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This Article is From Apr 12, 2023

वेदांता ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट से झटका, यूनिवर्सिटी के लिए ओडिशा के पुरी में 6000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण रद्द

 फैसले में जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा कि ओडिशा की प्रमुख भूमि में 6000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण "निजी कंपनी के लिए उदारता" दिखाना था. इसमें सभी नियमों का उल्लंघन किया गया था.

वेदांता ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट से झटका, यूनिवर्सिटी के लिए ओडिशा के पुरी में 6000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले में ओडिशा सरकार के फैसलों पर भी सवाल उठाया
नई दिल्ली:

वेदांता ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है.  वेदांता यूनिवर्सिटी के लिए ओडिशा के पुरी में 6000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण रद्द कर दिया गया है. जमीन अधिग्रहण प्रस्ताव को लेकर अनिल अग्रवाल फाउंडेशन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा हाईकोर्ट के जमीन अधिग्रहण को रद्द करने के फैसले पर मुहर लगाई है. हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार पर भी निशाना साधा है. 

 फैसले में जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा कि ओडिशा की प्रमुख भूमि में 6000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण "निजी कंपनी के लिए उदारता" दिखाना था. इसमें सभी नियमों का उल्लंघन किया गया था. इससे पारिस्थितिकी को नुकसान होगा. लाभार्थी कंपनी को अनुचित लाभ पेश किया गया है.  प्रशासन, प्रवेश, शुल्क संरचना, पाठ्यक्रम और संकाय चयन के संबंध में वेदांता विश्वविद्यालय और इसके अधिकारियों को पूर्ण स्वायत्तता दी गई. 

वेदांता ग्रुप को सरकार की तरफ से मिले थे कई लाभ

अदालत ने कहा कि प्रस्तावित विश्वविद्यालय को राज्य सरकार के किसी भी आरक्षण कानून से पूर्ण छूट प्राप्त होगी. यूजीसी, एआईसीटीई आदि से नियामक अनुमोदन प्राप्त करने में सहायता दी जाएगी. सरकार भुवनेश्वर शहर से प्रस्तावित स्थल तक 4-लेन सड़क प्रदान करने पर सहमत हुई थी. समझौते के अनुसार, सरकार वेदांता से परामर्श के बाद ही विश्वविद्यालय की सीमा से 5 किमी के दायरे में भूमि उपयोग/क्षेत्रीय योजना बनाने पर भी सहमत हुई थी.  सरकार ने सभी राज्य शुल्कों/करों/शुल्कों से छूट देने का भी वादा किया था अर्थात  वैट, वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट टैक्स, स्टाम्प ड्यूटी और एंट्री टैक्स में छूट थी.

"सरकार ने अनुचित लाभ की पेशकश क्यों की?"

अनुसंधान एवं विकास उपकरण, शैक्षिक सहायक उपकरण, प्रयोगशाला उपकरण और उपकरण, और निर्माण सामग्री पर भी समझौता किया गया था. अदालत ने कहा कि यह सराहनीय नहीं है कि सरकार ने एक ट्रस्ट/कंपनी के पक्ष में इस तरह के अनुचित लाभ की पेशकश क्यों की. इस प्रकार, संपूर्ण अधिग्रहण की कार्यवाही और लाभ, जो राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित किए गए थे, पक्षपातपूर्ण थे और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन था. 

"यह अपील खारिज किए जाने योग्य हैं"

कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहित की जाने वाली भूमि 6000 परिवारों की कृषि भूमि है और उनकी आजीविका का एकमात्र स्रोत कृषि भूमि है. जिसकी भरपाई धन के रूप में नहीं की जा सकती है. इसलिए प्रस्ताव को सिरे से खारिज किया जाना चाहिए.  ये सभी अपीलें विफल हो जाती हैं और वे खारिज किए जाने के योग्य हैं.अपीलकर्ता - लाभार्थी कंपनी - अनिल अग्रवाल फाउंडेशन द्वारा आज से छह सप्ताह की अवधि के भीतर सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के पास  5 लाख रुपये जमा किए जाएंगे.  इस तरह की जमा राशि को ओडिशा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

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