AMU के कुलपति प्रो तारिक मंसूर बने MLC, दिल्ली में भी अहम रोल दे सकती है केंद्र सरकार

एएमयू के वीसी तारिक मंसूर के एमएलसी बनने के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गईं है कि उन्हें दिल्‍ली में भी अहम रोल दिया जा सकता है.

AMU के कुलपति प्रो तारिक मंसूर बने MLC, दिल्ली में भी अहम रोल दे सकती है केंद्र सरकार

एएमयू के पहले भी कई वीसी कार्यकाल खत्म होने पर देश के बड़े पदों पर पहुचे हैं

नई दिल्‍ली:

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने योगी सरकार द्वारा भेजे गए यूपी विधान परिषद के लिए 6 नामों के नियुक्ति प्रस्ताव को सोमवार को मंजूरी दे दी. इसमें सबसे अहम नाम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. तारिक मंसूर का है. एएमयू के वीसी तारिक मंसूर के एमएलसी बनने के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गईं है कि उन्हें दिल्‍ली में भी अहम रोल दिया जा सकता है. चर्चा ये भी है कि उन्‍हें किसी आयोग का चैयरमेन बनाया जा सकता है. 

एमएलसी मनोनयन की अधिसूचना जारी होने के बाद यह भी चर्चा है कि प्रो. तारिक मंसूर जल्‍द एएमयू के कुलपति पद से अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज सकते हैं. दरअसल,  अब तक बीजेपी के पास कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा नहीं था. दरअसल, भाजपा प्रो. तारिक मंसूर के जरिए मुसलमानों को साधना चाहती है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो 2024 के चुनाव के पहले उन्हें दिल्‍ली में भी अहम रोल दिया जा सकता है. 

एएमयू के पहले भी कई वीसी कार्यकाल खत्म होने पर देश के बड़े पदों पर पहुचे हैं. इसमें एक बड़ा नाम जाकिर हुसैन हैं. ये वाइस चांसलर बनने के बाद बिहार के राज्यपाल बने. इसके बाद वह देश के राष्ट्रपति भी बने. वहीं, एक नाम और आता है. नुरुल हसन. ये इतिहास के प्रोफेसर थे, इन्हें केंद्र में शिक्षा मंत्री बनाया गया. कांग्रेस ने वीसी रहे हामिद अंसारी को उपराष्ट्रपति पद की कमान सौपी थी.

तारिक मंसूर लगातार 11 साल तक रहे प्रोफेसर 
एएमयू के मौजूदा वाइस चांसलर प्रोफेसर तारिक मंसूर  का जन्म 20 सितंबर 1956 में स्व. प्रो हफीजुल रहमान के यहां हुआ था. इसके बाद उन्होंने 1978 में एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और 1982 में एमएस किया. साल 1980 से 1983 तक जेएन मेडिकल कॉलेज में क्लिनिकल रजिस्ट्रार के रूप में उन्होंने एमबीबीएस के बच्चों को शिक्षा दी. इसके बाद चांसलर मंसूर 1983 से 1985 तक मेडिकल कॉलेज के सीएमओ रहे. साल 1985 से 1986 तक सऊदी अरेबिया में किंग फहर टीचिंग हॉस्पिटल में बतौर सर्जिकल स्पेशलिस्ट काम किया. इसके बाद 1986 से 1993 तक जेएन मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे. साल 1993 से 2001 तक एसोसिएटेड प्रोफेसर रहे. आपको बता दें कि साल 2002 से 2013 तक वह लगातार 11 साल तक प्रोफेसर रहे. बाद में वह साल 2013 से 2017 तक मेडिकल के प्रिंसिपल और सीएमएस रहे. साल 2017 से अब तक वह एएमयू के कुलपति हैं.

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