उत्तराखंड टनल हादसा: अब हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग पर फोकस, मजदूरों के रेस्क्यू में लग सकते हैं 2-3 दिन

Uttarakhand Tunnel Collapse Rescue: परिवहन मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने कहा, "अगर अमेरिकन ऑगर ने अच्छा काम किया और ये सफल रहा, तो मजदूरों को निकालने में दो से तीन दिन का वक्त लग सकता है."

खास बातें

  • टनल के एंट्री पॉइंट की तरफ से ड्रिलिंग शुरू
  • डंडालगांव की ओर से 6.5 मीटर की हुई ड्रिलिंग
  • 12 नवंबर को धंस गया था टनल का हिस्सा
नई दिल्ली/उत्तरकाशी:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल के धंसने (Uttarkashi Tunnel Collapse) के बाद 41 मजदूर बीते 10 दिन से अंदर फंसे हुए हैं. उन्हें निकालने के लिए 24 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) चलाया जा रहा है, लेकिन अब तक टीम को कामयाबी नहीं मिली है. अब टीम रेस्क्यू की नई 5 पॉइंट प्लान पर काम कर रही है. इसके तहत सिलक्यारा और डंडालगांव में वर्टिकल ड्रिलिंग के साथ ही हॉरिजॉन्टल (Horizontal) ड्रिलिंग की जाएगी. वहीं, परिवहन मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने कहा, "अगर अमेरिकन ऑगर ने अच्छा काम किया और ये सफल रहा, तो मजदूरों को निकालने में दो से तीन दिन का वक्त लग सकता है." 

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने NDTV को एक खास बातचीत में इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी के टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग पर फोकस है, जो एक शॉफ्ट बनाएगी. अमेरिकन ऑगर के जरिए खुदाई का काम शुरू कर दिया गया है.

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NDMA) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने बताया, "बाकी अलग-अलग दिशाओं से एयरफोर्स और रेलवे के जरिए भी मदद ली जा रही है. अब ऊपर से भी ड्रिलिंग करने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए BRO ने ट्रैक बना दिया है. बरौत की तरफ यानी पीछे की तरफ से भी हॉरिजॉन्टल खुदाई की कोशिश की जा रही है. यहां ब्लास्टिंग की जा रही है. भूगर्भ वैज्ञानिक यानी जियोलॉजिस्ट इसका आंकलन कर रहे हैं." 

चार इंटरनेशनल एक्सपर्ट भी कर रहे हैं मदद
हादसे के बारे में उन्होंने बताया, "12 नवंबर को घटना हुई. सिलक्यारा टनल दो तरफ से खुदाई हो रही थी. 41 मजदूर ट्रैप हुए. मजदूर केबिन और बरकोट साइड में फंसे हैं. मजदूर जो फंसे हैं वो एक किमी के करीब का इलाका है. अंदर बिजली भी है. चार इंच का एक पाइप भी मौजूद है. पानी, जरूरी सामान और कंप्रेशन इंस्ट्रूमेंट मौजूद है. विटमिन सी और डी भेजी गई है. NDRF,ITBP, BRO, SDRF और तमाम टेक्निकल एक्सपर्ट रेस्क्यू टीम में लगे हैं. चार इंटरनेशनल एक्सपर्ट भी आए हैं.

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मजदूरों को बोतलों में भेजा गया गर्म खाना
इससे पहले अंदर फंसे मजदूरों को मंगलवार सुबह 24 बोतलों में गर्म खिचड़ी और दाल और दोपहर सेब और संतरे भेजे गए. मंगलवार को कैमरे पर अंदर फंसे मजदूरों से बात हुई, उनकी गिनती की गई. सभी मजदूर सुरक्षित हैं. मजदूरों की हर एक्टिविटी का पता लगाने के लिए अब दिल्ली से हाईटेक CCTV मंगाए जा रहे हैं. अधिकारी ने आगे बताया, "6 इंच की एक और पाइप लाइन पहुंचा दी गई है. खाना और कम्युनिकेशन की चीजें भी पहुंचाने की कोशिश की जा रही है." 

मजदूरों को परिवारों से कराई गई बात
उन्होंने बताया कि जो मजदूर फंसे हैं, उनके परिवारों को भी स्थानीय होटल में रुकाया गया है. कुछ परिवारों को फंसे मजदूरों से बात भी करवाई गई है.

मजदूरों को निकालने में 2-3 दिन लगेंगे- परिवहन मंत्रालय
वहीं, परिवहन मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने NDTV से कहा, "अगर अमेरिकन ऑगर ने अच्छा काम किया और ये सफल रहा, तो मजदूरों को निकालने में दो से तीन दिन का वक्त लग सकता है. अगर ऑगर लोहे की रॉड को नहीं काट पाता है, तो इस केस में हम गैस कटर को भी भेजने की कोशिश करेंगे. साइड ड्रिफ्ट बनाने का काम आर्मी कर रही है. इसमें 10-12 दिन लग सकते हैं. हॉरिजॉन्टल खुदाई की भी तैयार कर ली गई है."

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अनुराग जैन ने बताया, "17 नवंबर को भूकंप के बाद वर्टिकल खुदाई में दिक्कत आई थी. इसलिए वो विकल्प है, लेकिन फिलहाल वो अंतिम विकल्प है."

12 नवंबर को हुआ था हादसा
ब्रह्मखाल-यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन 4.5 किलोमीटर लंबी सिलक्यारा टनल का एक हिस्सा 12 नवंबर को धंस गया था. चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ​​​​ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था. टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी. इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए. टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं.

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