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अमेरिकी अंतरिक्षयान ने चंद्रमा से भेजी पहली तस्वीर, एक्सपर्ट बोले-ये मामूली सफलता

निजी क्षेत्रों को प्रोत्साहित कर नासा (Nasa Mission Lunar) इस दशक के आखिर तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर वापस भेजने की योजना बना रहा है. मिशन के लिए इंटुएटिव मशीन्स को करीब 120 मिलियन डॉलर का भुगतान किया गया है.

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अमेरिकी अंतरिक्षयान ने चंद्रमा से भेजी पहली तस्वीर, एक्सपर्ट बोले-ये मामूली सफलता
अमेरिकी अंतरिक्षयान ने चंद्रमा से भेजी पहली तस्वीर.
नई दिल्ली:

अमेरिका ने करीब 50 साल बाद चंद्रमा पर अंतरिक्षयान (US Spaceship Odysseus) उतारकर इतिहास रच दिया है. चांद पर उतरने वाले ह्यूस्टन की इंटुएटिव मशीन्स से बने लैंडर का नाम ओडीसियस है. यह लैंडर गुरुवार शाम को चंद्रमा की सतह पर उतरा. ओडीसियस, 1972 में अपोलो17 मिशन के बाद चंद्रमा पर पहुंचने वाला पहला अमेरिकी अंतरिक्षयान बन गया है. ओडीसियस ने चंद्रमा की दक्षिणी सतह से पहली तस्वीर भेजी है.

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'ओडीसियस' ने भेजी चंद्रमा की पहली तस्वीर 

इंट्यूएटिव मशीन्स ने एक्स पर सोमवार को एक पोस्ट पर कहा, "ओडीसियस चंद्रमा की सतह से नोवा कंट्रोल में फाइटर कंट्रोलर के साथ कम्यूनिकेट कर रहा है." पोस्ट में दो तस्वीरें भी शेयर की गई हैं. पहली तस्वीर षट्भुज आकार के अंतरिक्ष यान के उतरने की, और दूसरी उसके गिरने के 35 सेकंड बाद ली गई, जिसमें मालापर्ट ए प्रभाव क्रेटर की पक्की मिट्टी का पता चलता है.

50 साल बाद चंद्रमा पर पहुंचा अमेरिकी अंतरिक्षयान

मानव रहित ओडीसियस करीब पांच दशक के बाद चंद्रमा पर पहुंचने वाला अमेरिका में निजी क्षेत्र का पहला अंतरिक्षयान है. नासा के मुताबिक, चांद पर उतरते समय ओडीसियस का एक पैर वहां फंस गया था, जिसकी वजह से वह एक तरफ झुक गया था, हालांकि उसे सुरक्षित कर लिया गया. 

निजी क्षेत्रों को प्रोत्साहित कर नासा इस दशक के आखिर तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर वापस भेजने की योजना बना रहा है. मिशन के लिए इंटुएटिव मशीन्स को करीब 120 मिलियन डॉलर का भुगतान किया गया है. ओडीसियस, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की बेहतर समझ के लिए डिज़ाइन किए गए नासा के वैज्ञानिक उपकरण लेकर गया. नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) ने शनिवार को 4.0 मीटर (13 फुट) लंबे 'नोवा-सी' श्रेणी के लैंडर की तस्वीर अपने लैंडिंग स्थल के 1.5 किलोमीटर के अंदर एक जगह से ली.

अपोलो मिशन वाले रास्ते से भेजा गया 'ओडीसियस'

IM-1 मिशन के तहत भेजे गए ओडीसियस लूनार लैंड ने वही रास्‍ता फॉलो किया, जो कभी अपोलो मिशन के लिए चुना गया था. पृथ्‍वी से चांद की दूरी 3 लाख 84 हजार 400 किलोमीटर है. आईएम-1 मिशन ने यह दूरी 8 दिन में पूरी करते हुए आखिरकार चांद पर लैंड किया. 

'यह मामूली सफलता है'

खगोलशास्त्री और अंतरिक्ष मिशन विशेषज्ञ जोनाथन मैकडॉवेल ने एएफपी से कहा कि ओडीसियस एक तरफ झुक गया है, जिससे उन्हें ज्यादा चिंता नहीं हुई. यह मामूली सफलता है, वह इसे ए माइनस देंगे. उन्होंने कहा, कुल मिलाकर नासा की कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज (सीएलपीएस) पहल के लिए चीजें सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं.

शुक्रवार को, इंटुएटिव मशीन्स ने खुलासा किया कि उसके इंजीनियर एक सुरक्षा स्विच को चालू करना भूल गए थे, जिसने अंतरिक्ष यान के लेजर-निर्देशित लैंडिंग सिस्टम को इंगेज करने से रोक दिया था, जिससे उन्हें एक सॉफ्टवेयर पैच अपलोड करने और दिन बचाने के लिए एक प्रयोगात्मक नासा प्रणाली पर भरोसा करना पड़ा. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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