उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट के सांसद शिवसेना के एकनाश शिंदे गुट द्वारा की गई नियुक्तियों को रद्द कराने की मांग कर रहे हैं. वह अपनी इस मांग के साथ अू सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. उद्धव गुट के जिन सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है उनमें विनायक राउत और राजन विचारे शामिल हैं. इन दोनों सांसदों ने लोकसभा में नेता और मुख्य व्हिप के पदों पर नियुक्तियों को रद्द करने की मांग की है. दोनों सांसद की मांग है कि लोकसभा में राहुल शेवाले की शिवसेना नेता के रूप में और भावना गवाली की बतौर मुख्य व्हिप के रूप में नियुक्त को रद्द किया जाए.
खास बात है कि ठाकरे गुट के सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष पर पार्टी विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया है. ठाकरे गुट के सांसदों का कहना है कि लोकसभा में शिवसेना के नेता के रूप में राहुल शेवाले और लोकसभा में शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में भावना गवली की नियुक्ति पार्टी विरोधी गतिविधियों के दोषी सांसदों के इशारे पर की गई थी. ऐसे में साफ लग रहा है कि लोकसभा अध्यक्ष ने प्राकृतिक न्याय के बुनियादी नियमों का भी पालन नहीं किया है.
कुछ दिन पहले ही एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग को लिखा था कि उद्धव ठाकरे द्वारा नियुक्त शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी (National Executive) भंग कर दी गई है और उन्होंने एक नई कार्यकारिणी का गठन किया है. गौरतलब है कि, BJP की मदद से एकनाथ शिंदे ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ तख्तापलट का नेतृत्व किया था. उद्धव को सत्ता से बेदखल कर खुद महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने थे.
एखनाथ शिंदे ने अपने पत्र में लिखा था कि नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन में शिवसेना के अधिकांश नेताओं ने हिस्सा लिया है. शिंदे जिस बहुमत का उल्लेख करते हैं, वह उनके नेतृत्व वाला बागी गुट है.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे को शिवसेना के नेता के रूप में हटाने के लिए यह एकनाथ शिंदे का पहला औपचारिक कदम है. शिंदे ने यह कदम उस दिन उठाया है जब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में छह याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी जिसमें ये तय होगा कि शिवसेना का प्रभारी कौन है. सुप्रीम कोर्ट बगावत से जुड़ी याचिकाओं और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार द्वारा बगावत के दिनों में लिए गए विभिन्न फैसलों पर सुनवाई करेगा.
उद्धव ठाकरे ने यह आरोप लगाया था कि प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर विधायकों और सांसदों को उनके खिलाफ लामबंद किया गया. गौरतलब है कि, उद्धव ठाकरे खेमे के अधिकांश विधायकों ने एकनाथ शिंदे का साथ दिया था जिसकी वजह से उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी.
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