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सरकार को MSME सेक्टर में क्यों कम करना चाहिए कंट्रोल? नीलकंठ मिश्रा से समझें इकोनॉमिक सर्वे में क्या है खास

Economic Survey: बजट 2024 से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 यानी इकोनॉमिक सर्वे पेश किया. सर्वे में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (GDP) 6.5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है.

नीलकंठ मिश्रा एक्सिस बैंक में चीफ इकोनॉमिक ऑफिसर हैं.

नई दिल्ली:

भारतीय अर्थव्यवस्था एक मजबूत और स्थिर स्थिति में है. देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) ने आर्थिक और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करते हुए कोविड के बाद अपनी रिकवरी को मजबूत किया है. सोमवार को संसद में पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे में ये बातें सामने आई. इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2024) में मंगलवार को पेश होने वाले बजट 2024 के कुछ खास संकेत मिले हैं. NDTV ने इकोनॉमिक सर्वे को लेकर अलग-अलग एक्सपर्ट्स से बात की. इस दौरान एक्सपर्ट्स से ये समझने की कोशिश की गई कि मंगलवार को पेश होने वाले बजट में किस सेक्टर पर फोकस रहने की उम्मीद है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार सुबह 11 बजे बजट पेश करेंगी.

इकोनॉमिक सर्वे 2024 में कहा गया कि सरकार को कुछ जगहों पर अपना कंट्रोल कम करने की जरूरत है, ताकि ज्यादा फायदा हो. कौन-कौन से सेक्टर हैं, जहां लगता है कि सरकार को अपना कंट्रोल कम करना चाहिए? इसके जवाब में एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री नीलकंठ मिश्रा कहते हैं, "आर्थिक सर्वे में पावर कम करने की बात से मतलब लाइसेंसिंग पॉलिसी में ढील देना है. खासतौर पर MSME सेक्टर में नियमों में ढील की उम्मीद की जा रही है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग से जुड़े लोगों की क्षमता कम होती है.  लिहाजा वो इतने नियमों का पालन नहीं कर पाते. लिटिगेशन में उनका काफी समय बर्बाद होता है. उनकी देयता पर सवाल उठते हैं. इसलिए अगर इन नियमों को कम कर दें, तो MSME को सीधा फायदा पहुंचेगा."

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सर्वे की बातों को बजट से डायरेक्ट लिंक करना फायदेमंद नहीं
आर्थिक सर्वे के मुताबिक देश की आर्थिक सेहत अच्छी है, तो क्या इसे संकेत माना जाए कि सरकार नौकरी पेशा लोगों को टैक्स में राहत दे सकती है? इसके जवाब में एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री नीलकंठ मिश्रा कहते हैं, "आर्थिक सर्वे से बजट का बहुत ज्यादा लिंक होता नहीं है. आर्थिक सर्वेक्षण चीफ इकोनॉमिक ऑफिस की ओर से पब्लिश होते हैं. इसमें देश की माली हालत को पेश किया जाता है. सर्वे में कहा है कि सरकार को अपना कंट्रोल कम करना चाहिए. इसमें काफी भलाई है. लेकिन हकीकत में ये सब चीजें बहुत जल्दी लागू नहीं होती हैं. लिहाजा आर्थिक सर्वे की बातों को बजट से डायरेक्ट लिंक करना मेरे ख्याल से बहुत फायदेमंद नहीं होगा."

नीलकंठ मिश्रा कहते हैं, "बेशक आर्थिक सर्वे में एक अहम पहलू ग्रोथ टार्गेट है. आर्थिक सर्वे ये कहता है कि अभी बाजार की परिस्थितियों के हिसाब से देश की जीडीपी 6.5 से 7 पर्सेंट के ऊपर है. सर्वे में काफी अच्छे मिडियम टर्म सिफारिशें हैं. इसे लागू किया जाए, तो आने वाले दिनों में सरकार की नीतियां और ज्यादा बेहतर हो सकती हैं."

आर्थिक सर्वे में MSME के लिए क्या कहा गया?
आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि MSME सेक्टर भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है, जो देश के GDP में करीब 30 प्रतिशत, मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्शन में 45 प्रतिशत का योगदान करती है. ये सेक्टर भारत की 11 करोड़ आबादी को रोजगार देती है. सर्वे के मुताबिक, हालांकि इस सेक्टर को ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, फाइनेंशियल मैनेजमेंट और टेक्नोलॉजी में ट्रेनिंग की भी जरूरत है. इस तरह की ट्रेनिंग से MSME मालिक-उद्यमियों की प्रोडक्टिविटी बहुत अधिक होगी.

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वित्त मंत्री ने जो आर्थिक सर्वे पेश किया, उसके 5 अहम पहलू हैं:-
पहला- 2024-25 के वित्तीय वर्ष में देश का GDP रेट 6.5 से 7% के बीच रहने का अनुमान है.
दूसरा- महंगाई पर कंट्रोल होगा.
तीसरा- चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) में भी सुधार होगा.
चौथा- बैंकिंग सिस्टम और मजबूत होगा.
पांचवां- LPG और डीजल पेट्रोल की घटी कीमतों से आर्थिक सेहत मजबूत होगी.

कौन बनाता है इकोनॉमिक सर्वे?
वित्त मंत्रालय में एक डिपार्टमेंट है इकोनॉमिक अफेयर्स. इसमें एक इकोनॉमिक डिवीजन आती है. चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर यानी CEA की देख-रेख में यही इकोनॉमिक डिवीजन इकोनॉमिक सर्वे तैयार करती है. वर्तमान में डॉ. वी अनंत नागेश्वरन CEA  हैं.

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