यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर अधिकतर ओपिनियन पोल्स (opinion polls) का अनुमान है कि बीजेपी स्पष्ट और ठोस अंतर से जीत हासिल करने जा रही है.हालांकि पार्टी को वर्ष 2017 की धमाकेदार जीत की तुलना में इस बार करीब 100 सीटें कम मिलने का अनुमान लगाया गया है.
लेकिन ओपिनियन पोल्स गलत भी हो सकते हैं. हम जनमत सर्वेक्षणों पर यकीन कैसे कर सकते हैं जब पिछले साल मई में हुए पश्चिम बंगाल चुनाव में इन पोल्स का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा था (देखें Figure 2)- इसमें बीजेपी की मामूली बढ़त के साथ कड़ी टक्कर का अनुमान जताया गया था. हालांकि वास्तविक रिजल्ट में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी.
जब पोल्स (और कई चुनाव विशेषज्ञ) धमाकेदार जीत नहीं देख सके तो यह इन्हें लेकर हमारे विश्वास को कम करता है. क्या आम वोटरों के बीच अंतर्निहित भय, चरम पर पहुंच गया है जो विश्वास में भारी गिरावट के साथ पोल्स के सवालों का जवाब देते हैं.
Figure 2
पार्टियों की लोकप्रियता में रुझानों के मजबूत संकेतक पंचायत चुनाव हैं. वास्तव में ये पंचायत चुनाव, 78 फीसदी सटीकता के साथ आगामी विधानसभा चुनाव नतीजों का अनुमान लगाते हैं जो कि ओपिनियन पोल्स की तुलना में बेहतर स्ट्राइक रेट है. (देखें Figure 3).
Figure 3
उत्तर प्रदेश में पिछले साल पंचायत चुनाव हुए थे. इसके परिणाम बीजेपी के लिए चिंता का विषय हो सकते हैं जबकि अखिलेश यादव और उनकी समाजवादी पार्टी के लिए यह कई ओपिनियन पोल्स से कहीं अधिक उम्मीद जगा सकते हैं. (देखें Figure 4).
Figure 4
यदि इन विधानसभा चुनावों में मतदाताओं का मूड, हाल के यूपी पंचायत चुनाव की ही तरह रहा तो बीजेपी के लिए ऐसी स्पष्ट जीत की संभावना नहीं है जैसी कि एक्जिट पोल्स के अनुमान जता रहे हैं. पंचायत चुनावों में समाजवादी पार्टी (SP) ने बीजेपी से बेहतर नहीं तो लगभग उतना ही अच्छा प्रदर्शन किया था. और बहुजन समाज पार्टी (BSP) का उस बुरी तरह से सफाया नहीं हुआ था जैसा एक्जिपट पोल्स के अनुमान दिखा रहे हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि कईयों के अनुमान से अलग संभवत: यह बेहद करीबी चुनाव हो सकता है.
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