गुजरात में बाल पंचायत का पायलट प्रोजेक्‍ट शुरू, महिलाओं को 'वास्‍तविक सत्‍ता' देने पर है फोकस

भारती और उर्मी जैसी बाल सरपंच की कोशिशों के चलते महिला सशक्‍तीकरण से जुड़े संगठन इनके साथ मिलकर काम करना चाहते हैं.

नई दिल्‍ली :

लड़कियों के साथ भेदभाव न हो, उनकी पढ़ाई बाधित नहीं हो, इसके लिए देशभर में बाल पंचायत गठित करने की योजना है. गुजरात के पांच गांवों में बाल पंचायत के पायलट परियोजना की शुरुआत हो चुकी है. बाल पंचायत का चुनाव कैसे होता है और ये लड़कियों की समस्याओं को हल करने में कैसे मददगार होती हैं, इसे जानने के लिए एनडीटीवी ने इन 'बाल सरपंच' से बात की. गुजरात में कच्छ इलाके की बाल सरपंच उर्मी और उनके साथ एक आदिवासी बहुल आईं भारती ने दिल्ली महिला एवं बाल संरक्षण की हाई पावर टीम के सामने अपने अनुभवों को साझा किया. 

कचास की बाल सरपंच भारती बताती हैं, " कच्छ जिले के गुलरिया, मस्का, कुकमा, मोटामिया और वाड़ा समेत पांच गांवों में बाल पंचायत की रचना की गई है. ये पंचायत 11 साल से 21 साल की बालिकाओं के लिए हैं. हम जानते हैं कि भारत सरकार त्रिस्तरीय पंचायत है और महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण भी दिया गया है लेकिन यह देखा गया है कि दूरदराज के इलाकों की महिलाओं के जीतने के बावजूद पंचायत के काम उनके पति, भाई या पिता करके हैं यानी महिलाओं को सत्ता तो मिल रही है लेकिन शासन करना नहीं आ रहा है. इसी समस्या से निपटने के लिए बालिका पंचायत बनाई गई है.

आज भारती और उर्मी जैसी बाल सरपंच की कोशिशों के चलते महिला सशक्‍तीकरण से जुड़े संगठन इनसे मिलकर काम करना चाहते हैं. इन बाल सरपंचों ने अपने गांव की लड़कियों को ताकत देने की नई कोशिश की है जिससे इनके गांवों में बालिका शिक्षा का प्रतिशत बढ़ा है. इसके साथ ही गांव में छेड़खानी और भेदभाव जैसी समस्या का सामना करने में भी मदद मिली है. गांव के सरपंच के साथ मिलकर ये 'बालिका सरपंच' महिलाओं के सेहत संबंधी समस्याओं को दूर करने में भी योगदान दे रही हैं.  

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