तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि संसद बाधित होने पर सरकार को फायदा होता है, क्योंकि वह मुद्रास्फीति जैसे गंभीर मुद्दों पर सवालों का सामना करने से बच सकती है. चार कांग्रेस सांसदों को महंगाई पर चर्चा की मांग को लेकर सदन में नारे लगाने और तख्तियां लाने के लिए निलंबित किया गया. जिसके तुरंत बाद, ओ ब्रायन ने कहा, "बजट सत्र के दौरान विपक्ष एक प्रमुख मुद्दे पर चर्चा चाहता था - जैस कि कीमत बढ़ना." लेकिन इस मुददे पर कोई चर्चा नहीं हुई. "इस बार भी वही बात है - विपक्ष मूल्य वृद्धि पर चर्चा चाहता था और सरकार मूल्य वृद्धि पर चर्चा न करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी और फिर वे इसे टालने के लिए ये कहेंगे कि विपक्ष संसद को बाधित कर रहा है,"
उन्होंने कहा, "सरकार संसद के प्रति जिम्मेदार है और संसद लोगों के लिए जिम्मेदार है. इसलिए एक बार सरकार संसद को बाधित कर देती है, तो वे किसी के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं". ब्रायन ने कहा कि सरकार मीडिया को बाहर रखने के लिए "कोविड के बहाने" का इस्तेमाल किया है. "ज़रा सोचिए कि क्या हो रहा है. आप मीडिया को संसद से बाहर रख रहे हैं. आप संसद में चर्चा नहीं चाहते हैं और संख्याओं पर कुछ वास्तविकता की जांच की जाती है. प्रधानमंत्री ने राज्य के पटल पर कितने सवालों के जवाब दिए हैं ? संसद में कितने विधेयकों की जांच की जाती है? 65 से 70 प्रतिशत की संख्या से यह घटकर 12 प्रतिशत हो गई है. ये बहुत, बहुत गंभीर मुद्दे हैं, "
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आज भी, उन्होंने कहा कि संसद को स्थगित कर दिया गया था जब सरकार से सवाल करने के लिए विपक्षी सांसदों की बारी थी. इसके विपरीत विपक्ष के नारेबाजी के बावजूद सरकार ने दोपहर में करीब दो घंटे बात की. स्पीकर ओम बिरला ने कहा था कि सर्वदलीय बैठक में चेतावनी दिए जाने के बाद भी तख्तियां लाई गई. ऐसे में चार सांसदों को 12 अगस्त तक चलने वाले शेष मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है. यह पूछे जाने पर कि क्या महंगाई पर चर्चा के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कोविड से उबरने तक इंतजार नहीं किया जा सकता है. इस पर विपक्षी नेताओं ने कहा कि सरकार किसी अन्य सांसद या मंत्री को ब्रीफिंग के बाद इस विषय पर बोलने के लिए प्रतिनियुक्त कर सकती है, जैसा कि आमतौर पर होता है.
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