
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने एक बार फिर भारत विरोधी बाते कही हैं. पीटर ने कहा है कि, "रूस से तेल खरीदना भारत के लिए जरूरी नहीं है. भारत रूस से तेल खरीदकर मुनाफा कमा रहा है. उम्मीद है कि भारत पर 50% का रेसिप्रोकल टैरिफ योजना के अनुसार 27 अगस्त 2025 से लागू हो जाएगा." जैसे-जैसे रेसिप्रोकल टैरिफ लगने की तारीख सामने आ रही है, वैसे ही भारतीय एक्सपोर्टर्स ने इसके असर से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है.
'भारतीय टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स बहुत महंगे हो जाएंगे'
Apparel Export Promotion Council (AEPC) के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने एनडीटीवी से बात की. सुधीर सेखरी के कपड़ा एक्सपोर्ट बिजनेस का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका एक्सपोर्ट होता है. उन्होंने कहा, "भारत से अमेरिका करीब 5 बिलियन डॉलर (करीब 44,000 करोड़) के टेक्सटाइल का एक्सपोर्ट होता है. 27 अगस्त से लागू होने वाले 50% रेसिप्रोकल टैरिफ की वजह से अमेरिकी बाजार में भारतीय टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स बहुत महंगे हो जाएंगे."
'भारत के कपड़ा व्यापारी अपने अमेरिकी खरीदारों से बातचीत कर रहे'
सुधीर सेखरी ने आगे बताया, "स्थिति से निपटने के लिए भारत के कपड़ा व्यापारी अपने अमेरिकी खरीदारों से बातचीत कर रहे हैं. उन्हें आश्वासन दिया है कि वो अपने प्रोडक्ट की सप्लाई बहाल रखेंगे. वहीं, दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अंतर्राष्ट्रीय कपड़ा बाजार में दूसरे देश जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम, इंडोनेशिया, तुर्की पर भारत के मुकाबले काफी कम रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है. सितंबर से मार्च का समय भारत से एक्सपोर्ट होने वाले कपड़ा व्यापार के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. ऐसे में भारत के टेक्सटाइल एक्सपोर्टर्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी को बनाए रखने की है."
अमेरिका एक्सपोर्ट होने वाले 55% व्यापार पर सीधा असर
इसके अलावा टेक्सटाइल एक्सपोर्टर्स ने भारत सरकार से मांग की है कि उन्हें इस चुनौती से निपटने के लिए एक राहत पैकेज मिले. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन ने कहा है कि इस 50% रिसिप्रोकल टैरिफ से अमेरिका एक्सपोर्ट होने वाले 55% व्यापार (करीब 4.17 लाख करोड़) पर सीधा असर पड़ेगा.
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