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This Article is From Sep 08, 2022

वेटरेनरी डॉक्‍टरों और जागरूकता की कमी Lumpy Virus से निपटने के रास्ते में बन रही रोड़ा

सरकार लंपी बीमारी के मद्देनजर युद्ध स्तर पर टीकाकरण करने की बात कह रही है. दूसरी तरफ कई राज्यों में पशु चिकित्सकों की भारी कमी है. उत्तर प्रदेश में 600 और राजस्थान में 1200 पशु चिकित्सक कम हैं.  

वेटरेनरी डॉक्‍टरों और जागरूकता की कमी  Lumpy Virus से निपटने के रास्ते में बन रही रोड़ा
लंपी से बचाव के लिए मवेशियों को टीका देने का काम तेजी से चल रहा है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

मवेशियों को होने वाली लंपी बीमारी अब राजस्थान, गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश के अलावा आंध्र प्रदेश में भी सामने आ रही है.  लेकिन लोगों के भीतर टीका से लेकर लंपी से मरने वाले मवेशियों के शव को लेकर तमाम तरह की शंकाएं हैं. लंपी बीमारी में कोविड जैसे प्रोटोकॉल अपनाने को बोला जा रहा है. ऐसा क्यों कहा जा रहा है, इस खबर में समझें. 

लंपी वायरस ने 12 लाख से ज्यादा मवेशियों को अपनी चपेट में ले रखा है. ये बीमारी अब दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश में भी पैर पसार रही है. लेकिन राजस्थान में लंपी से मरे मवेशियों की तस्वीरें वायरल होने के बाद सरकारी आंकड़ों पर सवाल उठ रहे हैं. राजस्थान में लंपी से मरे मवेशियों के शवों को फेंकने पर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को फटकार भी लगाई है.  

लंपी से बचाव के लिए मवेशियों को टीका देने का काम तेजी से चल रहा है. मवेशियों को गॉटपॉक्स टीका फिलहाल दिया जा रहा है. लेकिन महाराष्ट्र जैसे राज्य में तीन एमएल और उत्तर प्रदेश में 1 एमएल टीका देने पर कई सरकारी और निजी पशु चिकित्सकों में असमंजस की स्थिति है. हालांकि, पशुपालन मंत्री का कहना है किस जहां रोग का प्रसार ज्यादा है, केवल वहीं 3 एमएल का टीका दिया जा रहा है.  

हालांकि, पशु चिकित्सा अधिकारी संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार शुक्ला ने कहा, " चिकित्सकों में भ्रम है कि 3 एमएल दवा दें या 1 एमएल. इस बाबत सरकार को स्पष्ट निर्देश देने चाहिए.  

केंद्रीय पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा, " मैंने राजस्थान सरकार से कहा कि इस तरह फोटो छपवाने से रोग की भयावहता का प्रचार होगा. शवों का संस्कार कोविड प्रोटोकॉल जैसा होना चाहिए. टीका को लेकर कोई भ्रम नहीं है. जहां लंपी का प्रसार ज्यादा है, वहां तीन एमएल का डोज और जहां संक्रमण अभी नहीं फैला है वहां 1 एमएल का चिकित्सक डेज दें. ये गाइडलाइन सभी को भेजा गया है.  

बता दें कि सरकार लंपी बीमारी के मद्देनजर युद्ध स्तर पर टीकाकरण करने की बात कह रही है. दूसरी तरफ कई राज्यों में पशु चिकित्सकों की भारी कमी है. उत्तर प्रदेश में 600 और राजस्थान में 1200 पशु चिकित्सक कम हैं.  

गौरतलब है कि भारत के दूध उत्पादन में दुनिया भर में अव्वल होने के बावजूद हम दूध से बने प्रॉडक्ट का महज 1 फीसदी ही निर्यात कर पाते हैं. अब विदेशों में निर्यात का सरकारी लक्ष्य तो भारीभरकम है लेकिन उसके लिए जरूरी फंड और पशुओं की बीमारी से निपटने वाले चिकित्सकों की भारी कमी है. 

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