विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Jul 18, 2017

जम्मू-कश्मीर विशेषाधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की खंडपीठ करेगी सुनवाई

संविधान के अनुच्छेद-35 (ए) के तहत जम्मू एवं कश्मीर के नागरिकों को मिले विशेष अधिकार पर अब सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी.

जम्मू-कश्मीर विशेषाधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की खंडपीठ करेगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में अनुच्छेद-35 (ए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है
नई दिल्ली: संविधान के अनुच्छेद-35 (ए) के तहत जम्मू एवं कश्मीर के नागरिकों को मिले विशेष अधिकार पर अब सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी. वहीं केंद्र सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने कुछ भी कहने से बचती रही. केंद्र सरकार ने कहा कि यह संवेदनशील मामला है.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट एक गैर सरकारी संगठन 'वी द सिटिजन' की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. याचिका में अनुच्छेद-35 (ए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद-35 (ए) और अनुच्छेद-370 के तहत जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है लेकिन ये प्रावधान उन लोगों के साथ भेदभावपूर्ण है जो दूसरे राज्यों से आकर वहां बसे हैं. ऐसे लोग न तो वहां संपत्ति खरीद सकते हैं और न ही सरकारी नौकरी प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही स्थानीय चुनावों में उन्हें वोट देने पर पाबंदी है.

याचिका में यह भी कहा गया कि राष्ट्रपति को आदेश के जरिए संविधान में फेरबदल करने का अधिकार नहीं है. 1954 में राष्ट्रपति का आदेश एक अस्थाई व्यवस्था के तौर पर किया गया था.

गौरतलब है कि 1954 में राष्ट्रपति  के आदेश के तहत संविधान में अनुच्छेद-35(ए) को जोड़ा गया गया था. केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस जेएस खेहर की बेंच से कहा कि यह मामला संवेदनशील है. साथ ही यह संवैधानिक मसला है. उन्होंने कहा कि इस मसले पर बड़ी बहस की दरकार है. उन्होंने कहा कि इस मसले पर सरकार हलफनामा नहीं दाखिल करना चाहती.

अटॉर्नी जनरल ने बेंच से गुहार की कि इस मसले को बड़ी पीठ के पास भेज दिया जाना चाहिए. इस संबंध में जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि संविधान के अनुच्छेद-35(ए) के तहत राज्य के नागरिकों को विशेष अधिकार मिला हुआ है. राज्य सरकार ने कहा कि इस प्रावधान को अब तक चुनौती नहीं दी गई है, यह संविधान का स्थाई लक्षण है. इसके तहत राज्य के निवासियों को विशेष अधिकार और सुविधाएं प्रदान की गई थी और राज्य सरकार को अपने राज्य के निवासियों के लिए विशेष कानून बनाने का अधिकार मिला हुआ है.

राज्य सरकार का कहना है कि कि इस जनहित याचिका में उस मूर्त कानून को छेड़ने की कोशिश की गई है जिसे सभी ने स्वीकार किया हुआ है. साथ ही राष्ट्रपति के इस आदेश को 60 सालों के बाद चुनौती दी गई है. वर्षों से यह कानून चलता आ रहा है, ऐसे में इसे चुनौती देने का कोई मतलब नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
देश के इन राज्‍यों में जबरदस्‍त बारिश का अनुमान, जानिए आज कहां-कहां है रेड और ऑरेंज अलर्ट
जम्मू-कश्मीर विशेषाधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की खंडपीठ करेगी सुनवाई
Budget 2024: चार्ट से समझें कैलकुलेशन - Standard Deduction बढ़ोतरी, Income Tax Slabs में बदलाव से किसे कितना फ़ायदा
Next Article
Budget 2024: चार्ट से समझें कैलकुलेशन - Standard Deduction बढ़ोतरी, Income Tax Slabs में बदलाव से किसे कितना फ़ायदा
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;