उत्तराखंड हादसा: टनल में 16 दिन से फंसे मजदूर मनौवैज्ञानिक दबाव का कैसे कर रहे सामना?

उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल का एक हिस्सा 12 नवंबर को दिवाली की सुबह ढह गया था. इससे 41 मजदूर टनल में फंस गए. घटना के तुरंत बाद बचाव अभियान शुरू कर दिया गया, लेकिन ड्रिलिंग में बाधाओं के कारण रेस्क्यू में देरी हो रही है. मजदूरों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की जाएगी और इसमें चार दिन का समय लगेगा.

खास बातें

  • 12 नवंबर की सुबह धंस गई थी निर्माणाधीन टनल
  • टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंसी
  • टनल के मुहाने पर पानी के रिसाव ने चिंता बढ़ाई
उत्तरकाशी:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी (Uttarkashi Tunnel Collapse) में निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल (Sikyara Tunnel)में 41 मजदूर 16 दिन से फंसे हुए हैं. 200 से ज्यादा लोगों की रेस्क्यू टीम (Rescue Operation)दिन-रात काम में लगी है. लेकिन अब तक कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है. मजदूरों तक पहुंचने के लिए 86 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग जारी है. इसमें अब तक 30 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग (Vertical Drilling) की जा चुकी है. वहीं, सोमवार (27 नवंबर) से मैनुअली हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग भी शुरू हो गई. इसके लिए रैट माइनर्स को बुलाया गया है, जो हाथ से खुदाई करेंगे. पतले से पैसेज में अंदर जाकर ड्रिल करने वाले मजदूरों को रैट माइनर्स कहते हैं. वहीं, टनल में फंसे मजदूरों को मनोबल भी टूटने लगा है. ऐसे में डॉक्टरों बारी-बारी से उनसे बात कर रहे हैं, ताकि वो किसी ट्रॉमा में न चले जाएं.

5 डॉक्टरों की टीम तैनात
साइट पर 24 घंटे 2 साइकियाट्रिस्ट समेत 5 डॉक्टरों की एक टीम तैनात की गई है, जो फंसे हुए मजदूरों से दो शिफ्ट में बात कर रही है. सुबह 9 बजे से 11 बजे तक और शाम 5 बजे से 8 बजे तक मजदूर अपने मन की स्थिति डॉक्टरों के साथ शेयर कर रहे हैं. बात करने के लिए मजदूरों को पाइप के जरिए एक माइक भेजा गया है. साथ ही, टनल में फंसे हुए मजदूरों के परिवार के सदस्यों को उनसे जब चाहें बात करने की परमिशन दी गई है. प्रशासन ने मजदूरों के परिवारों के लिए टनल के बाहर कैंप लगाया है. 

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मजदूरों को उनके परिवार से भी कराई जा रही बात
टनल के अंदर फंसे मजदूर सबा अहमद के भाई नैय्यर अहमद ने समाचार एजेंसी PTI के हवाले से कहा, "ड्रिलिंग में आ रही बाधाओं के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी हो रही है. इसलिए डॉक्टरों और साइकियाट्रिस्ट ने मेरे भाई की काउंसिलिंग की. टनल के बाहर कैंप के पास कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंतजाम किए गए कमरे में रह रहे नैय्यर ने कहा कि वह अपने भाई से दिन में दो बार बात करते हैं. इस दौरान वह यह भी सुनिश्चित करते हैं कि सबा की पत्नी और तीन बच्चे भी उनसे बात कर पाए. परिवार बिहार के भोजपुर में रहता है.

नैय्यर ने कहा, "हम उन्हें प्रेरित करते रहते हैं. हम कभी भी कठिनाइयों और बाधाओं के बारे में बात नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें बताते हैं कि वे जल्द ही बाहर आ जाएंगे."

12 नवंबर को हुआ था हादसा
उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल का एक हिस्सा 12 नवंबर को दिवाली की सुबह ढह गया था. इससे 41 मजदूर टनल में फंस गए. घटना के तुरंत बाद बचाव अभियान शुरू कर दिया गया, लेकिन ड्रिलिंग में बाधाओं के कारण रेस्क्यू में देरी हो रही है.

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फंसी ऑगर मशीन को काटकर निकाला गया
वहीं, सिल्क्यारा की तरफ से फंसी ऑगर मशीन को सोमवार सुबह काटकर बाहर निकाल लिया गया. रविवार 26 नवंबर शाम से इसे प्लाज्मा कटर से काटा जा रहा था. पूरी रात यह काम चला. भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स और मद्रास सैपर्स की यूनिट इस काम में जुटी थी.

पीएम मोदी के विशेष सचिव ने लिया रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा 
इस बीच टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेने पीएम नरेंद्र मोदी के विशेष सचिव पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय के भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू भी पहुंचे.

टनल के मुहाने पर पानी का रिसाव
सिल्क्यारा टनल में पानी के रिसाव का खतरा बढ़ गया है. शनिवार को टनल के मुहाने के पास से ही पानी निकलता नजर आया. पानी के साथ मिट्टी के गीले होने पर टनल में मलबा धंसने की आशंका भी जताई गई थी. हालांकि, स्थिति अब नियंत्रण में है.
 

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