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सीमांचल के पास सत्ता की चाभी? एयरपोर्ट की सौगात के बीच समझें PM मोदी के दौरे के सियासी मायने

लोकसभा चुनाव 2024 में सीमांचल की 4 में से 3 सीटों पर NDA को हार का सामना करना पड़ा था. विधानसभा चुनाव 2020 में भी NDA यहां की 24 में से मात्र 9 सीटें जीत सकी थी.

सीमांचल के पास सत्ता की चाभी? एयरपोर्ट की सौगात के बीच समझें PM मोदी के दौरे के सियासी मायने
PM Modi Purnia visit: उद्घाटन से पहले रंग-बिरंगी लाइटों से जगमग पूर्णिया एयरपोर्ट.
  • बिहार चुनाव से पहले PM मोदी राज्य के चौथे एयरपोर्ट और कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे.
  • विधानसभा चुनाव 2020 में सीमांचल की 24 सीटों में से महागठबंधन को 10, NDA को 9 और AIMIM को 5 सीटें मिली थीं.
  • सीमांचल को बिहार की सियासत में 'चिकेन नेक' माना जाता है और यह राजनीतिक रूप से अत्यंत संवेदनशील इलाका है.
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Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में कुछ दिनों में विधानसभा चुनाव होना है. चुनाव तारीखों की घोषणा से पहले राज्य में सियासी सरगर्मियां पूरे परवान पर है. सियासी दलों में मंथन का दौर जारी है. दूसरी ओर सत्तासीन एनडीए गठबंधन एक-एक कर आपने वादों को पूरा करने में जुटी है. इसी कड़ी में सोमवार को बिहार को एक बड़ी सौगात देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ रहे हैं. पीएम मोदी सोमवार को बिहार में चौथे एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे. इसके साथ ही पीएम मोदी कई अन्य विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी करेंगे.

PM मोदी के इस दौरे से सीमांचल के विकास को नई रफ्तार तो मिलेगी ही साथ ही राज्य के सत्ता की चाभी रखने वाले सीमांचल में एनडीए भी मजबूत होगी. पीएम मोदी के इसे दौरे के सियासी मायने क्या हैं, आइए समझते हैं, आंकड़ों और पिछले चुनावी नतीजों के आधार पर.

लोकसभा चुनाव 2024 में सीमांचल की 4 में से 3 सीटों पर NDA को हार का सामना करना पड़ा था. विधानसभा चुनाव 2020 में भी NDA यहां की 24 में से मात्र 9 सीटें जीत सकी थी.

सीमांचल में दमदार उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है BJP

कहावत है कि सियासत से जुड़े लोगों के हर कदम के राजनीतिक मायने होते हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौरे के राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं. दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव दस्तक दे रहा है, ऐसे में राजनीतिक नफा-नुकसान की चर्चा स्वाभाविक है.

सीमांचल में लोकसभा की 4 तो विधानसभा की 24 सीटें

सीमांचल का इलाका राजनीतिक रूप से अतिसंवेदनशील भी माना जाता है, जिसे चिकेन नेक भी कहा जाता है. यहां कुल 24 विधानसभा सीट है. विगत 2020 विधानसभा चुनाव में यहां महागठबन्धन को 10, NDA को 9 और AIMIM 5 सीटें हासिल हुई थी. यहां की खासियत है कि यहां के लोगों ने समय-समय पर हर दल को मौका दिया है जिसमें BJP भी शामिल रहा है.

2024 के आम चुनाव में NDA को 3 सीटों पर मिली थी हार

लेकिन, BJP को इस बात का मलाल रहा है कि इस इलाके में उसकी महत्वपूर्ण भागीदारी हाल के चुनावों में स्थापित नहीं हो पाई है. बीते लोकसभा चुनाव में भी इलाके के 4 लोकसभा चुनाव क्षेत्र में केवल अररिया BJP के खाते में गई जबकि कटिहार और अररिया कांग्रेस के खाते में गई. पूर्णिया सीट पर निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने जीत दर्ज किया.

2019 में सीमांचल की तीन सीटों पर जीती थी एनडीए

जबकि, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कटिहार, पूर्णिया और अररिया सीट पर NDA को जीत हासिल हुई थी. ऐसे में विकास योजनाओं की घोषणा के जरिये नरेन्द्र मोदी की कोशिश होगी कि वे अधिक से अधिक मतदाताओं को साध सके ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में फिर से एक बार सीमांचल के इलाके में स्थापित होने का मौका मिल सके.

चुनावी जोर-आजमाइश का केंद्र-बिंदू होगा सीमांचल

इस आम सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहेंगे. नीतीश कुमार की पार्टी JDU का भी इस इलाके में अपना जनाधार है. इस सभा के जरिये NDA अपनी एकजुटता का संदेश मतदाताओं तक पहुंचाना चाहेगा. गहन वोटर पुनरीक्षण (SIR) और वक्फ बिल को लेकर सीमांचल के अल्पसंख्यकों में उहापोह की स्थिति है. क्योंकि यहां AIMIM अपनी पैठ बनाने में कामयाब रहा है और बीते विधानसभा चुनाव में अपनी सियासी ताकत का इजहार कर चुका है.

पिछले साल सीमांचल ने ही तोड़ा था तेजस्वी का सपना

जबकि, महागठबन्धन भी सीमांचल में इस बार कोई गलती नहीं करना चाहेगा, क्योंकि गत विधानसभा चुनाव में सीमांचल की वजह से ही महागठबन्धन महज 12 हजार वोटों के अंतर से सरकार बनाने से और तेजश्वी मुख्यमंत्री बनने से दो कदम दूर रह गए थे.

AIMIM ने काटे वोट, मात्र 12 हजार से अंतर से चूके तेजस्वी

दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में महागठबंधन को एनडीए से मात्र 12 हजार वोट कम मिले थे. सियासी जानकारों का मानना है कि पिछले चुनाव में सीमांचल में AIMIM ने जो 5 सीटें जीती, उसने महागठबंधन का नुकसान ही किया. यदि ओवैसी की पार्टी को मिले वोट और सीटें तेजस्वी को मिल जाती तो संभव है कि सरकार महागठबंधन की बनती.

देखना दिलचस्प होगा, इन सौगातों का एनडीए को क्या फायदा मिलता है?

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में PM मोदी का विकास योजनाओं का यह सियासी सौगात सीमांचल में सर्जिकल स्ट्राइक साबित हो पाता है या नहीं. कांग्रेस नेता कुमार आदित्य कहते हैं ' सीमांचल की जनता इन चेहरों को बखूबी पहचानती है. चुनाव आया है तो ये विकास योजनाओं का पिटारा खोल रहे हैं. यह केवल छलावा है '.

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