
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने रविवार को ट्वीट किया कि वो संसद के आगामी मानसून सत्र में फूड ऑडरिंग ऐप्स की ओर से 10 मिनट के अंदर खाने की डिलीवरी करने के वादे का मुद्दा उठाएंगी. सांसद ने कहा कि 10 मिनट में खाने की डिलीवरी देने का वादा ना केवल डिलीवरी करने वाले शख्स को यातायात नियमों को तोड़ने के लिए मजबूर करती है, बल्कि दूसरों के जीवन को भी जोखिम में डालती है. टीएमसी सांसद ने इस तरह की सर्विस के लिए एक नियम बनाने का आह्वान किया.
आलोचनाओं का करना पड़ा था सामना
पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर के सांसद ने तर्क दिया, " जल्दी से पिज्जा पाने के लिए हम ये सब कर रहे हैं. लेकिन कोई सभ्य सामाज पिज्जा की खातिर इस तरह की सर्विस को बढ़ावा नहीं देगा जिससे नियम-कानून टूटते हों." गौरतलब है कि मार्च में, ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म Zomato को उसकी 10 मिनट की डिलीवरी सर्विस को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. कई लोगों ने कहा था कि कंपनी का ये कदम डिलीवरी पार्टनर्स को एक कठिन और असुरक्षित कामकाजी माहौल में धकेल देगा.
10 minute deliveries need to be regulated/outlawed.
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) May 29, 2022
No civilised society can be incentivising delivery executives to break traffic rules & put own & other's lives at risk. All for a quicker pizza.
Am going to raise this in parliament.
आलोचनाओं पर सफाई देते हुए जोमैटो के संस्थापक दीपिंदर गोयल ने ट्वीट किया था कि 10 मिनट की डिलीवरी सेवा "केवल विशिष्ट, आस-पास के स्थानों और लोकप्रिय चीजों के लिए होगी." गोयल ने कहा था, " ज़ोमैटो डिलीवरी पार्टनर्स को देर से डिलीवरी के लिए कोई सजा नहीं मिलेगी. वहीं, 10 और 30 मिनट की डिलीवरी के लिए समय पर पहुंचने पर कोई अवार्ड भी नहीं मिलेगा."
उन्होंने कहा था, " हम केवल खास ग्राहक स्थानों के लिए 10 मिनट में डिलीवरी की सेवा शुरू कर रहे हैं." बता दें कि जोमैटो पहली कंपनी नहीं है, जिसे 10 मिनट के अंदर डिलीवरी सर्विस देने की वजह से आलोचना का सामना करना पड़ा है. 2021 में, ऑनलाइन किराना स्टार्टअप ग्रोफ़र्स (अब ब्लिंकिट) के संस्थापक जो 10 मिनट में किराने का सामान देने का वादा करते हैं को भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. इस बात से कंपनी के मालिक दुखी हुए थे और ट्वीट कर लिखा था कि कंपनी की आलोचना को देखकर "मेरा दिल टूट गया".
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