दिल्ली में राजघाट और जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के लिये टीएमसी नेताओं और कार्यकर्ताओं का आना शुरू हो गया है. टीएमसी नेताओं का पहला जत्था ट्रेन से दिल्ली पहुंचा है. टीएमसी के नेता दो अक्टूबर को राजघाट और तीन अक्टूबर को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे. टीएमसी नेताओं का कहना है कि मनरेगा और पीएम आवास योजना के अंर्तगत काम करने वाले पश्चिम बंगाल के मजदूरों का बकाया पैसा केंद्र सरकार नहीं दे रही है. इसी के विरोध में टीएमसी ने दिल्ली में मोर्चा खोल दिया है.
केंद्र की ओर से कथित तौर पर धन रोकने के खिलाफ तीन अक्टूबर को दिल्ली में नियोजित विरोध प्रदर्शन के लिए शनिवार को कोलकाता से तृणमूल कांग्रेस के स्वयंसेवकों को लेकर लगभग 25 बस रवाना हुई. नेताओं ने कहा कि कार्यक्रम के तहत 4,000 से अधिक लोग बसों के जरिये राष्ट्रीय राजधानी पहुंच रहे हैं. बसों के रवाना होने से पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) महासचिव अभिषेक बनर्जी ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विभिन्न रेल गाड़ियों को रद्द करके और ‘प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तथा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को तैनात' करके दिल्ली में पश्चिम बंगाल के गरीब लोगों के आंदोलन को ‘कुचलने' की कोशिश कर रही है.
बनर्जी ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों के समन से उनकी पार्टी के राजनीतिक कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के प्रति डराया नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा और गरीबों के लिए आवास परियोजनाओं के बंगाल से संबंधित धन रोकने के खिलाफ दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने का संकल्प लिया है.
बसों के काफिले द्वारा दिल्ली की 1600 किलोमीटर की यात्रा शुरू करने से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए टीएमसी सांसद ने कहा, ‘‘लेकिन (उनका) यह (कदम) उल्टा पड़ेगा.'' बनर्जी ने कहा कि ‘दिल्ली चलो' का आह्वान 7,000 करोड़ रुपये की प्राप्ति के लिए किया गया है, जिसके बारे में राज्य सरकार का दावा है कि यह राज्य के 20 लाख से अधिक मजदूरों का मनरेगा योजना के तहत केंद्र पर बकाया है. यह आह्वान पूरे राज्य की आवास योजना के लिए 8,200 करोड़ रुपये जारी कराने के लिए भी है.
बनर्जी ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि वे (भाजपा) बंगाल के लोगों को सबक सिखाना चाहते हैं, क्योंकि इन लोगों ने 2021 के विधानसभा चुनावों और उसके बाद के उपचुनावों में टीएमसी के पक्ष में भारी मतदान किया था. यदि यह भाजपा का बदला लेने का तरीका है, तो 2024 के लोकसभा चुनाव में एक और बड़ा और भयानक झटका उनका इंतजार कर रहा है। इसके बाद होने वाले हर चुनाव में भाजपा को इससे कड़ी सीख मिलेगी.''
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