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2 hours ago
नई दिल्ली:

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद देश में एक बार फिर उपराष्ट्रपति का चुनाव हो रहा है. यह चुनाव न सिर्फ संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा की राजनीति के लिहाज़ से अहम है, बल्कि इसके नतीजे आने वाले वर्षों की संसदीय कार्यवाही को भी प्रभावित कर सकते हैं. भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत होता है. इलेक्टोरल कॉलेज यानी केवल लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित व नामांकित सदस्य ही वोट डालते हैं. चुनाव की प्रक्रिया गोपनीय मतपत्र (Secret Ballot) से होती है. 

जीतने के लिए उम्मीदवार को कुल वैध मतों का 50% से अधिक हासिल करना ज़रूरी होता है. उपराष्ट्रपति पद का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है और यह देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है.

इस चुनाव में एनडीए की तरफ से सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया गया है. एनडीए की कोशिश है कि उन्हें विपक्ष की ओर से कड़ी चुनौती न मिले और उनके उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हों. इसी रणनीति के तहत वरिष्ठ भाजपा नेता राजनाथ सिंह विपक्षी दलों से संपर्क साध रहे हैं. वहीं विपक्ष की तरफ से चुनाव को लेकर बैठकों का दौर जारी है. विपक्ष की तरफ से बी सुदर्शन रेड्डी के उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना है. 

                               Live Update

बी सुदर्शन रेड्डी को विपक्ष ने बनाया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार

तेदेपा नेता ने उपराष्ट्रपति पद के लिए सी. पी. राधाकृष्णन का समर्थन किया

 तेलुगु देशम पार्टी के महासचिव और आंध्र प्रदेश के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री नारा लोकेश ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन से मुलाकात की और अपना समर्थन व्यक्त किया.  यहां जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पार्टी नेताओं और सांसदों के साथ राधाकृष्णन से मिले लोकेश ने कई राज्यों के राज्यपाल के रूप में उनके व्यापक प्रशासनिक अनुभव की सराहना की. 

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राधाकृष्णन का ‘‘अनुशासन, दृढ़ता और सेवाभावी नेतृत्व युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा और आने वाले वर्षों में राष्ट्र को लाभान्वित करेगा.’’

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