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45 दिन से सोया नहीं... : टारगेट नहीं हुआ पूरा तो एरिया मैनेजर ने लगा ली फांसी, वर्क प्रेशर का लगाया आरोप

तरुण ने अपनी पत्नी को संबोधित करते हुए पांच पेज के सुसाइड नोट में लिखा है कि पूरी कोशिश करने के  बावजूद भी वह टारगेट पूरे नहीं कर पा रहा  है, जिसकी वजह से वह बेहद तनाव में हैं. उसे चिंता थी कि कहीं उसकी नौकरी ना चली जाए. (विनोद कुमार गौतम की रिपोर्ट)

45 दिन से सोया नहीं... : टारगेट नहीं हुआ पूरा तो एरिया मैनेजर ने लगा ली फांसी, वर्क प्रेशर का लगाया आरोप
झांसी:

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के झांसी में एक फाइनेंस कम्पनी के एरिया मैनेजर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. मौके से 5 पेज का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उसने बताया कि पिछले दो महीने से अधिकारी उस पर रिकवरी टारगेट पूरा करने का दवाब बना रहे थे. पूरा न होने पर उसके वेतन से काटने की धमकी दी जा रही थी. जिससे तंग आकर उसने यह कदम उठाया. फिलहाल पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

42 वर्षीय तरुण सक्सेना झांसी जनपद में नवाबाद थाना क्षेत्र के गुमनावरा पिछोर के रहने वाले थे. वह फाइनेंस कंपनी में एरिया मैनेजर के पद पर थे. उनकी एक बेटी और एक बेटा है. उनके पिता मेडिकल कॉलेज से रिटायर्ड क्लर्क हैं. सुबह जब घर पर काम करने वाली नौकरानी आई तो उसने एक कमरे में तरुण को फांसी पर लटका देखा. जबकि पत्नी और बच्चे दूसरे कमरे थे और उनके कमरे की बाहर से कुंडी लगी थी. नौकरानी ने शोर मचाते हुए पास में रहने वाले भाई को सूचना दी. उन्होंने आकर दूसरे कमरे में बंद पत्नी और बच्चों को बाहर निकाला. इसके बाद पुलिस को इसकी सूचना दी. पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर कार्रवाई शुरू कर दी.

तरुण ने अपनी पत्नी को संबोधित करते हुए पांच पेज के सुसाइड नोट में लिखा है कि पूरी कोशिश करने के  बावजूद भी वह टारगेट पूरे नहीं कर पा रहा  है, जिसकी वजह से वह बेहद तनाव में हैं. उसे चिंता थी कि कहीं उसकी नौकरी ना चली जाए. उसने लिखा है कि उनके सीनियर अधिकारियों ने उनका कई बार अपमान किया है. उसने लिखा है, 'मैं भविष्य को लेकर बहुत तनाव में हूं. मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा हूं. मैं जा रहा हूं.'

तरुण ने कहा है कि उन्हें और उनके सहयोगियों को उन ईएमआई का भुगतान करने के लिए कहा गया था जो वे अपने एरिया में वसूल नहीं कर सके थे. उन्होंने लिखा कि रिकवरी में आ रही दिक्कतों को उन्होंने बार-बार अपने सीनियर्स के सामने उठाया, लेकिन वे उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे. सुसाइड नोट में लिखा है, "मैं 45 दिनों से सोया नहीं हूं. मैंने मुश्किल से खाना खाया है. मैं बहुत तनाव में हूं. सीनियर मैनेजर मुझ पर किसी तरह टारगेट पूरा करने या नौकरी छोड़ने का दबाव बना रहे हैं."

तरुण ने यह भी लिखा कि उन्होंने अपने बच्चों की साल के अंत तक स्कूल की फीस भर दी है और अपने परिवार के सदस्यों से माफी मांगी है. उन्होंने कहा, "आप सभी मेघा, यथार्थ और पीहू का ख्याल रखें. मम्मी, पापा, मैंने कभी कुछ नहीं मांगा, लेकिन अब मांग रहा हूं. कृपया दूसरी मंजिल बनवा दीजिए ताकि मेरा परिवार आराम से रह सके."

उन्होंने अपने बच्चों से अच्छे से पढ़ाई करने और अपनी मां का ख्याल रखने को कहा. उन्होंने अपने रिश्तेदारों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उनके परिवार को बीमा का पैसा आसानी से मिल जाए. उन्होंने अपने सीनियरों का भी नाम लिया और अपने परिवार से उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने को कहा.

कंपनी के अधिकारियों पर गंभीर आरोप
परिजनों और सुसाइड नोट के मुताबिक, फाइनेंस कंपनी के अधिकारी लगातार तरुण पर रिकवरी कराने का दवाब बना रहे थे. टारगेट पूरा न करने पर उसे धमकाया जा रहा था. जिस कारण वह दो महीने से ज्यादा परेशान रहता था. जिसके बारे में उसने परिवार को भी जानकारी दी थी. आत्महत्या करने से पहले तरुण की कंपनी के अधिकारियों से मीटिंग भी हुई थी, उस दौरान ऐसा क्या हुआ जिससे उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं.

तरुण के भाई गौरव सक्सेना का कहना कि उन पर दवाब बनाया जा रहा था कि मार्केट में जो कलेक्शन होना है उसे ज्यादा से ज्यादा लाइए. टारगेट पूरा न होने पर उनकी सैलरी से ही पैसा काटा गया है. गौरव ने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने ही मेरे भाई को सुसाइड के लिए उकसाया है. 

पुलिस अधीक्षक नगर ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में ले लिया और पोस्टमार्टम की कार्रवाई कराई जा रही है. सुसाइड नोट में अपने उच्च अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है कि उनके द्वारा टारगेट ज्यादा दिया जा रहा था और लगातार उस टारगेट को पूरा करने का प्रेशर बनाया जा रहा था.  परिजनों द्वारा यदि शिकायत मिलती है तो उसकी जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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