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This Article is From May 14, 2016

भारत के 'परमाणु क्लब' में प्रवेश की कोशिश को अमेरिका का समर्थन, वहीं चीन ने डाला अड़ंगा

भारत के 'परमाणु क्लब' में प्रवेश की कोशिश को अमेरिका का समर्थन, वहीं चीन ने डाला अड़ंगा
भारत ने 42 साल पहले अपना पहला परमाणु परिक्षण किया था
वॉशिंगटन: एक तरफ चीन ने दावा किया है कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत का प्रवेश रोकने के लिए उसके पास 48 देशों के इस संगठन में कई सदस्यों का साथ है। वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने इस विशेष परमाणु समूह में भारत के दाख़िले का समर्थन किया है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा  कि '2015 में भारत दौरे के दौरान राष्ट्रपति ने फिर से कहा था कि अमेरिका का ऐसा मानना है कि भारत मिसाइल तकनीक कंट्रोल से जुड़ी सभी जरूरतें पूरी करता है और वह एनएसजी सदस्यता के लिए एकदम तैयार है।' किर्बी ने यह प्रतिक्रिया तब दी जब चीन और पाकिस्तान द्वारा भारत की एनएसजी सदस्यता के विरोध से जुड़ी ख़बरें आ रही हैं।

एनपीटी को मान्यता
इससे पहले चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा था कि न केवल चीन बल्कि कई अन्य एनएसजी सदस्यों का मत है कि एनपीटी ही अंतरराष्ट्रीय परमाणु निरस्त्रीकरण व्यवस्था की सुरक्षा के लिए आधारशिला है। जब लू से इस ख़बर के बारे में पूछा गया कि चीन इस ब्लॉक में भारत के प्रवेश से चीजों को जोड़ते हुए पाकिस्तान के प्रवेश पर जोर दे रहा है तो जवाब मिला - एनएसजी एनपीटी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिस पर लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच आम सहमति है। उन्होंने दावा किया कि वैसे भारत एनएसजी का हिस्सा नहीं है लेकिन भारतीय पक्ष भी इस आम सहमति को मान्यता देता है।

पाकिस्तान का नाम लिए बगैर लू ने कहा ‘भारत के अलावा, कई ऐसे देशों ने एनएसजी से जुड़ने की इच्छा रखी है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए प्रश्न खड़ा होता है-- क्या गैर एनपीटी सदस्य भी एनएसजी का हिस्सा बन सकते हैं?’ गौरतलब है कि पिछले महीने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा था कि चीन ने भारत की एनएसजी सदस्यता की कोशिश रोकने में पाकिस्तान की मदद की है।

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