नई दिल्ली:
केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि देश के समक्ष आतंकवाद के खतरे को देखते हुए सरकार प्रस्तावित राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (एनसीटीसी) पर सख्त निर्णय लेगी।
एनसीटीसी पर आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में अपने समापन भाषण में चिदम्बरम ने शनिवार को कहा, "सख्त निर्णय लिए जाने हैं। हमारे निर्णय केवल बीते समय के अनुभव के आधार पर नहीं हो सकते क्योंकि बीता हुआ समय कोई संकेत नहीं देता।"
सम्मेलन में कई राज्यों ने एनसीटीसी के प्रावधानों को लेकर आपत्ति उठाई। राज्यों के विरोध को देखते हुए सरकार ने एनसीटीसी को फिलहाल ठंडे बस्ते में डालने की सोची है। चिदम्बरम के इस भाषण को आधिकारिक रूप से रविवार को मीडिया को उपलब्ध कराया गया।
चिदम्बरम ने कहा, "कुछ जोखिम उठाने होंगे और कुछ संशोधन के उपाय किए जाने हैं लेकिन आतंकवाद के खतरों की प्रकृति को देखते हुए हमें सख्त निर्णय लेने होंगे।"
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दिन भर की बैठक में आए सभी सुझावों पर वह खुले दिल से विचार करने के लिए तैयार हैं।
चिदम्बरम ने कहा कि प्रस्तावित एनसीटीसी को खुफिया ब्यूरो (आईबी) के दायरे से बाहर रखने के मसले पर वह दोबारा विचार करने के लिए तैयार हैं। एनसीटीसी को आईबी के दायरे में रखने पर राज्यों ने गम्भीर आपत्ति जताई है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उन्होंने एनसीटीसी को आईबी के तहत रखने का प्रस्ताव नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि एनसीटीसी को आईबी के तहत रखने का फैसला कारगिल युद्ध के बाद मंत्रियों के समूह ने वर्ष 2001 में अपनी अनुशंसाओं में किया था।
चिदम्बरम ने कहा, "मैंने यह प्रस्ताव नहीं किया कि एनसीटीसी को आईबी में रखा जाना चाहिए। वास्तव में, सुरक्षा का नया ढांचा निश्चित रूप से महात्वाकांक्षी है।" उन्होंने कहा कि कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एनसीटीसी को आईबी में रखे जाने को लेकर सवाल उठाए हैं। इस मामले में पुनर्विचार करने की जरूरत है और हम निश्चित रूप से इस पर दोबारा विचार करेंगे।
ज्यादातर मुख्यमंत्रियों द्वारा एनसीटीसी का विरोध किए जाने के बावजूद चिदम्बरम ने कहा कि आतंकवाद निरोधक अभियानों में समन्वय लाने के लिए एक एकल जांच एजेंसी की निहायत जरूरत है।
एनसीटीसी पर आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में अपने समापन भाषण में चिदम्बरम ने शनिवार को कहा, "सख्त निर्णय लिए जाने हैं। हमारे निर्णय केवल बीते समय के अनुभव के आधार पर नहीं हो सकते क्योंकि बीता हुआ समय कोई संकेत नहीं देता।"
सम्मेलन में कई राज्यों ने एनसीटीसी के प्रावधानों को लेकर आपत्ति उठाई। राज्यों के विरोध को देखते हुए सरकार ने एनसीटीसी को फिलहाल ठंडे बस्ते में डालने की सोची है। चिदम्बरम के इस भाषण को आधिकारिक रूप से रविवार को मीडिया को उपलब्ध कराया गया।
चिदम्बरम ने कहा, "कुछ जोखिम उठाने होंगे और कुछ संशोधन के उपाय किए जाने हैं लेकिन आतंकवाद के खतरों की प्रकृति को देखते हुए हमें सख्त निर्णय लेने होंगे।"
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दिन भर की बैठक में आए सभी सुझावों पर वह खुले दिल से विचार करने के लिए तैयार हैं।
चिदम्बरम ने कहा कि प्रस्तावित एनसीटीसी को खुफिया ब्यूरो (आईबी) के दायरे से बाहर रखने के मसले पर वह दोबारा विचार करने के लिए तैयार हैं। एनसीटीसी को आईबी के दायरे में रखने पर राज्यों ने गम्भीर आपत्ति जताई है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उन्होंने एनसीटीसी को आईबी के तहत रखने का प्रस्ताव नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि एनसीटीसी को आईबी के तहत रखने का फैसला कारगिल युद्ध के बाद मंत्रियों के समूह ने वर्ष 2001 में अपनी अनुशंसाओं में किया था।
चिदम्बरम ने कहा, "मैंने यह प्रस्ताव नहीं किया कि एनसीटीसी को आईबी में रखा जाना चाहिए। वास्तव में, सुरक्षा का नया ढांचा निश्चित रूप से महात्वाकांक्षी है।" उन्होंने कहा कि कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एनसीटीसी को आईबी में रखे जाने को लेकर सवाल उठाए हैं। इस मामले में पुनर्विचार करने की जरूरत है और हम निश्चित रूप से इस पर दोबारा विचार करेंगे।
ज्यादातर मुख्यमंत्रियों द्वारा एनसीटीसी का विरोध किए जाने के बावजूद चिदम्बरम ने कहा कि आतंकवाद निरोधक अभियानों में समन्वय लाने के लिए एक एकल जांच एजेंसी की निहायत जरूरत है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं