विजय माल्या की फाइल तस्वीर
मुंबई:
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि कारोबारी विजय माल्या ने अपनी कंपनी का नाम 'किंगफिशर' सही रखा था, क्योंकि इस नाम के पक्षी की तरह वह भी बिना किसी सीमा की चिंता किए उड़कर दूर चले गए. न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला की पीठ ने सेवा कर विभाग द्वारा दाखिल एक अपील और एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने कहा, 'क्या किसी को मालूम है कि उन्होंने (माल्या ने) अपनी कंपनी का नाम किंगफिशर क्यों रखा? इतिहास में कोई भी इस कंपनी के लिए इससे बेहतर नाम नहीं रख सकता था, क्योंकि किंगफिशर एक पक्षी है, जो दूर तक उड़ सकता है...इसे कोई सीमा नहीं रोक सकती, जैसे कोई भी उन्हें (माल्या को) नहीं रोक सका.' अदालत ने सेवा कर विभाग की अपील को स्वीकार कर लिया, जिसमें ऋण वसूली प्राधिकरण द्वारा 2014 में दिए गए एक आदेश को चुनौती दी गई है. अदालत इस पर बाद के चरण में सुनवाई करेगी.
विभाग द्वारा की गई अपील के अनुसार माल्या पर किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा यात्रियों को अप्रैल 2011 से सितंबर 2012 के बीच बेचे गए टिकटों पर 32.78 करोड़ रुपये का सेवा कर बकाया है. विभाग का माल्या पर कुल बकाया 532 करोड़ रुपये का है.
अपनी दूसरी याचिका में विभाग ने माल्या के निजी विमान की नीलामी बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है, क्योंकि सबसे बड़े बोलीदाता ने जो बोली लगाई है, वह विमान की कुल लागत का सिर्फ 80 प्रतिशत ही है. अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए 26 सितंबर की तारीख तय की है. विभाग ने माल्या के जेट एयरबस 319 को जब्त कर लिया है, जिसमें 25 यात्री और चालक दल के छह सदस्य यात्रा कर सकते हैं.
विभाग द्वारा इसी साल मई में एक नोटिस जारी कर नीलामी का विज्ञापन दिया गया था. विमान को विशिष्ट रूप से बेहतरीन सुविधाओं से लैस बताया गया था जिसमें कांफ्रेंस रूम, मीटिंग रूम आदि भी हैं. बंद हो गई कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस के अध्यक्ष माल्या 17 बैंकों की 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि का भुगतान नहीं करने के कारण कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. वह मार्च में देश छोड़कर चले गए थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने कहा, 'क्या किसी को मालूम है कि उन्होंने (माल्या ने) अपनी कंपनी का नाम किंगफिशर क्यों रखा? इतिहास में कोई भी इस कंपनी के लिए इससे बेहतर नाम नहीं रख सकता था, क्योंकि किंगफिशर एक पक्षी है, जो दूर तक उड़ सकता है...इसे कोई सीमा नहीं रोक सकती, जैसे कोई भी उन्हें (माल्या को) नहीं रोक सका.' अदालत ने सेवा कर विभाग की अपील को स्वीकार कर लिया, जिसमें ऋण वसूली प्राधिकरण द्वारा 2014 में दिए गए एक आदेश को चुनौती दी गई है. अदालत इस पर बाद के चरण में सुनवाई करेगी.
विभाग द्वारा की गई अपील के अनुसार माल्या पर किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा यात्रियों को अप्रैल 2011 से सितंबर 2012 के बीच बेचे गए टिकटों पर 32.78 करोड़ रुपये का सेवा कर बकाया है. विभाग का माल्या पर कुल बकाया 532 करोड़ रुपये का है.
अपनी दूसरी याचिका में विभाग ने माल्या के निजी विमान की नीलामी बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है, क्योंकि सबसे बड़े बोलीदाता ने जो बोली लगाई है, वह विमान की कुल लागत का सिर्फ 80 प्रतिशत ही है. अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए 26 सितंबर की तारीख तय की है. विभाग ने माल्या के जेट एयरबस 319 को जब्त कर लिया है, जिसमें 25 यात्री और चालक दल के छह सदस्य यात्रा कर सकते हैं.
विभाग द्वारा इसी साल मई में एक नोटिस जारी कर नीलामी का विज्ञापन दिया गया था. विमान को विशिष्ट रूप से बेहतरीन सुविधाओं से लैस बताया गया था जिसमें कांफ्रेंस रूम, मीटिंग रूम आदि भी हैं. बंद हो गई कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस के अध्यक्ष माल्या 17 बैंकों की 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि का भुगतान नहीं करने के कारण कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. वह मार्च में देश छोड़कर चले गए थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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