विज्ञापन
This Article is From Jun 03, 2021

'अधिकारियों पर हत्या का केस होना चाहिए'- वैक्सीन को लेकर केंद्र पर भड़का दिल्ली हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने कहा कि 'कोविड-19 वैक्सीन बनाने के लिए जरूरी स्रोतों को दबाकर बैठे अधिकारियों पर 'हत्या' का मामला चलना चाहिए क्योंकि इससे इतनी ज्यादा मौतें हो रही हैं.'

'अधिकारियों पर हत्या का केस होना चाहिए'- वैक्सीन को लेकर केंद्र पर भड़का दिल्ली हाईकोर्ट
वैक्सीन के उत्पादन को लेकर केंद्र पर भड़का दिल्ली हाईकोर्ट.
नई दिल्ली:

कोरोना संकट और वैक्सीनेशन पॉलिसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट लगातार सख्ती बरत रहे हैं. बुधवार को जहां सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा कि कोर्ट चुपचाप बैठकर मूक दर्शक नहीं बना रह सकता है, वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने वैक्सीन निर्माण को लेकर और भी सख्त टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में जरूरत की पूर्ति के लिए बहुत स्कोप और इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, जिसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि 'कोविड-19 वैक्सीन बनाने के लिए मौजूद क्षमता को दबाकर बैठे अधिकारियों पर 'हत्या' का मामला चलना चाहिए क्योंकि इससे इतनी ज्यादा मौतें हो रही हैं.'

कोर्ट ने कहा कि वैक्सीन के निर्माण के लिए बहुत जरूरी है कि सारे लोग हाथ आगे बढ़ाए क्योंकि एक ' डर की मानसिकता' के चलते ऐसा नहीं हो रहा है. भारत में जो क्षमताएं हैं वो विदेशी कंपनियों के हाथ नहीं लगना चाहिए.

जस्टिस मनमोहन और नाजिम वज़ीरी की बेंच ने कहा कि 'दिक्कत इस डर की मानसिकता की है कि कि विजिलेंस इन्क्यावरी बैठ जाएगी, ऑडिट हो जाएगा, पुलिस जांच होगी. बताइए उनको कि यह जांच और ऑडिट रिपोर्ट की चिंता करने का टाइम नहीं है. इसके चलते मौतें हो रही हैं. दरअसल, संभावनाओं पर बैठे हुए कुछ लोगों पर तो हत्या का केस होना चाहिए.'

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की वैक्सीनेशन नीति पर उठाए सवाल, 18-44 आयु वर्ग की टीकाकरण नीति को अतार्किक ठहराया

कोर्ट ने कहा कि केंद्र को Panacea Biotec के नमूनों को क्लियरेंस देने की प्रक्रिया तेज करनी होगी. यह कंपनी रूसी वैक्सीन Sputnik V के प्रोडक्शन के लिए Russian Direct Investment Fund (RDIF) for manufacturing के साथ सहयोग कर रही है. कोर्ट ने कहा कि अगर वैक्सीन को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है तो सरकार को बस यह देखना चाहिए कि कंपनी जो सैंपल तैयार कर रही है, वो मौजूदा मापदंडों को मुताबिक हों. 

कोर्ट ने ब्रिजिंग ट्रायल की शर्त पर पूछा कि 'आप उनका ब्रिज ट्रायल क्यों करवाना चाहते हैं, जब आपने ब्रिज ट्रायल आयातित वैक्सीन के लिए रखा है. आपने आयातित वैक्सीन के लिए इस शर्त को हटा दिया है तो फिर घरेलू निर्माता पर यह शर्त क्यों है?'

हाईकोर्ट दिल्ली की कंपनी Panacea Biotec की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस कंपनी ने एक आर्बिट्रल अवॉर्ड (मध्यस्थता में पक्ष में आया फैसला) के रिलीज की मांग की है. कंपनी ने कहा है कि उसे जल्द ही फंड की जरूरत है क्योंकि उसने कोविड वैक्सीन स्पूतनिक वी के ट्रायल बैच तैयार कर लिए हैं. और बड़े स्तर पर निर्माण शुरू करने की प्रक्रिया जारी है.

बेंच ने कहा कि 'देश में वैक्सीन निर्माण का स्कोप और इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, लेकिन इसे छुआ नहीं जा रहा है. केंद्र को इसपर सोचना चाहिए. इस क्षमता का इस्तेमाल होना चाहिए, आप इसे ऐसे ही नहीं छोड़ सकते हैं. विदेशी कंपनियां आ रही हैं, उनके लिए ये क्षमताएं नहीं छोड़ी जानी चाहिए. आपके अधिकारी ये बात नहीं समझ रहे हैं.'

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे: