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This Article is From Sep 03, 2022

उत्तराखंड : मंत्रियों के रिश्तेदारों की नियुक्ति का मामला, बनाई गई जांच समिति

इस पूर मामले की जांच दो चरणों में पूरी की जाएगी. पहले चरण में वर्ष 2000 से 2011 तक और दूसरे चरण में 2011 से 2022 के कार्यकाल में हुई भर्तियों की जांच की जाएगी.

उत्तराखंड सरकार ने नियुक्तियों मामले में दिए जांच के आदेश

नई दिल्ली:

उत्तरांखड विधानसभा में बीजेपी के मंत्री और उनके चहेतों को बिना परीक्षा नौकरी दिए जाने के मामले की अब जांच होगी. विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने इस पूरे मामले की जांच को लेकर एक समिति का गठन किया है. इस समिति को अगले एक महीने में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है. इस मामले के सामने आने के बाद विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को छुट्टी पर भेज दिया गया. जांच पूरी होने तक मुकेश सिंघल छुट्टी पर ही रहेंगे. इस पूर मामले की जांच दो चरणों में पूरी की जाएगी. पहले चरण में वर्ष 2000 से 2011 तक और दूसरे चरण में 2011 से 2022 के कार्यकाल में हुई भर्तियों की जांच की जाएगी. इस मामले को लेकर उत्तराखंड में काफी पहले से ही जांच की मांग की जा रही थी.

आखिरकार इस मामले में खुदको घिरता देख बीजेपी सरकार ने अब जांच कराने का फैसला किया है. इस पूरे मामले को लेकर विधानसभा स्पीकर रितु खंडूरी ने शनिवार को कहा कि 2000-2021 तक उत्तराखंड विधानसभा में हुई सभी नियुक्ति की जांच होगी. हमने महीने भर में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है. जांच प्रक्रिया को कोई प्रभावित न कर सके इसके लिए विधानसभा सचिव को तत्काल प्रभाव से महीने भर के लिए छुट्टी पर भेज दिया गया है.

बता दें कि इस मामले से जुड़ा एक लिस्ट कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हुई. इस लिस्ट में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के नजदीकी और रिश्तेदारों को बिना परीक्षा कराए ही नौकरी देने की बात सामने आई थी. इससे पहले की विपक्ष इस मुद्दे को भुना पाता कांग्रेसी नेताओं के चहेतों को भी नौकरी देने की एक नई लिस्ट सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी. इस लिस्ट में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल,यशपाल आर्य और गोविंद सिंह के कथित नजदीकियों को नौकरी मिलने का आरोप लग रहा है.

हालांकि अब गोदियाल सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे हैं. इस मामले को लेकर गणेश गोदियाल (पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, उत्तराखंड कांग्रेस) ने कहा कि मैं तो साफ कह रहा हूं कि जब से विधानसभा बनी है तबसे हुई नियुक्ति की जांच SIT से करवाओ, सीबीआई से करवाओं. जो दोषी हों उस पर कार्रवाई हो

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