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उद्धव ठाकरे से बार-बार क्यों मिल रहे राज ठाकरे? 3 महीनों में 5 मुलाकात... सिर्फ रिश्ते सुधरे या राजनीति भी सधी

विश्लेषकों का कहना है कि ये लगातार बातचीत दोनों ठाकरे परिवारों के बीच समझ के एक नए दौर का संकेत देती है, जो न केवल एक व्यक्तिगत पुनर्मिलन है, बल्कि एक सुनियोजित राजनीतिक पुनर्संतुलन भी है.

उद्धव ठाकरे से बार-बार क्यों मिल रहे राज ठाकरे? 3 महीनों में 5 मुलाकात... सिर्फ रिश्ते सुधरे या राजनीति भी सधी

मुंबई में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे रविवार को अपने चचेरे भाई और शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री गए. यह हफ्तेभर में दूसरी बार है, जब राज ठाकरे मातोश्री पहुंचे हैं. पत्रकारों द्वारा इस मुलाकात के उद्देश्य के बारे में पूछे जाने पर, राज ठाकरे ने कहा, 'मेरी मां मेरे साथ हैं.' उनका इशारा इस ओर था कि यह एक पारिवारिक मिलन समारोह है. हालांकि, यह मुलाकात बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के महत्वपूर्ण चुनावों के लिए दोनों चचेरे भाइयों के एक साथ आने की अटकलों के बीच हुई है. दोनों भाइयों की मुलाकात  5 जुलाई से लेकर अब तक 5 बार हो चुकी है...क्या है इसके मायने?

3 महीने 5 मुलाकात

इन दोनों नेताओं की मुलाक़ातों का सिलसिला इस साल 5 जुलाई को शुरू हुआ, जब दोनों नेता वर्ली में 'आवाज़ मराठीचा' रैली में एक साझा मंच पर आए. दशकों में यह पहली बार था जब दोनों ठाकरे परिवार एक मंच साझा करते नज़र आए. केंद्र सरकार के त्रिभाषा फॉर्मूले और जिसे उन्होंने "हिंदी थोपना" कहा था, उसके विरोध में आयोजित इस रैली को मराठी गौरव के लिए एक सांस्कृतिक और भाषाई एकजुटता आंदोलन के रूप में पेश किया गया था. फिर भी, इसने दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक मधुरता का भी संकेत दिया.

उसी महीने के अंत में, राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे के बांद्रा स्थित आवास मातोश्री जाकर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं. इस मुलाकात को व्यक्तिगत और सौहार्दपूर्ण, लेकिन राजनीतिक रूप से प्रतीकात्मक बताया गया. सितंबर की शुरुआत में, उद्धव ने दादर स्थित राज के आवास शिवतीर्थ का दौरा किया. बताया जाता है कि दोनों ने महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति, बीएमसी के कामकाज और मुंबई के शासन में मराठी पहचान के लिए अपने साझा दृष्टिकोण पर चर्चा की.

उनकी चौथी और पांचवीं मुलाक़ातें अक्टूबर में हुईं, और सबसे हालिया मुलाक़ात 6 अक्टूबर को फिर से मातोश्री में हुई. इस मुलाक़ात, जिसे कई मीडिया संस्थानों ने "तीन महीनों में पांचवीं मुलाक़ात" बताया, ने मनसे और शिवसेना (यूबीटी) के बीच राजनीतिक समझ की चर्चा को फिर से हवा दे दी. हालांकि दोनों पक्षों ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि ये मुलाक़ातें "व्यक्तिगत" थीं, पार्टी सूत्रों का कहना है कि आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम चुनावों के लिए संभावित समन्वय पर चर्चा चल रही है.

मुलाकातों के मायने

इन मुलाकातों को महाराष्ट्र की राजनीति में एक रणनीतिक पुनर्गठन के हिस्से के रूप में भी देखा जा रहा है. 2022 के विभाजन के बाद से शिवसेना (यूबीटी) गुट का नेतृत्व कर रहे उद्धव ठाकरे ने संकेत दिया है कि वह राज के साथ काम करने के लिए तैयार हैं. हाल ही में एक बयान में, उद्धव ने कहा कि वह किसी भी संभावित गठबंधन के बारे में अपने फैसले की घोषणा "सही समय पर" करेंगे. राज ठाकरे ने भी अपने चचेरे भाई के प्रति अपना रुख नरम कर लिया है और अब मुंबई से जुड़े सांस्कृतिक और प्रशासनिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

विश्लेषकों का कहना है कि ये लगातार बातचीत दोनों ठाकरे परिवारों के बीच समझ के एक नए दौर का संकेत देती है, जो न केवल एक व्यक्तिगत पुनर्मिलन है, बल्कि एक सुनियोजित राजनीतिक पुनर्संतुलन भी है. अगर उनकी बातचीत औपचारिक गठबंधन में तब्दील होती है, तो यह मुंबई में चुनावी समीकरणों को, खासकर उन नगर निगम चुनावों में, महत्वपूर्ण रूप से बदल सकता है, जहां दोनों नेताओं का स्थानीय स्तर पर गहरा प्रभाव है. फिलहाल, तीन महीनों में राज और उद्धव की पांच मुलाक़ातें इस बात की ताकीद करती हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में रिश्ते बिगड़ तो सकते हैं, लेकिन पूरी तरह टूटते नहीं. उनके नए हुए सौहार्द, कुछ पुरानी यादों और कुछ रणनीति पर सहयोगी और विरोधी, दोनों ही बारीकी से नज़र रख रहे हैं.
 

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