
- PM मोदी त्रिपुरा में स्थित 524 वर्ष पुराने त्रिपुर सुंदरी मंदिर के पुनर्विकसित स्वरूप का उद्घाटन करेंगे
- त्रिपुर सुंदरी मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और माना जाता है कि यहां मां सती के चरण गिरे थे
- मंदिर का पुनर्विकास केंद्र सरकार की PRASAD योजना के तहत 52 करोड़ रुपये से अधिक लागत में किया गया है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को त्रिपुरा में हैं. जहां वो त्रिपुर सुंदरी मंदिर के पुनर्विकसित स्वरूप का उद्घाटन करने जा रहे हैं. त्रिपुरा के गोमती ज़िले के उदयपुर में स्थित 524 साल पुराना त्रिपुर सुंदरी मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का भी अद्भुत प्रतीक माना जाता है. महाराजा धन्या माणिक्य द्वारा 1501 में निर्मित यह मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है, हिंदू मान्यताओं के अनुसार यहां मां सती के चरण गिरे थे. इसे “कुर्भपीठ” भी कहा जाता है, जहां तांत्रिक साधना का अद्वितीय महत्व है.
नवरात्र और दीपावली पर यहां लगने वाले मेले श्रद्धालुओं की भीड़ से आस्था का महासागर बना देते हैं. इस मंदिर को PRASAD (Pilgrimage Rejuvenation And Spiritual Augmentation Drive) योजना के तहत 52 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से संवारा गया है. आधुनिक सुविधाओं, सौंदर्यीकरण और 51 शक्तिपीठ पार्क जैसी परियोजनाओं के साथ यह धाम न केवल श्रद्धा का केन्द्र बनेगा, बल्कि त्रिपुरा के पर्यटन और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी नया अध्याय लिखेगा.

- त्रिपुर सुंदरी मंदिर का निर्माण वर्ष 1501 ईस्वी में महाराजा धन्या माणिक्य ने करवाया था.
- प्रारंभ में यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित था. लेकिन एक दिव्य स्वप्न में देवी माया ने महाराजा को आदेश दिया कि उन्हें अपने सबसे सुंदर रूप में यहीं प्रतिष्ठित किया जाए. उसके बाद मंदिर में देवी त्रिपुर सुंदरी की मूर्ति स्थापित हुई.
- यह मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है. लोकमान्यता है कि माता सती के शरीर के अध:-पैर का दक्षिण चरण (दक्षिण पैर की अंगुली सहित) यहीं गिरा था, जिससे इस जगह का आध्यात्मिक महत्व और बढ़ गया.
- मंदिर की स्थापत्य शैली बंगाली ‘एक-रत्न' (Ek-ratna) शैली की है और मूल ढांचा मंदिर की माउंटिंग सहित पुरानी स्थापत्य विशेषताओं को दिखाता है.

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने पुनर्विकसित त्रिपुर सुंदरी मंदिर और उसके सुंदर परिवेश का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर करते हुए लिखा, "प्रसाद परियोजना के तहत निर्मित माता के धाम के नए बुनियादी ढांचे का मनमोहक रात्रिकालीन अलौकिक दृश्य. माता की कृपा से धन्य यह मनमोहक परिसर, माता के प्रति वर्तमान सरकार की गहरी श्रद्धा और कृतज्ञता को दर्शाता है. त्रिपुरा की समस्त जनता 22 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने वाले भव्य उद्घाटन का बेसब्री से इंतजार कर रही है."
প্রসাদ প্রকল্পের আওতায় নির্মিত মায়ের আলয়ের নতুন পরিকাঠামোর রাত্রীকালীন অপূর্ব অলৌকিক দৃশ্য !
— Prof.(Dr.) Manik Saha (@DrManikSaha2) September 19, 2025
মনোমুগ্ধকর পরিসরটি, মায়ের আশীর্বাদে ধন্য বর্তমান সরকারের মায়ের প্রতি গভীর শ্রদ্ধা ও কৃতজ্ঞতার প্রতিফলন।
আগামী ২২শে সেপ্টেম্বর বিশ্ববরেণ্য জননেতা, যশস্বী প্রধানমন্ত্রী শ্রী… pic.twitter.com/CJMUbh2lqs
PRASAD योजना के तहत मंदिर का हो रहा है पुनर्विकास
मंदिर का पुनर्विकास PRASAD (Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual Heritage Augmentation Drive) योजना के तहत किया गया है, जो कि केंद्र सरकार की तीर्थ-यात्रा और धार्मिक विरासत संवर्धन की बड़े पैमाने की पहल है. इस पुनर्विकास की कुल लागत ₹52 करोड़ से अधिक है, जिसमें त्रिपुरा राज्य सरकार ने लगभग ₹7 करोड़ का योगदान दिया है. पुनरोद्धार से यह उम्मीद है कि इस क्षेत्र में पर्यटन को नया प्रोत्साहन मिलेगा, रोजगार सृजित होंगे, स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा और धार्मिक आस्था के साथ सामुदायिक संवाद भी पुष्ट होगा.

इस मंदिर को क्यों कहा जाता है कुर्भपीठ?
त्रिपुर सुंदरी मंदिर को “कुर्भपीठ” (Kurma Peeth) भी कहा जाता है, क्योंकि मंदिर का इलाका एक ऊंचे टीलें पर स्थित है जो करमा (कछुए की उभरी हुई पीठ) की तरह दिखता है. यह प्राकृतिक आकृति देवी पूजा के लिए विशेष तंत्र साधना हेतु आदर्श मानी जाती है. मंदिर में मां त्रिपुर सुंदरी की एक बड़ी मूर्ति (लगभग पांच फ़ीट ऊंची) और “छोटो-मा” नामक छोटी मूर्ति (लगभग दो फ़ीट की) स्थित है. छोटे देवी मूर्ति को छोटे-छोटे अवसरों पर साथ ले जाया जाता है, जैसे राजाओं द्वारा युद्ध या शिकार के समय. नवरात्रि, दिवाली आदि त्योहारों के समय विशाल मेले और उत्सव होते हैं जहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां दर्शन मात्र से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं.
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