उत्तराखंड हादसा: टनल में 6 दिन से फंसे हैं मजदूर, जानें आखिर रेस्क्यू ऑपरेशन में क्यों लग रहा वक्त?

उत्तरकाशी में टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंसी और वहां काम कर रहे 40 मजदूर फंस गए. जो मजदूर सुरक्षित भागने में सफल रहे, वे 400 मीटर के बफर जोन में फंस गए हैं. ये बफर जोन 200 मीटर चट्टानी मलबे के नीचे है.

उत्तराखंड हादसा: टनल में 6 दिन से फंसे हैं मजदूर, जानें आखिर रेस्क्यू ऑपरेशन में क्यों लग रहा वक्त?

अनुमान लगाया जा रहा है कि 60 मीटर की टनल धंसी है, तो मलबा इतने ही मीटर में फैला होगा.

खास बातें

  • अनुमान लगाया जा रहा है कि 60 मीटर की टनल धंसी है, तो मलबा इतने ही मीटर मे
  • मलबा हटाने के लिए दिल्ली से मंगवाई गई ड्रिलिंग मशीन
  • अब तक हुई 25 मीटर तक की ड्रिलिंग
नई दिल्ली/उत्तरकाशी:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक निर्माणाधीन टनल (Uttarakhand Tunnel Collapse) में अलग-अलग राज्यों के 40 मजदूर 6 दिन से फंसे हुए हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) 24 घंटे चल रहा है, लेकिन मजदूरों को निकालने में अभी कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है. मजदूरों तक पहुंचने के लिए रेस्क्यू टीम ने अभी तक 25 मीटर तक की ड्रिलिंग की है. मजदूरों को टनल से बाहर निकालने का रास्ता बनाने के लिए ड्रिलिंग मशीन की मदद से 800 मिमी और 900 मिमी व्यास (Diameter) वाले पाइप डाले जाएंगे, जिसके लिए 60 मीटर तक ड्रिलिंग जरूरी है.

आइए समझते हैं कि 12 नवंबर से टनल में फंसे 40 मजूदरों को अब तक क्यों नहीं निकाला जा सका. रेस्क्यू ऑपरेशन में क्या दिक्कत आ रही है:- 

दिल्ली से लाई गई ड्रिलिंग मशीन
टनल के सामने से मलबा हटाने और ड्रिलिंग के लिए दिल्ली से स्पेशल मशीन मंगाई गई है. 'अमेरिकन ऑगर मशीन को वायुसेना के सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान उत्तराखंड के धरासू एडवांस लैंडिंग ग्राउंड पर लाया गया था. इससे गुरुवार रातभर काम लिया गया और 25 मीटर तक ड्रिलिंग की गई. इसके बाद मशीन टनल के अंदर एक मेटेल के हिस्से से टकरा गई.

नेशनल हाईवे और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेडड (NHIDCL) के डायरेक्टर अंशू मनीष खलखो ने कहा, "गैस कटर का इस्तेमाल करके मेटल वाले हिस्से को काटने की कोशिश की जा रही है. ड्रिलिंग का काम फिलहाल रोक दिया गया है." खलखो ने कहा कि वे इंदौर से एक और मशीन एयरलिफ्ट कर रहे हैं, ये शनिवार सुबह साइट पर पहुंच जाएगी. उन्होंने कहा, "मलबे में पाइप डालने में छेद करने से ज्यादा समय लगता है. उन्होंने कहा, "हमें ये भी देखना है कि इन पाइपों में कोई दरार न हो."

200 से ज्यादा लोगों की टीम रेस्क्यू में जुटी
फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं. नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL), NDRF, SDRF, ITBP, BRO और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं. मजदूरों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. खाना-पानी भी दिया जा रहा है. 

12 नवंबर की सुबह 4 बजे धंसा था टनल का हिस्सा
उत्तरकाशी में टनल धंसने वाला हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था. ब्रह्मखाल-यमुनोत्री हाईवे पर 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग का एक हिस्सा ढह गया.चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ​​​​ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंसी और वहां काम कर रहे 40 मजदूर फंस गए. जो मजदूर सुरक्षित भागने में सफल रहे, वे 400 मीटर के बफर जोन में फंस गए हैं. ये बफर जोन 200 मीटर चट्टानी मलबे के नीचे है. 

थाईलैंड और नॉर्वे के एक्सपर्ट की भी ली गई मदद
उत्तरकाशी टनल में फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए अब थाईलैंड और नॉर्वे की स्पेशल रेस्क्यू टीमों से मदद ली जा रही है. थाईलैंड की रेस्क्यू फर्म ने 2018 में वहां की गुफा में 17 दिन से फंसे 12 बच्चों और उनके फुटबॉल कोच को सफलतापूर्वक बचाया था. फंसे हुए मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें एयर कंप्रेस्ड पाइप के जरिए ऑक्सीजन, दवाएं, खाना और पानी दिया जा रहा है.


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