इलाहाबाद हाईकोर्ट के दबाव में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) एशिया के बेहतरीन पुस्तकालयों में शुमार की जाने वाली अपनी मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी में लड़कियों को भी प्रवेश की अनुमति देने तथा इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था करने पर सहमत हो गया है।
महिला विद्यार्थियों को लाइब्रेरी में प्रवेश की अनुमति मांगती एक अपील पर कोर्ट ने मंगलवार को ही यह आदेश जारी किया। मामले की सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि महिलाओं पर पाबंदी स्थानाभाव के कारण लगाई गई, लेकिन अब उसने कोर्ट में कहा कि मुद्दा सुरक्षा का है, क्योंकि महिला कॉलेज की दूरी लगभग साढ़े तीन किलोमीटर है, लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए विश्वविद्यालय से सुरक्षा मुहैया कराने के लिए कहा।
दरअसल, एएमयू में मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी के लिए कई दशकों से जारी यह पाबंदी उस वक्त सुर्खियों में आई थी, जब एएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ज़मीरुद्दीन शाह ने कहा था, "अगर यूनिवर्सिटी की मुख्य लाइब्रेरी (मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी) की सदस्यता लड़कियों को भी दे दी जाएगी, तो लाइब्रेरी में लड़कियों के पीछे चौगुना लड़के भर जाएंगे..."
इस बयान के प्रकाशित हो जाने पर उसकी चौतरफा आलोचना होने लगी, और इसी दौरान केंद्रीय शिक्षामंत्री स्मृति ईरानी ने भी मामले पर रिपोर्ट तलब करते हुए कुलपति को खत लिखकर कहा था कि कुछ महिलाओं को लाइब्रेरी से बाहर रखना 'मानवाधिकार उल्लंघन' है। उन्होंने कुलपति के बयान को 'बेटियों का अपमान' करार देते हुए कहा था कि एक महिला के तौर पर यह बयान केवल आहत नहीं करता, बल्कि आंदोलित भी करता है।
उधर, कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह ने कहा था, "लगभग 4,000 लड़कियां हैं, जो स्नातक पाठ्यक्रम में पढ़ रही हैं... अगर हम उन्हें भीतर आने जेते हैं, तो जगह ही नहीं बचेगी... सो, साफ बात है, हम उन्हें अनुमति नहीं दे सकते... वैसे, हम महिला सशक्तिकरण के खिलाफ नहीं हैं..." वैसे, महिला कॉलेज की स्थापना वर्ष 1906 में हुई थी, और मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी कई दशक बाद स्थापित हुई। महिला कॉलेज की छात्राओं को कभी भी इस लाइब्रेरी की सदस्यता नहीं दी गई, और वैसे इस लाइब्रेरी में कुल 1,300 लोगों के बैठने की जगह है।
गौरतलब है कि देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शुमार किए जाने वाले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सभी स्नातक हो चुके विद्यार्थियों को मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी के इस्तेमाल की इजाज़त है, लेकिन स्नातक पाठ्यक्रम की लगभग 2,500 छात्राओं को लाइब्रेरी में प्रवेश से वंचित रखा गया है, और इस पर वाइस चांसलर का कहना था कि वे लड़कियां महिला कॉलेज जा सकती हैं, जहां लाइब्रेरी है, हालांकि उसमें इतनी किताबें नहीं हैं।
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