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त्रिकुटा पर्वत को बख्श दो.. मां वैष्णो देवी गुस्से में, तपस्या न तोड़ो.. शख्स ने रोते-रोते बताया कहां हुई है भूल

जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने वैष्णो देवी भूस्खलन पर कहा कि बादल फटने के कारण जब ये घटना हुई, तब तक तीर्थयात्रा स्थगित की जा चुकी थी. बादल फटने के कारण कई लोग पानी में बह गए. कई जानें चली गईं.

त्रिकुटा पर्वत को बख्श दो.. मां वैष्णो देवी गुस्से में, तपस्या न तोड़ो.. शख्स ने रोते-रोते बताया कहां हुई है भूल
  • त्रिकुटा पर्वत पर भूस्खलन में 34 लोगों की मौत और 20 से अधिक घायल हुए हैं, राहत कार्य जारी है.
  • श्राइन बोर्ड की नीतियों और पर्वत पर बढ़ती व्यवसायिक गतिविधियों को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठे हैं.
  • त्रिकुटा पर्वत पर पेड़ों की कटाई, बढ़ती गंदगी और डीजल वाहनों की अनुमति से माता की तपस्या पर असर पड़ा है.
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34 मौतें. 20 से ज्यादा घायल. वह भी माता वैष्णो देवी के त्रिकुटा पर्वत पर. धराली, धराली, मनाली, किश्तवाड़ में कुदरत के कहर के बाद इन मौतों ने देश को झकझोर दिया है. सोशल मीडिया पर दर्द की लहर सी है. जिस रास्ते से श्रद्धालु 'जोर से बोलो जय माता की' बोलते हुए आगे बढ़ते थे, वहां सैलाब का शोर कंपा रहा था. श्रद्धालु पूछ रहे हैं- यह क्यों मां? मां के घर में यह कैसी आपदा है? क्या दोषी हम हैं? दुर्गा सप्तशती के आखिर में मां से क्षमा मांगने के लिए क्षमा प्रार्थना मंत्र का पाठ किया जाता है. भूल में हुई अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी जाती है. क्या यह भूल हमसे हुई है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है. कटरा का रहने वाला शख्स रोते हुए बता रहा है कि कैसे मां के घर त्रिकुटा पर्वत को विकास के नाम पर बर्बाद कर दिया गया है. 

सोशल मीडिया पर कटरा के रहने वाले शख्स का वीडियो वायरल है, जिसमें वह रोते हुए त्रिकुटा पर्वत पर पेड़ लगाने और अंधाधुंध विकास कार्य रोकने की गुजार लगा रहा है.

सोशल मीडिया पर कटरा के रहने वाले शख्स का वीडियो वायरल है, जिसमें वह रोते हुए त्रिकुटा पर्वत पर पेड़ लगाने और अंधाधुंध विकास कार्य रोकने की गुहार लगा रहा है.

'माता रानी के पहाड़ों की जड़ें खोदकर रख दीं आपने...'

इस पर्वत को बख्श दो. पेड़ लगाओ इधर. तबाही हो गई है लोगों की. नहीं देखा जाता अब. दो महीने पहले भी तबाही की और अब फिर से तबाही कर दी आपने. माता रानी के पहाड़ों की जड़ें लेकर रख दीं आपने. कितना डिवलेपमेंट करना है. कहीं और जाकर डिवेलपमेंट करो. इधर न करो. जो जहाजों की टिकट लेते है ना उसको श्राइन बोर्ड के खिलाफ कुछ नहीं बोलना है. जिसको अच्छे दर्शन चाहिए वह बोर्ड के खिलाफ बोलता ही नहीं है. यार बोलना पड़ेगा. जब त्रिकुटा पर्वत नहीं रहेगा ना तो कटरा भी नहीं रहेगा. मातारानी भी नहीं रहेगी. पहाड़ नहीं रहेगा. न यात्रा रहेगी. यह जगमग लाइटें नहीं रहेंगी. आपने पहाड़ की तबाही कर दी है. त्रिकुटा पर्वत को बख्श दो. आपको मातारानी का वास्ता. इस पहाड़ में सिर्फ पानी है. मैं बचपन से यहां रहता हूं. मेरी जन्मभूमि है कटरा. आप यहां जेसीबी चला रहे हो.

कटरावासी ने बताया सच

सोशल मीडिया पर एक कटरावासी ने साफ-साफ कहा कि श्राइन बोर्ड की किताबों से लेकर रामायण तक में साफ-साफ लिखा है कि मां वैष्णो देवी प्रभु श्रीराम के लिए तपस्या कर रही हैं. श्रीराम ने उन्हें वादा किया था कि कलयुग में जब वो लौटेंगे तो माता को स्वीकार करेंगे. ऐसे में माता की तपस्या को प्रदूषण, गाड़ियों के हॉर्न, पेड़ों की कटाई और लगातार हो रहे निर्माण से क्यों बाधा पहुंचाई जा रही है? मां गु्स्से में हैं. कारण उनकी हजारों सालों की तपस्या में बाधा आ रही है. श्राइन बोर्ड भीड़ बढ़ाने के लिए त्रिकुटी पर्वत को व्यवसाय के रूप में चलाने लगा है. गरीब भक्तों के लिए इंतजाम के नाम पर कुछ नहीं किया जा रहा है. 

बढ़ रही गंदगी, कट रहे पेड़

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बाणगंगा से लेकर भैरवनाथ तक हर जगह पहाड़ पर कूड़े के ढेर दिख रहे हैं. शख्स ने बताया कि त्रिकुटा पर्वत पर हर जगह पानी है. हर जगह से पानी गिरता रहता है. पेड़ों के कारण वातावरण एकदम साफ-सुथरा था. मगर व्यवसायिकता सब कुछ बर्बाद कर रही है. अगर अब भी श्राइन बोर्ड और सरकार न जागी तो और बड़ा अनर्थ हो जाएगा. माता ही चली जाएंगी तो इन रौशनियों को देखने कौन आएगा? कौन त्रिकुटा पर्वत पर आएगा? सबसे जरूरी है कि मां की तपस्या में बाधा न पड़े. इसके लिए सभी को आगे आना होगा.

क्यों हुआ हादसा

ताजा हादसे ने माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के कामकाज पर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या उसकी पॉलिसी सही है? क्या लगातार निर्माण कार्य और बढ़ती दुकानें त्रिकुटा पर्वत पर सही हैं? क्या भक्तों की संख्या बढ़ाने के लिए पहाड़ और पेड़ों का दोहन सही है? क्या त्रिकुटा पर्वत पर भोजनालय चलाने और अन्य कामों के लिए डीजल वाहनों के आने-देने की परमिशन देनी सही है? क्या बाणगंगा से लेकर ऊपर महल तक बढ़ती जा रही गंदगी पर किसी का ध्यान है? शायद नहीं. सोशल मीडिया पर अब इसे लेकर लोग बोलने लगे हैं.

58 ट्रेनें रद्द

आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर के रियासी जिले के कटरा में स्थित वैष्णो देवी मंदिर के रास्ते में अर्धकुंवारी मां के पास मंगलवार दोपहर बाद करीब 3 बजे भूस्खलन हुआ था. इसमें अब तक 34 लोगों की मौत कंफर्म हो चुकी है.गंभीर हालात को देखते हुए उत्तर रेलवे ने जम्मू और कटरा स्टेशनों से आने-जाने वाली 58 ट्रेनों को रद्द कर दिया और 64 ट्रेनों को विभिन्न स्टेशनों पर बीच में ही रोकना पड़ा. 

उमर अब्दुल्ला ने उठाए सवाल

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नियंत्रण वाले वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के उस फैसले पर सवाल उठाया, जिसमें भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद तीर्थयात्रा जारी रखने की अनुमति दी गई थी. अब्दुल्ला ने कहा कि जब हमें मौसम के बारे में पता था तो लोगों को यात्रा मार्ग पर क्यों नहीं रोका गया? उन्हें सुरक्षित स्थान पर क्यों नहीं ले जाया गया? 

पीएम मोदी तक पहुंची बात

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जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने वैष्णो देवी भूस्खलन पर कहा कि बादल फटने के कारण जब ये घटना हुई, तब तक तीर्थयात्रा स्थगित की जा चुकी थी. बादल फटने के कारण कई लोग पानी में बह गए. कई जानें चली गईं और कई अन्य घायल हो गए. यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. सिन्हा ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से बात करके बाढ़ के हालात की जानकारी दी.

वायुसेना मदद को पहुंची

भारतीय वायुसेना ने बुधवार को जम्मू और उत्तरी पंजाब के बाढ़ग्रस्त इलाकों में राहत और बचाव कार्यों के लिए छह हेलीकॉप्टर को सेवा में लगाया तथा गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक कस्बे से सेना के 38 और बीएसएफ के 10 जवानों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया. इससे पहले राहत और बचाव सामग्री लेकर भारतीय वायुसेना का सी-130 परिवहन विमान, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की एक टीम के साथ जम्मू में उतरा. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बचाव कार्य में शामिल होने के लिए और अधिक परिवहन विमान तैयार रखे गए हैं.

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