गायत्री प्रसाद प्रजापति पिछले कई दिनों से फरार चल रहे थे.
समाजवादी पार्टी के नेता और कथित गैंगरेप के आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया है. वह पिछले कई दिनों से फरार चल रहे थे. गिरफ्तारी के बाद उनको 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाने के कारण अखिलेश सरकार की अच्छी खासी किरकरी भी हुई थी. प्रजापति इस बार अमेठी से विधानसभा चुनाव भी हार गए हैं. वह पिछली बार इसी सीट से पहली बार चुनाव जीते थे.
दरअसल, गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने वाली महिला का आरोप है कि मंत्री ने उसे पार्टी में ऊंचा पद दिलाने के नाम पर पिछले दो साल में कई बार रेप किया, और उसकी नाबालिग बेटी के साथ छेड़छाड़ भी की. महिला का यह भी आरोप है कि इस मामले में पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की. हाल में इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी प्रभावशाली है, तो इसका मतलब यह नहीं हो सकता कि पुलिस एफआईआर भी दर्ज न करे. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच करने और फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया. इससे पहले, राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मामले की जांच में कोई अपराध सामने नहीं आया है.
हालांकि उसके बाद सपा नेता गायत्री प्रसाद प्रजापति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए उनकी गिरफ्तारी को रोकने की गुहार लगाने से संबंधित याचिका दायर की. उन्होंने गुजारिश करते हुए कहा कि उनके खिलाफ मामला वापस लिया जाए. उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि कोर्ट ने उनका पक्ष नहीं सुना. हालांकि उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया गया.
फर्श से अर्श तक
मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाने वाले गायत्री प्रसाद प्रजापति जब पहली बार चुनाव लड़े थे तो उनको महज 1500 वोट मिले थे. उस दौर में उनके पास बीपीएल कार्ड था. 2012 में पहली बार सपा के टिकट पर अमेठी से कांग्रेस की अमिता सिंह को हराकर जीते. उसके बाद उनका सितारा बुलंद होता चला गया. कांग्रेस के गढ़ में जीतने की वजह से वह सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की नजर में आए. उनको फरवरी 2013 में सिंचाई राज्य मंत्री बनाया गया और उसी जुलाई में खनन विभाग का स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया. उसके चंद महीनों के बाद जनवरी, 2014 में वह कैबिनेट मंत्री बन गए. फरवरी में उनके खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति एकत्र करने और राज्य में अवैध खनन को प्रश्रय देने के आरोप लगे.
सितंबर, 2016 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई से अवैध खनन मामले में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया. नतीजतन कुछ समय बाद उनको अखिलेश ने कैबिनेट से हटा दिया. हालांकि उसके बाद मुलायम के हस्तक्षेप के चलते उनकी वापसी हुई.
कथित गैंगरेप का मामला
बुंदेलखंड की एक महिला ने गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके सहयोगियों पर 2014 में कथित रूप से गैंगरेप का आरोप लगाया. उसके मुताबिक उसको खनन का ठेका देने की बात हुई थी लेकिन उसकी चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर गैंगरेप किया गया. उसको ब्लैकमेल करने के लिए उसकी तस्वीरें ली गईं और महीनों दुष्कर्म किया जाता रहा. पीडि़ता के मुताबिक उसकी नाबालिक बेटी पर भी उनकी बुरी नजर थी. उसके बाद जब उसने मामला दर्ज कराया तो मंत्री समेत उनके सहयोगियों की तरफ से उसको जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं. लिहाजा उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
दरअसल, गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने वाली महिला का आरोप है कि मंत्री ने उसे पार्टी में ऊंचा पद दिलाने के नाम पर पिछले दो साल में कई बार रेप किया, और उसकी नाबालिग बेटी के साथ छेड़छाड़ भी की. महिला का यह भी आरोप है कि इस मामले में पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की. हाल में इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी प्रभावशाली है, तो इसका मतलब यह नहीं हो सकता कि पुलिस एफआईआर भी दर्ज न करे. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच करने और फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया. इससे पहले, राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मामले की जांच में कोई अपराध सामने नहीं आया है.
हालांकि उसके बाद सपा नेता गायत्री प्रसाद प्रजापति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए उनकी गिरफ्तारी को रोकने की गुहार लगाने से संबंधित याचिका दायर की. उन्होंने गुजारिश करते हुए कहा कि उनके खिलाफ मामला वापस लिया जाए. उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि कोर्ट ने उनका पक्ष नहीं सुना. हालांकि उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया गया.
फर्श से अर्श तक
मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाने वाले गायत्री प्रसाद प्रजापति जब पहली बार चुनाव लड़े थे तो उनको महज 1500 वोट मिले थे. उस दौर में उनके पास बीपीएल कार्ड था. 2012 में पहली बार सपा के टिकट पर अमेठी से कांग्रेस की अमिता सिंह को हराकर जीते. उसके बाद उनका सितारा बुलंद होता चला गया. कांग्रेस के गढ़ में जीतने की वजह से वह सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की नजर में आए. उनको फरवरी 2013 में सिंचाई राज्य मंत्री बनाया गया और उसी जुलाई में खनन विभाग का स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया. उसके चंद महीनों के बाद जनवरी, 2014 में वह कैबिनेट मंत्री बन गए. फरवरी में उनके खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति एकत्र करने और राज्य में अवैध खनन को प्रश्रय देने के आरोप लगे.
सितंबर, 2016 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई से अवैध खनन मामले में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया. नतीजतन कुछ समय बाद उनको अखिलेश ने कैबिनेट से हटा दिया. हालांकि उसके बाद मुलायम के हस्तक्षेप के चलते उनकी वापसी हुई.
कथित गैंगरेप का मामला
बुंदेलखंड की एक महिला ने गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके सहयोगियों पर 2014 में कथित रूप से गैंगरेप का आरोप लगाया. उसके मुताबिक उसको खनन का ठेका देने की बात हुई थी लेकिन उसकी चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर गैंगरेप किया गया. उसको ब्लैकमेल करने के लिए उसकी तस्वीरें ली गईं और महीनों दुष्कर्म किया जाता रहा. पीडि़ता के मुताबिक उसकी नाबालिक बेटी पर भी उनकी बुरी नजर थी. उसके बाद जब उसने मामला दर्ज कराया तो मंत्री समेत उनके सहयोगियों की तरफ से उसको जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं. लिहाजा उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
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