अखिलेश यादव चुनावों की तैयारियों के बीच कई बड़ी घोषणाएं कर चुके हैं.. (फाइल फोटो)
लखनऊ:
यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. वहीं सपा में अंदरूनी कलह रुकने का नाम नहीं ले रही है. चुनाव की तैयारियों के बीच सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार के विवादास्पद कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को पार्टी का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त कर दिया है.
गायत्री प्रजापति को लेकर खींचतान
फिलहाल प्रजापति यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री है और परिवहन मंत्रालय का काम देखते हैं. खनन विभाग में भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों के बाद यूपी सीएम अखिलेश यादव ने इसी साल सितंबर महीने में प्रजापति को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था, लेकिन इसके कुछ दिन बाद ही अखिलेश को अपना फैसला वापस लेना पड़ा और वह फिर से यूपी सरकार का हिस्सा बन गए हैं. प्रजापति को मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव का काफी करीबी माना जाता है.
टिकट बंटवारे को लेकर विवाद
इस बीच टिकट बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच फिर से टकराव की संभावना तेज़ हो गई है. रविवार को सीएम अखिलेश यादव ने पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह से मुलाकात करके 403 उम्मीदवारों की अपनी सूची सौंपी है. खास बात यह है कि सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव पहले ही 175 उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुके हैं. दोनों सूचियों में कुछ नाम छोड़कर बाकी नाम मेल नहीं खा रहे हैं. अखिलेश की सूची में अंसारी बंधुओं, अतीक अहमद और अमनमणि का नाम शामिल नहीं है. वहीं पार्टी के 35-40 मंत्रियों के टिकट काट दिए गए हैं. इसके मद्देनजर अखिलेश की लिस्ट टकराव का कारण बन सकती है. इससे पहले शिवपाल ने ट्वीट करके कहा कि सीएम का चुनाव विधायक दल ही करेगा और पार्टी में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
एक तरफ बड़ी घोषणाएं जारी
गौरतलब है कि एक तरफ तो सपा चुनावों के ध्यान में रखते हुए बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रही है तो दूसरी तरफ उनकी अपनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही. हाल ही में उन्होंने 17 पिछड़ी जातियों को दलित कोटे में शामिल करने का प्रस्ताव पास किया है. अब यह प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा जाएगा.इन जातियों में कहार, कश्यप, केवट, निषाद, बिंद, भर, प्रजापति, राजभर, बाथम, गौर, तुरा, मांझी, मल्लाह, कुम्हार, धीमर, गोडिया और मछुआ शामिल हैं.
यही नहीं उन्होंने महज 4 घंटों में 50 हजार करोड़ से अधिक की योजनाएं लॉन्च कीं. साथ ही शिक्षकों व राज्यकर्मियों को खुश करने की कोशिश की गई. सरकार ने राज्यकर्मियों की भांति सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थानों, स्वायत्तशासी संस्थाओं व निगमों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मियों को अब पति-पत्नी दोनों को मकान किराया भत्ता देने का ऐलान किया है.
इसके अलावा सरकार ने कमजोर वर्ग के लिए ई-रिक्शा में राहत की सौगात दी. अखिलेश यादव ने ई-रिक्शा पर लगने वाला वैट को साढ़े 12 फीसदी से घटाकर चार फीसदी कर दिया है. बाजार में 60,000 रुपये से लेकर 80,000 रुपये के बीच ई-रिक्शा आ रहा है. सरकार के इस कदम से ई-रिक्शा 5 से लेकर 7 हज़ार रुपये तक सस्ता हो जाएगा.
गायत्री प्रजापति को लेकर खींचतान
फिलहाल प्रजापति यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री है और परिवहन मंत्रालय का काम देखते हैं. खनन विभाग में भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों के बाद यूपी सीएम अखिलेश यादव ने इसी साल सितंबर महीने में प्रजापति को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था, लेकिन इसके कुछ दिन बाद ही अखिलेश को अपना फैसला वापस लेना पड़ा और वह फिर से यूपी सरकार का हिस्सा बन गए हैं. प्रजापति को मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव का काफी करीबी माना जाता है.
टिकट बंटवारे को लेकर विवाद
इस बीच टिकट बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच फिर से टकराव की संभावना तेज़ हो गई है. रविवार को सीएम अखिलेश यादव ने पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह से मुलाकात करके 403 उम्मीदवारों की अपनी सूची सौंपी है. खास बात यह है कि सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव पहले ही 175 उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुके हैं. दोनों सूचियों में कुछ नाम छोड़कर बाकी नाम मेल नहीं खा रहे हैं. अखिलेश की सूची में अंसारी बंधुओं, अतीक अहमद और अमनमणि का नाम शामिल नहीं है. वहीं पार्टी के 35-40 मंत्रियों के टिकट काट दिए गए हैं. इसके मद्देनजर अखिलेश की लिस्ट टकराव का कारण बन सकती है. इससे पहले शिवपाल ने ट्वीट करके कहा कि सीएम का चुनाव विधायक दल ही करेगा और पार्टी में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
एक तरफ बड़ी घोषणाएं जारी
गौरतलब है कि एक तरफ तो सपा चुनावों के ध्यान में रखते हुए बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रही है तो दूसरी तरफ उनकी अपनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही. हाल ही में उन्होंने 17 पिछड़ी जातियों को दलित कोटे में शामिल करने का प्रस्ताव पास किया है. अब यह प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा जाएगा.इन जातियों में कहार, कश्यप, केवट, निषाद, बिंद, भर, प्रजापति, राजभर, बाथम, गौर, तुरा, मांझी, मल्लाह, कुम्हार, धीमर, गोडिया और मछुआ शामिल हैं.
यही नहीं उन्होंने महज 4 घंटों में 50 हजार करोड़ से अधिक की योजनाएं लॉन्च कीं. साथ ही शिक्षकों व राज्यकर्मियों को खुश करने की कोशिश की गई. सरकार ने राज्यकर्मियों की भांति सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थानों, स्वायत्तशासी संस्थाओं व निगमों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मियों को अब पति-पत्नी दोनों को मकान किराया भत्ता देने का ऐलान किया है.
इसके अलावा सरकार ने कमजोर वर्ग के लिए ई-रिक्शा में राहत की सौगात दी. अखिलेश यादव ने ई-रिक्शा पर लगने वाला वैट को साढ़े 12 फीसदी से घटाकर चार फीसदी कर दिया है. बाजार में 60,000 रुपये से लेकर 80,000 रुपये के बीच ई-रिक्शा आ रहा है. सरकार के इस कदम से ई-रिक्शा 5 से लेकर 7 हज़ार रुपये तक सस्ता हो जाएगा.
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