कोरोना काल में 82 साल के एक मरीज के गायब होने के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यूपी सरकार (UP Government) पर गंभीर रुख अख्तियार करते हुए सवाल खड़े किए और कहा कि जब तक आपके खिलाफ अवमानना याचिका दायर नहीं हो जाती है, तब तक आपकी मुद्दों पर कार्रवाई ना करने की प्रवृत्ति रहती है.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के उस आदेश पर रोक लगा दिया, जिसमें मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव समेत राज्य सरकार के आठ वरिष्ठ अधिकारियों को पेश होने को कहा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने लापता व्यक्ति के परिवार को 50 हजार रुपये मुआवजा भी देने को कहा है.
मामले की सुनवाई के दौरान देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने ये टिप्पणी की. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशांबी के 82 वर्षीय एक बुजुर्ग के संबंध में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आदेश पारित किया था, जो पिछले साल मई को एक अस्पताल से लापता हो गया था.
सुनवाई के दौरान CJI रमना ने कहा, "माफ कीजिए लेकिन जब तक अवमानना दर्ज नहीं की जाती है, तब तक कार्रवाई न करना इस राज्य की आदत बन गई है." इस पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश AAG गरिमा प्रसाद ने कहा, "इस मामले की जांच के लिए दो विशेष जांच दल ( SIT) का गठन किया गया था. यह जांच की गई कि क्या लापता व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था."
इस पर जस्टिस कोहली ने कहा, "एक साल हो गया है. यह पिछले साल 7 मई को था और अब इसे एक साल हो चुका है." जस्टिस मुरारी ने भी पूछा, "क्या आपने जांच की कि क्या उसका शव तो नहीं मिला?"
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गरिमा प्रसाद ने उत्तर दिया कि प्रयागराज में सभी श्मशान केंद्रों की जांच की गई थी, व्यक्ति की अंतिम चिकित्सा परीक्षा के अनुसार, उसके पैरामीटर सामान्य थे. जस्टिस मुरारी ने कहा- तो क्या वो हवा में गायब हो गया?
प्रसाद ने कहा- इलाहाबाद हाईकोर्ट हमें शव पेश करने के लिए कह रहा है लेकिन एक लापता व्यक्ति के मामले में, हम शव कैसे पेश कर सकते हैं? यह बिल्कुल भी संभव नहीं है. हमने हाईकोर्ट के समक्ष माफ़ी मांगी है. आज CMO, मुख्य सचिव और अतिरिक्त CS को बुलाया गया है.
अदालत ने मामले में नोटिस जारी किया और हाईकोर्ट के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगा दी. सरकार को लापता व्यक्ति के परिवार को मुआवजे के रूप में 50,000 का भुगतान करने का भी निर्देश दिया गया है . मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी .
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गरिमा प्रसाद ने कहा कि गायब हुए 82 साल के बुजुर्ग कौशांबी में जूनियर इंजीनियर रहे हैं. सभी CCTV की फुटेज खंगाली जा रही है. जस्टिस हिमा कोहली ने टिप्पणी की - हां उन सीसीटीवी कैमरों में आधे से ज्यादा काम ही नहीं कर रहे हैं. गरिमा प्रसाद ने कहा कि हम उन्हें सुधरवाएंगे . इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने कहा - हां, हमेशा की तरह..
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