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This Article is From Sep 05, 2022

एक शिक्षक ऐसा भी : बच्चों को पढ़ने के लिए दूर न जाना पड़े, इसलिए स्कूल बनवाने को जमीन की दान

उन्होंने कहा कि गांव में पढ़ाई की कोई व्यवस्था नहीं थी. प्राइमरी स्कूल बनाने का प्रस्ताव आया. लेकिन जमीन नहीं थी, इस वजह से स्कूल नहीं बन पा रहा था.

शिक्षक ने स्कूल बनवाने को जमीन की दान

कन्नौज:

आज देश टीचर्स डे मना रहा है. इस मौके पर आज हम एक ऐसे शिक्षक के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने स्कूल बनवाने के लिए अपनी जमीन दान में दे दी. ऐसा उन्होंने इसलिए किया, ताकि बच्चों को पठन-पाठन के लिए गांव से दूर न जाना पड़े. उनका यह काम आज गांव में शिक्षा की लौ जला रहा है. शिक्षक का नाम है रामशरण शाक्य. उन्होंने उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में छोटे से गांव नगला अंगद में बच्चों को पढ़ाने के लिए अपनी एक एकड़ जमीन दान कर दी. धीरे-धीरे प्रयास कर के उस जमीन पर दस कमरों का एक प्राइमरी स्कूल भी उन्होंने बनवा दिया. हालांकि, उन्होंने खुद भी काफी संघर्षों से शिक्षा हासिल की. 

रामशरण शाक्य ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि मेरी तीन साल की उम्र थी, तभी मेरी मां चल बसीं. मैं कक्षा 6 में पढ़ रहा था. पढ़ने के लिए कोई साधन नहीं था. मैं गांव के दूर चार किलोमीटर पैदल पढ़ने जाता था. पढ़ाई का भी कोई माहौल नहीं था. गांव में इधर-उधर पढ़ता रहता था. हालांकि, मैंने हाईस्कूल की परीक्षा पास की. मैं अच्छे नंबरों से पास हुआ. हिंदी में मेरे बहुत अच्छे अंक आए थे. मुझे और मेरी फैमिली को शिक्षा मंत्री ने पुरस्कृत किया था. मैंने स्नातक भी किया. गांव वालों ने पढ़ाई में मदद की. मेरी नौकरी प्राथमिक विद्यालय में लगी. 

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उन्होंने कहा कि गांव नगला में पढ़ाई की कोई व्यवस्था नहीं थी. उस समय प्राइमरी स्कूल बनाने का प्रस्ताव आया. लेकिन जमीन नहीं थी, इस वजह से  स्कूल नहीं बन पा रहा था. इसलिए मैंने जमीन दान में दी. फिर मैंने भवन का निर्माण कराया. हालांकि, बाद में जब मेरा प्रमोशन हुआ तो उसी स्कूल को संचालित करने का अवसर भी मिला. उन्होंने कहा कि जो बच्चे इधर-उधर जा रहे थे, मेरे आने से महज दो दिनों में 150 से ज्यादा बच्चों ने दाखिला लिया. उन्होंने कहा कि मैंने यह भवन नक्शे के अनुसार बनवाई है.

उन्होंने कहा कि आज गांव का माहौल पढ़ाई में बहुत अच्छा है. मेरी पत्नी ने मेरे इस काम में बहुत साथ दिया है. उन्होंने कभी इस काम के लिए रोड़ा नहीं अटकाया. मेरे बच्चे भी इसी स्कूल से पढ़े हैं. रामशरण शाक्य के इस नेक कार्य की आसपास के गांवों में भी खूब चर्चा होती है. लोग उनके इस कार्य के लिए काफी सराहना करते हैं. 

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