जम्मू कश्मीर में राजौरी जिले के उस गांव में सोमवार को एक आईईडी विस्फोट में दो चचेरे भाई-बहन की मौत हो गई, जहां 14 घंटे पहले ही आतंकवादियों ने चार लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी थी. स्थानीय लोगों का दावा है कि संभवत: सुरक्षा चूक के कारण विस्फोट की यह घटना हुई.स्थानीय लोगों ने दावा किया कि आतंकवादियों ने आईईडी (विस्फोटक उपकरण) रविवार को लगाया था और रविवार शाम गोलीबारी के बाद इलाके की घेराबंदी करने वाली पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा जांच किये जाने के दौरान विस्फोटक का पता नहीं चल सका था.स्थानीय निवासियों ने बताया कि डांगरी गांव में रविवार को हुए हमले के पीड़ित प्रीतमलाल नाम के व्यक्ति के घर के पास हुए विस्फोट में समीक्षा शर्मा (16) और विहान कुमार शर्मा (4) की मौत हो गई. सुबह करीब साढ़े नौ बजे हुए विस्फोट के समय मकान में लाल के रिश्तेदारों सहित कई लोग थे. दोनों घटनाओं में छह लोग मारे गये और 12 अन्य घायल हुए हैं.
ग्राम सरपंच दीपक कुमार ने कहा कि यह पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से सुरक्षा में गंभीर चूक है. उन्होंने राजौरी में संवाददाताओं से कहा, “यह सुरक्षा एजेंसियों द्वारा गंभीर सुरक्षा चूक है. अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं. प्रशासन को कड़े कदम उठाने चाहिए.”उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रदर्शन करने वाले स्थानीय लोगों की मांग पर गांव का दौरा किया, जिन्होंने शवों का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने सोमवार रात घोषणा की कि कथित ‘‘सुरक्षा चूक'' की जांच की जाएगी और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई का वादा किया.उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण रक्षा समिति को तत्काल मजबूत किया जाएगा.
स्थानीय प्रतिनिधियों और पीड़ितों के परिवारों के साथ बैठक में उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘हमने सुरक्षा बलों को पूरी आजादी दी है और मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस हमले के दोषियों को जल्द सजा मिलेगी. आतंकियों और आतंक के पूरे तंत्र को कुचलना हमारा दृढ़ संकल्प है.''घटना के कारण राजौरी शहर सहित पूरे जिले में प्रदर्शन होने और पूर्ण बंद की स्थिति रहने के बीच पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि आईईडी(विस्फोटक उपकरण) विस्फोट का मकसद वरिष्ठ अधिकारियों को निशाना बनाना था, जो वहां पहुंचने वाले थे.उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को निशाना बनाने के लिए यह एक सुनियोजित हमला था. उन्होंने राजौरी में संवाददाताओं से कहा, ‘‘अधिकारी घटनास्थल पर देर से पहुंचे. तब तक घटना हो चुकी थी.'' उन्होंने कहा, ‘‘हम उन्हें (हमलावरों को) मुंहतोड़ जवाब देंगे.''
डीजीपी ने घोषणा की है कि ग्राम रक्षा समितियों (वीडीसी) को हथियारों से फिर से लैस किया जाएगा. दरअसल, कुछ प्रदर्शनकारी नेताओं और स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि यदि अधिकारियों ने वीडीसी के हथियार वापस नहीं लिये होते तो घटना टाली जा सकती थी.भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू कश्मीर इकाई के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधानपरिषद सदस्य विबोध गुप्ता ने आरोप लगाया कि वीडीसी की 60 प्रतिशत बंदूकें वापस ले ली गई हैं.गुप्ता ने डीजीपी से कहा, ‘‘यह बाल कृष्ण (नामक व्यक्ति) थे, जिनके पास एक बंदूक थी और उन्होंने जवाबी गोलीबारी की, जिससे आतंकी भागने को मजबूर हुए. उनके इस कार्य ने गांव के 40 से अधिक लोगों की जान बचाई.''डीजीपी ने प्रदर्शनकारियों से भी मुलाकात की, जो मौके पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पहुंचने तक मृतकों की अंत्येष्टि करने से इनकार कर रहे थे.बाद में शाम में, सिन्हा गांव में पहुंचे, जहां उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.सिन्हा ने ग्राम सरपंचों और पुलिस के साथ बैठक से पहले लोगों से कहा कि शोकाकुल परिवारों को हर सहायता दी जाएगी.
उन्होंने कहा, ‘‘आपने मुझसे जो (सुरक्षा चूक और उपायों के बारे में) कहा है, मैं वादा करता हूं कि हम विषय की तह तक जाएंगे. जो कुछ भी कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत होगी, वह की जाएगी.''उपराज्यपाल से मिलने के बाद प्रदर्शनकारी मंगलवार सुबह अंतिम संस्कार करने के लिए सहमत हो गये.सिन्हा ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर के डांगरी गांव में हुए आतंकी हमले में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने इस घटना में मारे गए नागरिकों के परिजनों को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की.अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक टीम जांच के लिए डांगरी गांव पहुंच गई है.अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी), जम्मू, मुकेश सिंह ने राजौरी में संवाददाताओं को बताया, “आईईडी एक बैग के नीचे रखा गया था.''जम्मू मंडल के आयुक्त रमेश कुमार के साथ घटनास्थल पर पहुंचे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सेना और पुलिस व्यापक तलाश अभियान चला रही है.सिंह ने कहा कि स्थानीय लोगों के मुताबिक, हमले में दो आतंकवादी शामिल थे.
राजौरी में हुए हमले के स्थान पर पहुंचे डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा, ‘‘मैं इसलिए आया हूं कि परिवारों के साथ एकजुट होना बहुत जरूरी है. इसलिए कश्मीर जाने के बजाय, मैं सीधे यहां आया. और भी आईईडी लगाये गये हो सकते हैं.''डीजीपी प्रदर्शन स्थल पर भी पहुंचे और कहा कि राजौरी के लोगों ने पूर्व में आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया है. उन्होंने कहा, ‘‘हत्याओं को लेकर मुझे दुख है. यह दुख का विषय है. यह वीडीसी को मजबूत करने का समय है.''उन्होंने कहा, ‘‘कोई बंदूकें वापस नहीं ली जाएंगी..., यदि कुछ बंदूकें ले ली गई हैं तो वे (वीडीसी को) लौटा दी जाएंगी तथा जरूरत पड़ने पर और बंदूकें उपलब्ध कराई जाएंगी.''उन्होंने प्रदर्शनकारियों से अनुरोध किया, ‘‘शवों का असम्मान नहीं करें और उनकी अंत्येष्टि की जाए.''रविवार के हमले के बारे में सिंह ने कहा कि दो आतंकवादियों ने तीन मकानों पर गोलीबारी की, जिसमें चार लोग मारे गये और छह अन्य घायल हो गये. घायलों की हालत स्थिर है.आमतौर पर शांत रहने वाले जम्मू क्षेत्र में कई वर्षों बाद इस तरह की यह पहली घटना है.जम्मू में, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, मिशन स्टेटहुड, शिवसेना और डोगरा फ्रंट ने प्रदर्शन किये.
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