समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और AIMIM चीफ़ असदुद्दीन ओवैसी आज उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए उतरेंगे. अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी का ये रिश्ता क्या कहलाता है? इसका जवाब शायद दोनों नेताओं को ही मालूम है. उसी रिश्ते को पूरी शिद्दत से निभाने ओवैसी यूपी आ रहे हैं, वो भी महाराष्ट्र का चुनाव प्रचार छोड़ कर. AIMIM चीफ़ उसी मीरापुर में आ रहे हैं, जहां अखिलेश यादव का भी रोड शो है. क़िस्मत का भी क्या कनेक्शन है, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश की चुनावी सभा 16 नवंबर को तय थी. लेकिन मौसम ख़राब होने के कारण अखिलेश का हेलीकॉप्टर नहीं उड़ पाया. अब मीरापुर में जिस समय ओवैसी चुनावी सभा करेंगे, ठीक उसी समय अखिलेश का रोड शो भी है.
11 साल बाद ओवैसी ने मुज़फ़्फ़रनगर दंगों का मुद्दा उठाया
महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने यूपी को लेकर अपना एजेंडा जगज़ाहिर कर दिया था. इन दिनों वे कांग्रेस पर मुलायम हैं, पर समाजवादी पार्टी पर कठोर हैं. ग्यारह साल बाद उन्होंने फिर से मुज़फ़्फ़रनगर दंगों का मुद्दा उठाया है. महाराष्ट्र के औरंगाबाद मैं चुनाव सभा में उन्होंने अखिलेश यादव पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि दंगों में अखिलेश ने मुसलमानों को उनकी क़िस्मत पर छोड़ दिया था. तब अखिलेश यादव ही यूपी के मुख्यमंत्री थे. दंगों के बाद ओवैसी ने भी मुज़फ़्फ़रनगर का दौरा किया था. अखिलेश पर तंज करते हुए ओवैसी ने कहा था- मुसलमान समाजवादी पार्टी के लिए बस वोट बैंक हैं.
UP में AIMIM तीन सीटों पर लड़ रही चुनाव
यूपी के उप चुनाव में AIMIM तीन विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. ग़ाज़ियाबाद, मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट. असदुद्दीन ओवैसी सिर्फ़ मीरापुर और कुंदरकी में चुनाव प्रचार करेंगे. इन दोनों विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटरों का दबदबा है. कुंदरकी में तो 65% मुस्लिम वोटर हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर ओवैसी की पार्टी को क़रीब चौदह हज़ार वोट मिले थे. मुसलमानों का असली नेता कौन! असली मुद्दा यही है. ओवैसी कहते हैं कि अखिलेश यादव मुसलमानों का वोट लेते हैं, पर सत्ता में हिस्सेदारी नहीं देते. उनका आरोप रहा है कि समाजवादी पार्टी में मुसलमान बस दरी बिछाते हैं.
ओवैसी बनाम अखिलेश का ताजा राउंड
ओवैसी बनाम अखिलेश वाले मुक़ाबले से ताज़ा राउंड का कनेक्शन महाराष्ट्र से है. वहां AIMIM के दो विधायक हैं. एक मालेगांव से हैं और दूसरे धुले से. इस बार अखिलेश यादव ने इन दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार खड़े कर दिए. इतना ही नहीं अखिलेश ने तो दोनों जगहों पर जाकर चुनाव प्रचार भी कर दिया. उसी समय ओवैसी ने यूपी के उप चुनाव में भी क़िस्मत आज़माने का फ़ैसला किया था. पिछले लोकसभा चुनाव में यूपी में ओवैसी ने प्रचार तो किया पर कोई उम्मीदवार नहीं दिया था.
अखिलेश और ओवैसी में क्यों ठनी
बात उन दिनों की है, जब अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे. असदुद्दीन ओवैसी ने उनकी सरकार में कई जगहों पर कार्यक्रम करने की कोशिश की. पर हर बार क़ानून व्यवस्था ख़राब होने के नाम पर उन्हें सभा करने की इजाज़त नहीं मिली. उसी समय से अखिलेश यादव और ओवैसी में ठनी हुई है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष को लगता है कि AIMIM तो बीजेपी की बी टीम है. ओवैसी के प्रचार करने से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो जाता है. वैसे तो विधानसभा से लेकर पंचायत तक के चुनाव ओवैसी की पार्टी यूपी में लड़ चुकी है, हालांकि कोई ख़ास कामयाबी नहीं मिली है. लेकिन क्या पता पब्लिक किसे और कब सिरमाथे पर बैठा ले. मेरठ के मेयर के चुनाव में बीजेपी का मुक़ाबला ओवैसी की पार्टी से हो गया था. अखिलेश की पार्टी मुक़ाबले से बाहर थी. इस बार ओवैसी इसी इरादे से यूपी आ रहे हैं. यूपी में विधानसभा के उप चुनाव के लिए प्रचार कल शाम थम जाएगा. इस बार नौ सीटों पर उप चुनाव हो रहा है. प्रचार के आख़िरी दिन सबसे दिलचस्प मुक़ाबला है.
ओवैसी बनाम अखिलेश यादव की जंग
कल मुज़फ़्फ़रनगर की मीरापुर सीट पर दोनों नेता चुनाव प्रचार कर रहे हैं. AIMIM के नेता असदूद्दीन ओवैसी पहली बार यूपी के उप चुनाव में प्रचार करने आ रहे हैं. उनकी पार्टी तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है. महाराष्ट्र में ओवैसी ने अखिलेश यादव के खिलाफ मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के समय मुसलमानों को उनके हाल पर छोड़ देने का आरोप लगाया था
प्रचार के आखिरी दिन CM योगी यूपी से बाहर
इधर, अखिलेश यादव की सांसद पत्नी डिंपल यादव पहली बार इस उप चुनाव में करहल से बाहर निकल कर आज कानपुर में रोड शो करेंगी. यहां की सीसामऊ विधानसभा सीट से नसीम सोलंकी समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रही हैं. अखिलेश यादव मीरापुर में रोड शो करेंगे. जबकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रचार के आख़िरी दिन झारखंड में रहेंगे. वे वहां राजमहल, जामताड़ा, देवघर में चुनावी रैलियां करेंगे. यूपी में विधानसभा की जिन नौ सीटों पर 20 नवंबर को मतदान हैं, उनमें से तीन पर बीजेपी, चार पर समाजवादी पार्टी और एक एक सीट पर बीजेपी की सहयोगी पार्टी आरएलडी और निषाद पार्टी का क़ब्ज़ा था. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की गठबंधन है. लेकिन कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ रही है.
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