
- देश के 15वें उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मंगलवार को वोटिंग होगी और परिणाम की घोषणा भी हो जाएगी.
- एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के उम्मीदवार जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी के बीच मुकाबला है.
- नंबर गेम एनडीए के पक्ष में है, लेकिन पार्टियां व्हिप जारी नहीं कर सकतीं, इसलिए चुनाव दिलचस्प बना हुआ है.
देश के 15वें उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए आज मंगलवार को वोटिंग होनी है और आज ही नतीजे घोषित किए जाएंगे. यानी आज पता चल जाएगा कि देश का 15वां उपराष्ट्रपति कौन होगा. 74 साल के जगदीप धनखड़ 14वें उपराष्ट्रपति थे, जो अगस्त 2022 से पद पर थे, लेकिन 10 अगस्त 2027 तक अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही 21 जुलाई की शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था. इस वजह से पद खाली हुआ और चुनाव हो रहे हैं. चुनाव में आमने-सामने हैं, एनडीए की ओर से सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष की ओर से जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी.
नंबर गेम एनडीए के पक्ष में है, इसके बावजूद चुनाव दिलचस्प बना हुआ है. कुल 782 प्रतिनिधि वोट देने वाले हैं, जिनमें से 420 से ज्यादा वोट एनडीए के पक्ष में दिख रहे हैं, जबकि इंडिया ब्लॉक के पास 312 वोट. चुनाव में शामिल नहीं होने के ऐलान के चलते 48 वोट ऐसे हैं, जो दोनों में से किसी के पक्ष में नहीं है. तस्वीर कुछ घंटों में साफ हो जाएगी.
पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही अपने-अपने अनुसार मजबूत कैंडिडेट उतारे हैं. सीपी राधाकृष्णन और जस्टिस रेड्डी में कुछ हद तक समानताएं भी हैं तो कुछ मसलों में दोनों एक-दूसरे के बिल्कुल उलट हैं.

दोनों उम्मीदवार दक्षिण से
भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन का चुनाव दक्षिण भारत से किया है. राधाकृष्णन तमिलनाडु के तिरुपुर से आते हैं. वे ओबीसी समुदाय से हैं. तमिलनाडु में अगले साल चुनाव भी होने वाले हैं, इस लिहाज से भी 'तमिलनाडु के मोदी' कहे जाने वाले राधाकृष्णन का चयन महत्वपूर्ण है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया ब्लॉक ने भी दक्षिण बनाम दक्षिण की लड़ाई रखी है. इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार जस्टिस रेड्डी भी दक्षिण भारत से हैं. वो आंध्र प्रदेश में सामान्य जाति से आते हैं.
पॉलिटिकल बनाम नॉन पॉलिटिकल
सीपी राधाकृष्णन राजनीति में चार दशक से ज्यादा का अनुभव रखते हैं. संघ (RSS) से उनका गहरा नाता रहा है. महज 16 वर्ष की आयु में ही वो संघ से जुड़े और बाद में जनसंघ में शामिल हुए. पार्टी संगठन में भी वो अहम भूमिकाओं में रहे हैं. वो बीजेपी के टिकट पर कोयंबटूर से दो बार सांसद रहे हैं. झारखंड, तेलंगाना और पुडुचेरी के राज्यपाल के रूप में सेवा दे चुके हैं और फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं.
जस्टिस रेड्डी का राजनीति से अबतक कोई लेना-देना नहीं रहा है. उनका पूरा करियर वकालत करते और जज की कुर्सी पर बीता है. 1971 में आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत होने के बाद उन्होंने वकालत की. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में जज रहे, फिर गुवाहाई हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए गए आर फिर सुप्रीम कोर्ट के जज बनकर 2011 में रिटायर हुए.


दोनों का गेमप्लान
सीपी राधाकृष्णन के रूप में एनडीए ने अपनी विचारधारा और राजनीतिक मूल्य वाले व्यक्ति का चयन किया. राधाकृष्णन, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से कई मायनों में अलग हैं. वो न केवल पार्टी लाइन के व्यक्ति हैं, बल्कि संघ और बीजेपी के अनुशासन से पूरी तरह वाकिफ हैं. साथ ही संघ और बीजेपी दोनों के सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों में भी रचे-बसे व्यक्ति हैं. चुनावी राज्य तमिलनाडु से और ओबीसी समुदाय से उम्मीदवार चुनना, भाजपा और एनडीए की स्ट्रैटजी दिखाता है.
वहीं दूसरी ओर, विपक्ष की रणनीति थी कि गैर-राजनीतिक और उच्च साख वाले चेहरे को मैदान में उतारा जाए. जस्टिस रेड्डी के रूप में विपक्ष ने उम्मीदवार का चयन करते समय टीएमसी, डीएमके जैसे सहयोगी दलों का ध्यान रखा. DMK दक्षिण भारत से उम्मीदवार चाहता था, जबकि TMC की मांग गैर-राजनीतिक चेहरे की थी. जस्टिस रेड्डी दोनों ही शर्तें पूरी करते हैं. सूत्रों के मुताबिक, यह केवल इंडिया ब्लॉक नहीं बल्कि पूरा विपक्षी उम्मीदवार होगा.



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