी नहीं छूटा
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के जिंदगी का तो ये सिर्फ एक पक्ष था. विजय रूपाणी का जन्म भी भारत में नहीं हुआ था. 2 अगस्त 1956 को म्यांमार (तत्कालीन बर्मा) के यांगून शहर में उनका जन्म हुआ. वो सात भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. उनके पिता वहां व्यापार के लिए गए थे. हालांकि, 1960 में म्यांमार में हुए राजनीतिक उथल-पुथल शुरू हुआ तो परिवार को वापस भारत लौटना पड़ा और गुजरात के राजकोट शहर में बस गया. सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की और इसी दौरान संघ की छात्रविंग एवीबीपी से जुड़ गए. संघ से रिश्ता ऐसा जुड़ा कि फिर कभी नहीं छूटा.
विजय रुपाणी कब किस पोस्ट पर रहे
शादी में भी संघ की भूमिका
1971 में संघ के साथ पूरी तरह जुड़ गए. पार्षद से सीएम तक का सफर तय किया. राज्यसभा के सांसद के भी रहे. उनकी शादी का भी दिलचस्प किस्सा है. उनकी पत्नी का नाम अंजलि रूपाणी है. आपको बता दें कि आरएसएस कार्यकर्ता आमतौर पर एक-दूसरे के घर पर ही रुकते हैं. उनके ससुर अहमदाबाद में जनसंघ के साथ जुड़े थे. विजय रूपाणी संघ से जुड़े काम के सिलसिले में उनके घर आते-जाते थे. यहीं आते-जाते अंजलि से उन्हें प्यार हुआ और दोनों परिवारों की रजामंदी से शादी हुई. अंजलि बीजेपी की गुजरात ईकाई की महिला विंग से जुड़ी रहीं.उनके दो बेटे और एक बेटी हैं.
विजय रूपाणी के लकी नंबर का राज
बेटे गया तो लाखों की मदद की
मगर जैसे जन्म के बाद देश छोड़ना पड़ा, वैसे ही जिंदगी उन्हें और भी झटके दे रही थी. उनके पहले बच्चे पुजित रुपाणी का 3 साल की उम्र में निधन हो गया. इस दर्द से कोई आम इंसान होता तो टूट कर बिखर जाता, मगर वो विजय रूपाणी थे. इस दुख को सहा और जितने भी घर खरीदे, सभी को उन्होंने पुजित नाम दिया. पुजित नाम से गरीब बच्चों के लिए संगठन भी चलाते थे. उन्होंने आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चों के लिए भी काफी काम किया.
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